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Sajida Akram

Tragedy

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Sajida Akram

Tragedy

**पनघट**

**पनघट**

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गांव जैतपुर में सुबह की पहली किरण से ही गांव की महिलाएं शौच आदि से निवृत होने खेतों में निकल जाती है।

आज भी रंजना और काशी दोनों ही चली जा रही थी कि झाड़ियों के झुरमुट में कुछ सरसराहट हुई। दोनों सखी सर्तक हो गई। सोचने लगी कोई जंगली जानवर है या कोई कीड़ा , अभी सूरज उगा भी नहीं था अंधेरा ही था।


दोनों डर गई उल्टे पैर लौटने लगी कुछ दूरी बना कर उन्होंने पत्थर उछाला झाड़ियों में तो किसी पुरुष की चीख निकली। दोनों ने वहां से सरपट दौड़ लगा दी।

गांव के कुएं के पास आ कर ही सांस ली, कुछ औरतें अपने बर्तन मांज रही थी। कुछ कलशी भर कर चलने को तैयार थी। रंजना और काशी को घबराया हुआ देख गांव की उम्र दराज काकी ने पूछा क्या हुआ रि छोरियों तुम्हारे होश क्यों उड़े हुए हैं।

रंजना ने बताया काकी हम झाड़ियों में शौच आदि के लिए गए थे, तो वहां सरसराहट सुनी हमने पत्थर मारा तो कोई आदमी की चीख सुनी तो हम भाग आए।

काकी ने आव देखा न ताव ठहर में बताती हूं, इन नालयकों को मैंने जग्गू और मोहन इन आवारा छोरों को जाते देखा है।

वो होंगे 'आजकल छेड़छाड़ की हरकतें बहुत सुनने में आ रही है। चलो रि सब इकट्ठे हो कर आज दिखा ही देते हैं। इन गंदी नज़र रखने वाले छोरों को हमारी बहन , बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ करने की हिम्मत कैसे कर रहें हैं।

आए दिन इस तरह की घटनाओं की तादाद बढ़ गई है।

गांव के सरपंच और बड़े-बूढ़े फिक्रमंद है कि गांव में बढ़ती हुई आपराधिक गतिविधियों को लगाम कसने के लिए कई टोली बनाई गई है कि औरतें रात के समय शौच को जाती है तो ग्रुप में जाएं और अपने घर के मर्दों की जानकारी में बता कर जाएं।

अभी कुछ हफ्तों पहले रामबाबू की 12साल की बेटी के अपहरण दुष्कृत्य के बाद मार कर जंगल में फेंक दी गई। तब पूरे गांव में सन्नाटा छा गया।



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