STORYMIRROR

Nidhi Sharma

Romance

4  

Nidhi Sharma

Romance

पहले प्यार की शुरुआत भाग-2

पहले प्यार की शुरुआत भाग-2

5 mins
352

अब तक आपने देखा कि नेहा अपने मन की भावनाओं को परिवार के साथ साझा की और मन में ढेर सारे सपने लेकर अपने नए सफर की शुरूआत पर बेंगलुरु आ गई।


अगले दिन नेहा के ऑफिस का पहला दिन था सुबह 7:00 बजे मां का फोन आया "आज पहला दिन है इसलिए जगा रही हूं कल से खुद जग जाना।" नेहा भी जल्दी-जल्दी खुद के लिए जैसे तेरे से कुछ नाश्ता बनाई और फटाफट तैयार होकर निकली। सामने लिफ्ट का दरवाजा खुला और बंद होने ही वाला था नेहा उधर से चिल्लाई "प्लीज रुको रुको मुझे देर हो जाएगी।" तभी किसी ने पैरों से लिफ्ट को रोका नेहा फटाफट लिफ्ट में अंदर आई "थैंक यू थैंक यू सो मच.."


खुद को संभालते हुए और जब थैंक यू का जवाब नहीं मिला तो उसने पीछे पलट कर देखा। एक सुंदर व्यक्तित्व वाला नौजवान अपना फोन देख रहा था, उसने सोचा कि धन्यवाद का जवाब नहीं दिया..! नेहा को बड़ा अटपटा सा लगा पर उसने सोचा चलो कोई नहीं मदद तो मिल गई, लिफ्ट नीचे आई दरवाजा जैसे ही खुला नेहा भागकर ऑटो वाले को रोकी और जल्दी से ऑफिस के लिए निकल गई।

ऑफिस का पहला दिन नेहा की आंखों में ढेर सारे सपने उसने मन लगाकर काम करना शुरू किया। उसके बाद लंच टाइम हुआ वो अपने सहकर्मियों के साथ ऑफिस के फर्स्ट फ्लोर पर कैंटीन में पहुंची, सबके साथ खाना खाया वक्त बीतने से पहले ही वो वापस ऑफिस के लिए लिफ्ट में पहुंची। जैसे ही उसने लिफ्ट बंद करने का बटन दबाया किसी की आवाज आई "हमारे लिए भी रुक जाओ।"


नेहा को सुबह की घटना याद आई उसने लिफ्ट रोक दिया जैसे ही लिफ्ट में वो इंसान दाखिल हुआ। नेहा को आश्चर्य हुआ ये तो वही है जिसने सुबह लिफ्ट रोककर उसकी मदद की थी। नेहा की सहकर्मी रेखा धीरे से बोली "कैसा इंसान है एक थैंक्यू तक नहीं बोला और तुमने इसके लिए लिफ्ट रोकी क्या तुम इसे जानती हो..?"


नेहा मुस्कुराकर उस नौजवान की तरफ देखकर बोली "आज सुबह किसी ने मेरी मदद की थी तो बदले में मदद करके उसका एहसान उतार दिया। अब कोई इंसान नीरस हो तो क्या किया जा सकता है !" और दोनों मुस्कुराती हुई अपने अपने केबिन में चली गई पर उस नौजवान पर दोनों लड़कियों की बातों का रत्ति भी फर्क नहीं पड़ा।


अब आए दिन या तो सोसाइटी की लिफ्ट में या दफ्तर में दोनों का मिलना हो ही जाता था। रविवार का दिन था नेहा रात में ही मां को बोल दी थी "कल मेरी छुट्टी है मुझे मत जगाइएगा।"और वो अपने सपनों में खोई थी तभी दरवाजे पर कुछ फेंके जाने की आवाज आई नेहा जाकर देखी तो अखबार पढ़ा हुआ था।


नेहा नीचे झांकी तो एक छोटा सा लड़का बोला "दीदी गलती से 602 का अखबार 502 आपके दरवाजे पर चला गया क्या ऊपर वाले भैया को दे देंगी.?" नेहा मुस्कुराकर बोली "देखो छोटू तुमने रविवार के दिन मेरी नींद खराब कर दी। अब बिना पढ़े ये अखबार तो नहीं दूंगी तुम 602 वाले भैया को बोलो अगर अखबार लेना है तो नीचे आकर ले जाएं।" इतना कहकर वो अख़बार पढ़ते हुए अंदर चली गई।


ऊपर से किसी नौजवान की आवाज आई "छोटू अखबार क्यों नहीं दिया.? क्यों नहीं समझता बिना अखबार के प्रेशर नहीं बढ़ता दिक्कत हो जाएगी।" छोटू बोला "भैया आपका अखबार 502 में चला गया है वहां से ले लो वरना आज पूरे दिन की दिक्कत हो जाएगी।" इतना कहकर वो भी मुस्कुराता हुआ चला गया।


नेहा आराम से ब्रश करते हुए अखबार देख रही थी और बोल रही थी "इसमें तो बड़े चटपटी खबरें होती है तभी मैं सोचूं पापा बिना अखबार के क्यों नहीं रहते.! सही बात है टीवी में समाचार सुनने से उतना आनंद नहीं आता होगा जितना अखबार पढ़ने में आता है।" तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और आवाज आई "खोलो जल्दी खोलो दरवाजा मुझे मेरा अख़बार दो..।"


नेहा अंदर से बोली "अरे रुको कुल्ली तो करना दो। आज का तो पूरा दिन ही लगता है खराब बीतेगा।" अखबार देखते हुए नेहा दरवाजा खोली तो सामने वही नौजवान था नेहा बोली "तुम बेरस हर दिन तो तुम कहीं ना कहीं मिल ही जाते हो! आज मेरे घर तक आ गए मुझसे तुम्हें क्या काम है..?"


सामने वाले ने कहा "ओ मैडम कभी निरस, कभी बेरस मेरा नाम मानव है मेरे नाम से मुझे पुकारो। और मुझे आपसे कोई काम नहीं है बस मेरा अख़बार मुझे दे दो मुझे बहुत जल्दी है।" और उसने अखबार पकड़ा दूसरी तरफ से नेहा भी अखबार को जोर से पकड़कर रखा थी। वो बोली तुम्हारे अखबार की वजह से मेरी मीठी नींद खराब हो गई अब बिना पढ़े तुम्हें इसे नहीं दूंगी।"


मानव बोला "अखबार देने वाले की गलती थी। मैं इसके पैसे देता हूं और मैंने आपके साथ कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं किया है कि मैं आपको अखबार पढ़ने दूंगा।" नेहा बोली "नीरस, बेरस जो भी तुम्हारा नाम है, मैं और तुमसे कॉन्ट्रैक्ट कभी नहीं भूल जाओ.."


मानव बोला "आप समझती क्यों नहीं बिना अखबार के मैं वहां नहीं जा सकता..।" नेहा मुंह बनाते हुए उसे देखी और बोली "कहां नहीं जा सकते..!" मनाव बोला "वो मैं आपको नहीं बता सकता बस मुझे अखबार दे दो बहुत इमरजेंसी है।"


नेहा उसकी हालत देखी उसे कुछ कुछ समझ में आया वो हंसने लगी और अखबार को अपनी तरफ खींचने लगी। मानव दूसरी ओर से अखबार खींच रहा था मानव के हाथों में आधा अखबार मिला उसने कहा "आज इसी से काम चला लूंगा पर तुम्हें छोडूंगा नहीं देख लूंगा..।" इतना कहकर वो अपने घर की ओर भागा


नेहा पीछे से बोली "अरे आधे अखबार का ही कॉन्ट्रैक्ट कर सकती हूं और सोच लो आधे अखबार में तुम्हारा वो काम पूरा हो जाएगा.।" इतना कहकर नेहा जोर-जोर से हंसने लगी मानव एक बार पीछे मुड़कर देखा और उसे आंखें दिखाते हुए चला गया।


इधर नेहा की रूम पार्टनर बोली "क्यों बेचारे को परेशान कर रही हो समझ में नहीं आ रहा उसे बाथरूम जाने की जल्दी थी और तुम उसके साथ मस्करी कर रही थी।" नेहा हंसकर बोली "मैंने तो सोचा आज का दिन खराब निकलेगा परंतु इस मानव रूपी बेरस इंसान ने आज का दिन बना दिया।" और वो गुनगुनाते हुए अपना काम करने लगी।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance