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minni mishra

Tragedy

4  

minni mishra

Tragedy

पेंशन

पेंशन

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" बताओ, पिता को कौन अपने साथ रखोगे , बड़े या छोटे?" जान से प्यारी माँ समान भाभी के तेरहवीं के बाद, मेहमान को विदा करते ही बुआ ने पहला सवाल बाउंसर की तरह कमरे में उछाला।  


वहाँ मौजूद, दिवंगत माँ को याद कर रहे शोकाकुल बड़े और छोटे बेटे थे...साथ में दोंनो की पत्नियाँ , तथा एक विवाहिता बेटी अपने पति और नन्हे बेटे के साथ भी मौजूद थी। बेटी,जो बीमार माँ की सेवा के लिए एक महीना पहले ससुराल से आई थी,माँ की बहुत सेवा करती थी । 


अब सभी लोग नाक -भौ सिकुड़ कर, बुआ को ऐसे देखने लगे, जैसे बुआ ने कुछ गलत कह दिया। घर में सभी बुआ का बहुत इज्जत करते धे और उनसे डरते भी... अब जवाब देने की बारी आई। 


सबसे पहले बड़की पतोहू ने कहा," मैं बीमार रहती हूँ, मुझसे अकेले पिताजी का सेवा नहीं हो पाएगा। 

नौकर रहेगा तभी संभव है। वह घर का सारा काम करेगा और पिताजी को भी देखेगा, पिताजी के पेंशन से उसे तनख्वाह दिया जाएगा। इसलिए पिताजी को सारा पेंशन मेरे हाथ में देना होगा,तभी मैं भार गछूँगी। 


हाँ मे हाँ मिलाते हुए छोटकी पतोहू ने जोर से कहा ," दीदी बिल्कुल ठीक कह रही है। पिताजी जिसके पास रहेंगे, सारा पेंशन उन्हें देना होगा। अम्मा जब स्वस्थ थी तो घर का सब काम करती थी। मुझे अधिक काम करने का आदत नहीं है।" 


विधुर पिताजी बगल वाले कमरे से सब सुन रहे थे। लाठी ठकठकाते हुए  नजदीक आकर बोले, "मैं तुम दोंनो के पास नही रहूँगा । 


ऐसा सुनकर सब अवाक रह गये, कमरे में खामोशी छा गयी।आखिर, बड़े बेटे ने साहस करके पूछा, " पिताजी, सत्तर बरिस के उमिर में आपको कहाँ रहने का इरादा है?" 


"क्यों? मुझे भगवान ने तीन संतान दिये हैं। मैं बेटी रीना के पास रहूँगा। "


"बेटी के घर मे?" छोटे बेटे ने पिता से सवाल किया। 


"हाँ.....।" पिता ने लाठी पटकते हुए कहा। 


" हमारे साथ क्यों नहीं?" दोंनो बेटे ने एक स्वर से पूछा। 


"क्योंकि तुम दोंनो को मुझसे अधिक मेरे पेंशन से प्रेम है और रीना को सिर्फ मुझसे , इसलिए...! रीना, चलो यँहा से, अब मैं तुम्हारे साथ रहूँगा। " 


ऐसा ही हुआ, पिताजी अपना सामान लेकर बेटी,दामाद के साथ विदा हो गये।


पिताजी के जाते समय भी बेटे,बहू को अधिक दुख उनके पेंशन को लेकर ही था, जो अब उनलोगों के हाथ से फिसल चुका था! 



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