पूर्णिमा

पूर्णिमा

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पूर्णिमा का जन्म शहर की बदनाम गलियों में हुआ था, जिसे तथाकथित शरीफ लोग लाल बत्ती क्षेत्र कहते हैं।

पूर्णिमा की मां अपनी मजबूरियों के चलते जबरदस्ती इस कीचड़ में ढकेल दी गई थी ,पर वह चाहती थी की पूर्णिमा इस नरक से निकलकर एक अच्छी जिंदगी जिए और उसके लिए उसने पूर्णिमा की पढ़ाई लिखाई में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

पूर्णिमा बचपन से ही पढ़ने में बहुत मेधावी थी और आज उसका ग्रेजुएशन कंप्लीट हो गया है अब वह आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे शहर जाना चाहती थी पर पूर्णिमा की मां भयभीत थी। वह अपनी बेटी को अकेले दूसरे शहर भेजने को लेकर आशंकित थी। पूर्णिमा ने कुछ पंक्तियां लिखकर अपनी मां की शंका को दूर किया। पूर्णिमा ने लिखा-

वृहद आसमा पंख पसारे

उड़ने को है पंख,

साथ मिले तो जरा हौसला

जीतूंगी हर जंग,


विश्वास नहीं मैं डिगने दूंगी

हर तूफान से मैं लड़ लूंगी,

अपना आशीष बनाए रखना

सूरज बनने चमकूंगी।


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