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Rajiva Srivastava

Inspirational

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Rajiva Srivastava

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पिता के लिए

पिता के लिए

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कभी कभी अपने आस पास ऐसा कुछ घटित हो जाता है कि आदमी का जीवन एकदम से ही बदल जाता है। मैं आज बात कर रहा हूं अपने परम मित्र रवि की। हम दोनों कक्षा छह से ही एक साथ हैं।अपने पिता के तबादले के साथ ही रवि और उसका परिवार इस शहर में आए और मेरे ही साथ सरकारी स्कूल में कक्षा छह में उसका भी नाम लिख गया।रवि का घर भी हमारे घर के पास ही था,तो स्कूल घर सब हमारा साथ साथ ही होता। हम दोनों के स्वभाव में बिलकुल ही ज़मीन और आसमान का अंतर था। वह जहां एकदम तेज तर्रार था, मैं एकदम दब्बू टाईप का था। वो बेबाक कहीं भी कभी भी कुछ भी बोल देने वाला था।शायद विपरीत ध्रुव ही एक दूसरे को आकर्षित करते हैं तभी हमारी पक्की दोस्ती हो गई। एक बात और, स्वभाव कैसा भी हो पढ़ाई में रवि बहुत होशियार था। मैं तो औसत ही था लेकिन रवि की बराबर क्लास में फर्स्ट या सेकंड पोजीशन बनी रहती थी। मेरे घरवाले बराबर मुझे रवि का उदाहरण देते और कहते कि मैं भी उसके जैसा होशियार क्यों नहीं बन पाता?एक मैं था कि किसी तरह पूरी कोशिश के बाद भी बड़ी मुश्किल से क्लास दर क्लास बस पास हो जाता था।

खैर,किसी तरह करते करते हमारा इंटरमीडिएट हो गया। रवि ने प्रदेश के नामी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन ले लिया और शहर से बाहर चला गया। मैंने भी शहर के ही एक कॉलेज में बीएससी में नाम लिखा लिया। दोस्ती अब भी थी लेकिन संपर्क अब थोड़ा कम हो गया। रवि जब भी आता हम मिलते और बातें भी करते। जाने कब धीरे धीरे संपर्क कम होता गया,फिर एक दिन पता चला कि रवि को कॉलेज से निकाल दिया गया है। वो शहर में वापस आ गया लेकिन मुझसे मिला नहीं। घर जाने पर भी उसने कहला दिया कि वो है नहीं। बाद में पता चला कि किसी ड्रग्स वाले गिरोह के चक्कर में वो आ गया था,पुलिस केस भी हो गया था और अंततः उसे कॉलेज से निकाल दिया गया। ये घटना रवि के पिता जी को अंदर तक तोड़ गई। महीने भर के अंदर ही दिल के दौरे और पैरालिसिस ने उन्हें ये दुनिया छोड़ने को मजबूर कर दिया।

समय ऐसा बदला कि ज़िंदगी की गाड़ी एकदम से पटरी से उतर गई। मां और दो छोटी बहनों के रूप में ज़िम्मेदारी रवि के सिर पे आ पड़ी। घर के आवारा और नकारा लड़के को जिम्मदारी ने एकदम से बदल दिया। पहले तो लग कर पिता जी के पेंसन आदि का केस सैटल कराया। मां को पिताजी की जगह अनुकम्पा नौकरी करने के लिए राज़ी किया। खुद ने शहर के कॉलेज से ग्रेजुएशन किया मेहनत करके बैंक की नौकरी हासिल की। बहनों को पढ़ाया फिर दोनों की शादी कराई।

कभी पूछो,'यार, तू इतना कैसे बदल गया?' तो कहता है ' पिता जी ने तो अपना जीवन दे दिया मेरे लिए,क्या मैं इतना भी नहीं कर सकता अपने पिता के लिए।'


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