Namrata Pandey

Abstract

1.0  

Namrata Pandey

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पढ़े लिखे लोग

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आभा जी जानी-मानी समाजसेविका थी और महिलाओं के लिए किए गए अतुलनीय समाजसेवी कार्यों के लिए उन्हें कल ही सम्मानित किया गया था . सम्मान समारोह में उन्होंने महिलाओं के हित को ध्यान में रखते हुए एक लंबा चौड़ा भाषण दिया था, जिसकी वीडियो क्लिप वे अपनी बहू को दिखा रही थी. भाषण में वे चिल्ला चिल्ला कर कह रही थी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ.


बहू सान्या जो कि गर्भवती थी अपनी सास के विचारों एवं कार्यो से बहुत प्रभावित हुई. कुछ देर बाद आभा जी ने बहू को अपने साथ चलने के लिए कहा, बहू बोली, मां जी; कहां जाना है तो वे बोली, बेटा तुझे पहले से ही एक बेटी हैं और अगर इस बार भी बेटी ही हुई तो हमारा वंश आगे कैसे बढ़ेगा.चलो मैं तुम्हारे गर्भ का लिंग परीक्षण करवा देती हूँ. अगर इस बार भी बेटी हुई तो हम अबॉर्शन करवा देंगे. सान्या आश्चर्यचकित हो अपनी सास का चेहरा देखती रह गयी फिर बोली,मांजी पहले आप अपने बेटे से तो पूछ लीजिए इसपर आभा जी बोली वह इसके लिए राजी है मैं उससे पहले ही पूछ चुकी हूं .


कामवाली बाई राधा जो यह सब सुन रही थी बोली, मां जी पर होने वाले बच्चे का लिंग परीक्षण करवाना तो गैरकानूनी है और बेटे और बेटी में क्या फर्क होता है देखो मेरी भी तो दो बेटियां हैं और मेरा आदमी तो उन्हें अंग्रेजी स्कूल में पढ़ा रहा है ताकि आगे चलकर मेरी बेटियां पढ़ लिखकर कुछ बन सके. सान्या सोचने लगी उसके पढ़े-लिखे और प्रतिष्ठित परिवार से अच्छे तो कामवाली बाई राधा के परिवार के लोग हैं जो अशिक्षित होते हुए भी इतनी छोटी सोच नहीं रखते हैं और बेटे और बेटी में कोई फर्क नहीं करते हैं.


पर राधा की बात सुनकर , सान्या के अंदर इतनी हिम्मत आ चुकी थी कि उसने अपने पति और सास की बातों का विरोध करते हुए कहा,नहीं मां जी मैं बच्चे का लिंग परीक्षण नहीं करवाऊंगी और बेटा हो या बेटी मैं उसे जन्म दूंगी. आभा जी सानिया का चेहरा देखती रह गई.


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