प्रदर्शन

प्रदर्शन

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खबर थी कि उनके नायक को न्यायालय ने भ्रष्टाचार के आरोप से मुक्त कर दिया है। खुशी में चारो तरफ प्रदर्शन किये गये।

न्यायालय की निष्पक्षता के गुण गाये गये। नायक के ऐतिहासिक कार्यक्रमों से देश के विकास के रिश्तों को एक बार फिर याद किया गया। विपक्षियों के पुतले फूंके गये।

चौराहे पर उनकी तस्वीरों के गले में जूतों की मालाएं पहनायी गयीं। उन्हें चरित्र हनन की राजनीति का प्रेरक बताया गया।

लगा कि मरी हुयी पार्टी में जान आ गयी है। कार्यकर्ताओं ने यह सब तब किया था। जब यह खबर आयी थी कि उनके नायक को न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया है।

बाद में न्यायालय से संज्ञान लेने पर यह बात प्रकाश में आयी कि जिस केस का न्यायालय ने फैसला सुनाया है उसमें तो उनका नायक अभियुक्त ही नही था।


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