पराई माटी
पराई माटी
शोभा ओर राजीव को सालों डॉक्टरी इलाज व सेकड़ो मान मन्नत के बाद भी जब संतान नहीं हुई। तो उन दोनों ने एक बच्चा गोद लेने का निश्चय किया। हालांकि उनके इस निर्णय से शोभा की सास खुश नहीं थी। उसका मानना था कि ,अनाथ आश्रम को झाड़ियों में मिला यह बच्चा जिसका कुल जात धर्म तक किसी को पता नहीं। वो आखिर अपने कुल का क्या मान रखेगा। ओर फिर तुम इसे चाहे जैसा पालो,पर खून के संस्कार भी कभी जाते हैं भला। पर उनकी इन बातों का शोभा पर कोई फर्क न पड़ा। और उसकी परवरिश से वो बच्चा, बचपन से ही बड़ा होनहार निकला।
ओर पढ़ाई के दौरान ही उसने, अपनी दादी की सारे मिथक तोड़ दिए। फिर जब उसने एक बड़ी प्रतियोगी परीक्षा पास की तब दादी सहित उसके पूरे परिवार को उसपर नाज हुआ। फिर उसे आशिर्वाद देते हुए दादी ने कहा ,की बेटा आज तूने साबित कर दिया। कि मैं गलत थी ओर तेरी माँ सही। इतना कहते हुए,दादी सिसकती हुई उससे लिपट गई। तब वो तो अपनी दादी की कही बात का अर्थ न समझ सका। पर पास खड़े उसके माता पिता की आँखें खुशी से झिलमिला गई। फिर भी शोभा कुछ ना बोली, बस मन ही मन सोचा। अम्मा ये माटी भले ही पराई है, पर इसे आकर देने वाले हाथ तो हमारे अपने ही है।
