फैसला

फैसला

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रात के करीब डेढ़ बजे विलाश नशे में झूमता हुआ घर में दाखिल हुआ। उस पर शराब से अधिक अपनी जीत का नशा था। आज उसके रसूख़ और पैसे की ताकत ने साक्ष्यों को उसके पक्ष में मोड़ दिया। वह बाइज्ज़त बरी हो गया।

वह कपड़े बदल कर सोने ही जा रहा था तभी उसके मोबाइल की घंटी बजी।

फोन उठाते ही उसका नशा उतर गया। दूसरे शहर में रह कर पढ़ाई कर रहे उसके बेटे की दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। जिस कार से उसकी कार टकराई थी उसका चालक नशे में धुत्त था।

उसके सामने उसका गुनाह घूमने लगा।


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