पहल
पहल


अच्छा समाज तभी बनेगा जब तुम अन्याय के खिलाफ विरोध करने लगोगे मेरे पत्रकार मित्र ने बहुत साल पहले यह बात कही थी । यह बात मेरे दिमाग में आज भी घूमती है।खैर
कई समाजसेवक थे जिनके विरोध के कारण ही समाज में समाज की कई कुप्रथाएं समाप्त हुई राजा राममोहन राय जिनहोने सती प्रथा, बाल विवाह व विधवाओं के साथ किए गए गलत व्यवहार का विरोध किया वाकई कई प्रथाएं केवल अमाननीय है इसका समाज में कोई लाभ भी नहीं होता
ऐसी कई छोटी,बडी़ प्रथाएं आज भी समाज में है एक ऐसी प्रथा थी *सिंधी समाज में विवाह के अवसर पर निमंत्रण के साथ बर्तन बांटना* इसका कोई लाभ नहीं ये केवल दिखावा मात्र ही था जो समाज के हर वर्ग को करना ही पड़ता था।जिससे कई परिवारों पर आर्थिक दबाव बढ़ता जिसका विरोध आज से 30 साल पहले भारतीय सिंधू सभा के बैनर तले श्रीमती कौशल्या तीर्थानि जी ने महिला विंग की सभी महिला सदस्यों के सहयोग से इस प्रथा को बंद करने के लिए समाज की महिलाओं को एकत्र कर आह्वान किया।
सिंध प्रांत की राजधानी व पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में जन्मी और कुछ सालों बाद बंटवारे में शरणार्थी शिविरों में रहे फिर महाराष्ट्र के नागपुर में बसे ,वही शिक्षा प्राप्त की,एक सयुंक्त परिवार था जहां सेवा मेहनत को महत्व दिया जाता था इन्हीं संस्कारों के बीच 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त की उस समय आने वाली कक्षाओं की नींव भी रखी सभा क्लास के बच्चे श्रमदान देते थे और आगे की कक्षाओं के मार्ग बनाते थे ।
शिक्षा के कुछ समय के पश्चात घरेलू काम व परिवार को समय दिया फिर एक संपन्न व शिक्षित परिवार में विवाह हुआ जहां पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ छोटी-छोटी मदद लोगों की करती रहती फिर एक दिन समाज में महिला संगठन से जुड़ने की बात आई उसी समय भारतीय सिँधु सभा का कार्य उस समय मध्यप्रदेश बिलासपुर में प्रारम्भ हुआ था ।स्वयं जुड़कर कई दिनों तक हर परिवार को जोड़ने की पहल की जिसके परिणाम स्वरूप घर-घर जाकर उन्होंने लोगों को जागरूक किया इस संगठन से महिलाओं को जोड़ा और जिसके परिणाम स्वरूप कई परिवारो कि महिलाएं जुड़ी
संगठन में कई तीज त्यौहार साथ मनाते एक दूसरे से कई बातें लोग सीखते कभी-कभी पिकनिक जाते क्योंकि ज्यादातर महिलाएं ऐसी थी जो केवल चार दीवारों में सिमट गई थी अपनी खुशी अपनी पसंद कोई को ही नहीं जानती थी धीरे-धीरे संगठन बढ़ता गया कई क्षेत्रों की महिलाएं जुड़ती गई सबसे बड़ी बात की कौशल्या जी का आत्मविश्वास बढ़ता गया साथ ही कई महिलाएं जो कार्यक्रमों में शामिल होती है कभी वह गाती तो कभी भी किसी काम की जिम्मेदारी लेती कभी मंच संचालन करती संगठन में शामिल हर महिला का आत्मविश्वास बढ़ता गया।
इस बीच राजनीति में प्रवेश भी किया हालांकि कोई विशेष जानकारी व रूचि नहीं थी मगर पारिवारिक माहौल व पति के साथ में मुझे और आगे बढ़ाया सबसे बड़ी बात उस समय महिला वार्ड का होना जिसके चलते मैंने राजनीति में प्रवेश किया राजनीति में मैंने कई नई जानकारियां व कार्य की पार्षद पद पर रहते किए , कभी अखबारों की सुर्खियों में जगह मिलती तो कभी लोगों की आलोचनाओं का शिकार होती है।
कई लोगों से मिलना होता मेरे लिए दिल्ली जाना सबसे बड़े गर्व का विषय था किरण बेदी व एपीजे अब्दुल कलाम से मुलाकात की जो मेरे लिए गर्व की बात थी। उनके साथ लिए यादगार पल जिन्हें मैंने आज भी संभाल कर रखा है।
कुछ लोग एक प्रेरणा की तरह थे जिनसे आज भी पारिवारिक संबंध है हालांकि बढ़ते हुए उम्र मे यादाश्त कुछ कम हो गई है इसलिए मुझे सबके नाम याद , कहते कहते हैं आवाज नरम सी हो गए
कई बार आसपास के शहरों में भी जाना होता था शुरुआत में अपनी बात रखने में हिचक होती थी मगर धीरे-धीरे लोगों के साथ रहकर मैं सहज होने लगी और अपनी बातों को अपने पक्ष को कहने और हक के लिए कई बार लड़ने लगी।.
राजनीति व समाज के कारण मैंने कई पद व सम्मान मिले , मुझे मिले संगठन में महिलाओं के आयोजनों की हमेशा सराहना मिली इसके चलते सावन की बहार कार्यक्रम मैंने लगाता पंद्रह सौ वर्षो तक किया जिसका उद्देश्य वृक्षारोपण, मनोरंजन व एकता को बढ़ावा देना था फिर आज भी यह कार्यक्रम मनाया जाता है कि मेरी उपस्थिति शारिरिक परेशानियों के चलते कम हो गई है।
मगर मुझे आज भी गर्व होता है किस कार्यक्रम कि शुरुआत मैंने कि कभी-कभी लगता हर व्यक्ति को अपने स्तर पर समाज को कुछ जरूर समर्पित करना चाहिए सुनते सुनते मुझे गिलहरी की कहानी याद आ गई ,जो बचपन से कई बार सुनी है रामायण में ,आपको भी याद आ गई -छोटी है मगर मजेदार लगती है जब राम सेतु बन रहा था एक गिलहरी अपना सहयोग देना चाहती थी वह पहले गीली होती पानी में जाकर फिर रेत में जाती उसके शरीर में पूरी रेत चिपक जाती है फिर वह सेतु में छोड़ जाती भी होती है ।भगवान राम ने देखा तो बहुत ही प्यार से उसके ऊपर उंगली घुमाई, आज भी गिलहरी में वह उंगलियों के निशान है* जय श्री राम*
हर महिला अपनी पहली प्राथमिकता परिवार को देती है तभी वह समाज में अपनी भूमिका अच्छी तरह निभा पाती है परिवार तो शुरुआत में संयुक्त था फिर मेरे दो बच्चे और अब उनके भी बच्चे शादी के लायक हो चुके हैं पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने भी पिता का साथ दिया आज वे भी समाज में सेवा के उच्च पदों पर हैं मैं बहुत खुशनसीब हूं कि मेरी दोनों बहुए मुझे मां की तरह ही प्यार व सम्मान देती है शिक्षित और बहुत ही संस्कारी हैं ।
बदलते जमाने ने बहुत कुछ बदल दिया आज की युवा पीढ़ी को ज्यादा समय कितनी पार्टियों को देती हैं बच्चों को प्राथमिकता दी जाए तो ज्यादा उचित होगा मुझे बहुत दुख होता है युवाओं को यही कहना चाहूंगी कि इन किटी पार्टी को मनोरंजन में समय ना हो गवा कर खुद को बनाने व समाज में समय दे अपना टैलेंट समाज के लिए यूज करें समाज को आगे बढ़ाने के लिए समय व शक्ति दे।
आपका उम्र का अनुभव आप क्या कहता है सच कहूं तो मुझे लगता है दोस्ती का बड़ा असर होता है मेरे मित्र हैं जिन्हें मैं रोज सुबह मिलती थी उनकी याददाश्त बहुत कमजोर है और उनके साथ रहकर मेरी याददाश्त कमजोर हो गई है ऐसा भी होता है सच बेटा संगत का बहुत असर होता है और शब्दों का भी शायद इसलिए कहते हैं शब्द सोच समझकर कहोगे शब्द हमारे संस्कार फिर कल बन जाते हैं
* शब्द संभाली बोलिए शब्द खींचते ध्यान
शब्द मन घायल करे शब्द बढ़ाते मान*