पुरानी आदत
पुरानी आदत


शर्मा जी शाम को घूम कर वापिस आ रहे थे हाथ में छह सात पन्नी लटकाए मस्ती में चल रहे थे।
पालगी( पाँव लागू) की आवाज़ सुनकर चोंक गए "अरे आशीर्वाद भाई कैसे हो?"
"जी आपके आशीर्वाद से सब ठीक है।" परिचित ने कहा।
गुरुजी एक बात पूछना थी आप का थैला आपकी पीछे की जेब में रखा है और आप हाथ में पन्नी में सब्जी ले जा रहे हो।" परिचित के चेहरे पर व्यंग्यात्मक मुस्कुराहट थी।
"अरे वो मैं भूल गया अब आदत है न पन्नी में सब्जी ले जाने की।" शर्मा जी खिसियाते हुए हाथ में पकड़ी पन्नियों को थैले में रख रहे थे।