Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Swati Rani

Romance

4.6  

Swati Rani

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फोन

फोन

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"ह.. ह.. हैलो", राजीव बोला ! 

" हैलो", सुधा सकुचाये आवाज में बोली ! राजीव यादों में डूब गया!


काॅलेज का शमा था, जहाँ सभी लड़के लड़कियां अपने-अपने प्रेमी-प्रेमिका के साथ घूमते थे, सुधा एक बहुत ही छोटे शहर की लड़की थी, बहुत ही संकुचित सोच वाले परिवार कि लड़की! देहरादुन में चार साल तक बस मेडिकल कि पढ़ाई पढी़, पर आखिरी के साल में इंटर्नशिप में कुछ पढ़ाई नहीं था, बस हास्पिटल में मरीज देखना होता था,फिर सारे वक्त बोर, सबको देख कर सुधा का भी मन हुआ किसी लड़के से बात करे, आखिर उसके अंदर भी तो लड़की का ही दिल था! सब खाली टाईम में जाकर आरकुट चलाते थे लाइब्रेरी में, हालाकि ये 2010 का टाईम था जब बहुत लोगों ने फेसबुक पर भी प्रोफाईल बनाया था, पर स्मार्ट फोन के कमी से आयकुट ही प्रचलन में था!

अचानक सुधा को आरकुट मे एक प्रोफाईल दिखा, मेरठ मेडिकल कॉलेज का लड़का राजीव था! उसने रिक्वेस्ट भेजी थी, सुधा ने उसको ऐड कर लिया! अब चैटिंग का सिलसिला शुरू हुआ! 

रोज दोनों ने टाईम बांध रखा था,1 बजे यानी लंच टाईम, दोनो आनलाइन आ कर खुब बातें करते! हालांकि राजीव ने कई बार सुधा का नंबर मांगा था, पर सुधा ने डरकर दिया नहीं! दोनो को कुछ-कुछ फिलिंग आ रही थी! मीठी मीठी सी गुदगुदी होती थी! फिजाओं में नयापन था!इधर सुधा भी चैट करके जाती तो राजीव के सपनों में खोयी रहती थी!ऐसा सुखद एहसास उसे पहले कभी नहीं हुआ था!  इधर कुछ दिनो से राजीव आनलाईन नहीं आया, सुधा बेचैन हो गयी, रोज आनलाइन होती पर,राजीव का अकाउंट आफलाइन रहता था! अचानक उसने राजीव का मैसेज देखा ,उसमें लिखा था अपना नंबर देना! 

तब तक सुधा भी राजीव के रंगो में रंग चुकी थी!उसने नंबर दे दिया और बेचैनी से बार बार फोन देख रही थी!

रात के करीब 8बज रहे होंगे, सुधा हाॅस्टल में डिनर करके बैठी थी तभी उसका फोन बजा! 

"ह.. ह.. हैलो", सुधा सकुचाते हुये बोली, दिल धक्क से रह गया था उसका, जैसे सैकड़ों चीटियाँ रेंग गयी हो बदन पर!

"अरे तुम इतना डर क्यों रही हो, जस्ट चील", राजीव बोला! 

"न.. न.. नहीं, तुम्हारी तबीयत कैसी है", पहली बार किसी लड़के से वो भी अलग फिलिंग के साथ बात करके सुधा हकला रही थी! 

"ठीक है, थैंक्स फोर केयरिंग, मैने जैसा सोचा था ठीक वैसी ही आवाज है तुम्हारी", राजीव बोला! 

" अच्छा माँ का फोन आ रहा है, बाय", सुधा ने घबरा कर फोन रख दिया! 

अब तो दोनो ने लाइब्रेरी जाना बंद कर दिया और फोन पर ही लगे रहते! अब सारी सारी रात बात होने लगी! बेचैनी बढने लगी!

दोनो एक दूसरे को चाहने लगे, आखिर राजीव ने सुधा को एक दिन बोल ही दिया!

घर में बहुत बवाल हुआ, पर राजीव कि कास्ट छोटी थी और सुधा ब्राह्मण थी तो घर वाले नहीं माने!नियती को कुछ और मंजुर था, सुधा कि शादी एक रईस खानदान में हो गयी! 

इधर राजीव सुधा कि यादों से निकल ना सका! 


अच्छे हास्पिटल में में जाॅब थी, और साथ में पहले प्यार की यादे, जिंदगी कट रही थी!करीब दस साल बीत गये, राजीव ने फेसबुक खोला और सुधा का प्रोफाइल सर्च किया!राजीव कि आंखे फटी रह गयी! ये क्या वहां मैराईटल स्टेटस में लिखा था, डिवोर्सड, राजीव कि आंखे फटी रह गयी! 

हालांकि सुधा फोटो में पहले से अधिक स्मार्ट और आत्मविश्वास से भरी नजर आ रही थी! 

प्रोफाईल में दिये नंबर पर राजीव ने फोन मिलाया!

"हैलो" वही कोमल सी, बच्चो वाली आवाज थी बिल्कुल भी नहीं बदली थी! 

"म.. म. मैं राजीव", राजीव कहलाया!

सुधा कुछ मिनट के लिये चुप हो गयी!

फिर बोली, " कैसे हो?!

ढेरों बातें हुयी, फिर राजीव ने पुछा ये कैसे हुआ!सुधा ने अपनी आपबीती सुनाई राजीव को!

राजीव को बहुत दुख हुआ! फिर से वही फोन पर बातों का सिलसिला शुरू हो गया! 

राजीव ने सुधा से शादी कि इच्छा जतायी, सुधा मना ना कर पायी, क्योंकि राजीव भी तो उसकी चाहत थी कभी, बस एक चीर परीचित सा डायलग बोल गयी, "बासी फूल देवता पर नहीं चढ़ा करते राजीव"!

राजीव बोला, " राजीव बोला तुम कोई फूल नहीं हो, तुम सिर्फ सुधा हो मेरी पगली सुधा"!

राजीव मन में सोच रहा था, ये कौन सी जात-पात कि परंपरा है,जिसने एक लड़की के कोमल मन को विर्दिण कर दिया, अब वही माँ बाप जात को परे रख कर राजीव के सामने कृतार्थ थे, कि उसने उनकी तलाकशुदा बेटी को नया जीवन दिया!



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