Sushil Sharma

Abstract Inspirational

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Sushil Sharma

Abstract Inspirational

फिर वही मोड़

फिर वही मोड़

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"बहू भोजन के बाद रसोई साफ जरूर किया करो। "रमा ने भोजन करके उठती अपनी बहु मधु कहा। 

माँ करती तो हूँ।" मधु के स्वर में झुँझलाहट थी। 

"कहाँ करती हो दो दो घंटे भिनकी पड़ी रहती है। "रमा ने तेज स्वर में कहा 

अच्छा ये जरुरी है कि तुरंत सफाई की जाए। " मधु ने प्रतिवाद किया। 

"बिलकुल जरुरी है ,रसोई साफ़ न करने से बरकक्त नहीं होती माँ अन्नपूर्णा गुस्सा हो जाती हैं ,पहले मैं भी नहीं करती थी मेरी सास बहुत डाँटती थीं।"रमा ने अपनी बात को पुष्ट करते हुए कहा। 

फिर आप क्या करती थीं ?" मधु के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। 

कुछ नहीं चुप रहती थी और क्या। "रमा ने बड़े गर्व से कहा जैसे कि वो बहुत अनुशासित बहु रही हो।

फिर आपकी सास क्या करती थीं ? "मधु अपनी दादी सास का स्वभाव जानने को उत्सुक थी। 

कुछ नहीं चुपचाप खुद रसोई साफ करने लगती थीं।"रमा ने उसी गर्वोक्ति से जबाब दिया। 

आप की सास बहुत समझदार थीं, ये बात आपको उनसे सीखना चाहिए। "मधु ने मुस्कुराते हुए रमा की ओर देखा।


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