फिलॉस्फर
फिलॉस्फर
महाविद्यालय का पहला-पहला दिन, पहला-पहला पीरियड और महाविद्यालय में प्रवेश पाए हुए उत्साही छात्र-छात्राएं। प्रोफेसर साहब के सामने परिचय-सत्र चल रहा। प्रत्येक छात्र सहज भाव से अपना-अपना परिचय दे रहे, "सर ! मैं, .., फलाँ गाँव, फलाँ शहर, फलाँ वर्ग से।"
गर्व से सभी को शाबासी देते प्रोफेसर साहब। साधारण-सी वेशभूषा वाले उस छात्र का भी नंबर आया, "सर ! मैं, भारतवासी।"
प्रोफेसर, "ज्यादा फिलॉस्फर ना बन सीधे-सीधे अपना परिचय दे, किस शहर से है किस वर्ग से है ?"
छात्र, "सर ! मेरा परिचय तो यही है।"
प्रोफेसर, "अरे बच्चो, कोई बैंच खाली है क्या इसके लिए ?"