sonal johari

Romance

3.4  

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पार्ट 7: क्या अनामिका बापस आएगी ?

पार्ट 7: क्या अनामिका बापस आएगी ?

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अब तक आपने पढ़ा,कि अंकित की सेलेरी फिक्स हो गई है,और अगले दिन ओफिस मे आते ही राखी ने उसकी ओर फूल बढ़ा दिया है ....अब आगे

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“राखी ...क्या है ये “अंकित ने अचकचाते हुए पूंछा

“ये..इसे गुलाब कहते है”उसने मुसकुराते हुए कहा

“वो तो दिख रहा है….लेकिन मुझे क्यो”

“ओह गोड,तुम भी ..अच्छा सीधे सुनो,आई थिंक आई एम फालिंग फॉर यू”

“क्या...क्या बकवास है ये…जरा साइड मे तो आओ” अंकित ने कहा और दोनों एक केविन मे आ गए

“बकवास नही है ये... मैं सच मे तुम्हारे लिए अट्रैक्शन फील.....”

अंकित बीच मे टोकते हुए ,

“तुम्हें पता भी है ? क्या बोले जा रही हो,तुम्हें पता ही क्या है... मेरे बारे मे” अंकित ने आवेश मे पूंछा

“मन की बातें मन ही तय करता है...दिमाग नही, और कई बार तो एक नजर ही काफी होती है..ये तय करने के लिए कि आप....

अंकित बीच मे टोकते हुए ,“मुझे लगा था तुम इंटेलिजेंट हो,लेकिन तुम तो हद दर्जे की इमोशनल, निकली ,न जाने कौन सी बात से तुम्हें एसा लगा... मुझे नही समझ आ रहा”

“कमी क्या है मुझमे..सो कहो?” राखी ने उदास होते हुए पुंछा

“ब्स्स इसी सवाल की कमी रह गयी थी..अरे “ना” का मतलब हमेशा ये नही होता कि आप मे कोई कमी है ...ये भी तो हो सकता है कि सामने वाला खुद को तुम्हारे लाइक ना मानता हो,.. मैं खुद को नही मानता तुम्हारे लाइक ,तुम सुंदर हो,काबिल हो..तहजीब से भरी हो. तुम मजबूत पिल्रर हो इस कंपनी की.और मुझे देखो॰ ना वर्तमान का पता ना..भविष्य का”

“कोई है क्या, तुम्हारी ज़िंदगी मे “?

“अगर कहूँ है तो तुम खुद कि तुलना करोगी उससे...अगर कहूँ नही है तो तुम गलतफहमी मे रहोगी...बड़ी बात ये...कि मेरे मन मे तुम्हारे लिए एसा कुछ नही ...कुछ है, तो वो है बेहद इज्ज़त...और इतनी कि कोई चीज़ इसके बीच नही आ सकती..जब चाहो आजमा लेना..वादा करता हूँ...जो कभी पीछे हटू,तुमने मुझे इतनी महत्वता दी..इससे बढ़कर क्या हो सकता है...लेकिन अब...मैं ये जॉब छोड़ दूंगा…यहाँ रहकर तुम्हें दुख नही दे सकता”

राखी ने जॉब छोड़ने की बात सुनकर चौंक गयी..

“और राव सर का क्या? जानते हो तुम्हें हाँ बोलने के बाद उन्होने मुझसे क्या कहा? बोले,”इस टाइम पी ए.के तौर पर एक फ्रेशर को रखना बिलकुल ठीक नही,लेकिन अंकित मे ना जाने क्या है जो मुझे उस पर विश्वास करने को मजबूर करता है,...तुम्हारी वजह से वो दुगना काम करते है,बहुत हद तक मुझे और सादिक़ को एक्सट्रा काम करना पड़ता है ,ताकि तुम अच्छी तरह ट्रेंड हो जाओ, और तुम... बदले मे ये दोगे उन्हे... शर्म नही आती ?

“और तुम्हारा क्या” अंकित ने बड़ी संवेदना के साथ पूंछा

“मैं कौन सी मीराबाई हुई जा रही हूँ,तुम्हारे लिए ? आठ दिन भी नही हुए तुम्हें जाने ..वो तो बीच मे वेलेंन्टाइन डे आ गया आज.. तो सोचा..अच्छा भला लड़का है... दोस्ती गहरी हो जाये ...ब्स्स”

“ओह गॉड...तो तुमने पहले एसे क्यूँ नही कहा” अंकित ने अपने सिर के बालों को ऊपर की ओर खींचते हुए कहा

“तुम कहने दो, तब ना ..तुम्हें तो ब्स्स मौका मिलना चाहिए लैक्चर देने का “माथे पर दोनोंहाथ रख सोफ़े पर बैठते हुए राखी बोली

“ओहह सॉरी.....तो अब”

“अब क्या.. चलो तुम्हें सेड्यूल बनाना सिखाऊँ...पर उससे पहले मुझे शर्मा जी कि कॉफी पिलवाओ...दिमाग का दही कर दिया तुमने...साड़ी पहन कितनी खुश थी मैं...सोचा कोई तारीफ करे...तुमसे तो सामने से भी पूंछा लेकिन “ब्स्स सड़ा सा कोमप्लेमेंट...हुम्म !”

राखी कि इस रवैये पर अंकित के चेहरे पर मुस्कान आ गयी ,सारा तनाव घटता सा महसूस हुआ,उसने राखी का मूड अच्छा करने को बोला

“आज तो मेरे मन मे और भी इज्ज़त बढ़ गयी तुम्हारी..साड़ी ही क्या, एसी कौन सी ड्रेस है जिसमे तुम खूबसूरत ना लगो..तुम हर ड्रेस मे खूबसूरत लगोगी “

“लेकिन माँ बोलती है ,कि लड़कियां साड़ी मे ज्यादा खूबसूरत दिखती हैं”

“एसा है मैडम...माओं का अपना नजरिया होता है,और हम लड़कों का अलग”

राखी का मूड अच्छा करने को, जब उसने ने शरारत से मुसकुराते हुए कहा तो ...सोफ़े पर रखा कुशन उठा कर राखी ने अंकित को दे मारा और बोली

“...अं कि त....यू ...कमीने ...अहा हा हा.“

“आहा हा हा हा हा और दोनों हस दिये  ....”अच्छा चलो कॉफी ही क्या, कुछ अच्छा सा साथ मे खिलवाता भी हूँ...और दोनों कॉफी पीने ऑफिस से निकल गए!

अनामिका के घर की ओर मुड़ा ही था...कि लगा कोई पीछे ही चल रहा है पलट कर देखा तो वही थी

अंकित :-अररे आप ?’

अनामिका :-“हम्म...कुछ काम से बाहर गयी थी..वहीं से बापस आ रही थी,..ऑफिस से आकर नोट्स बनाना बहुत थकाऊ लगता होगा ना ? .”

अंकित :-“जब कोई काम पसंद हो ,तो थकान नही लगती अनामिका जी,नोट्स देखे आपने?“

अंकित को यू उसका साथ चलना पसंद आ रहा था...आज सुट पहने थी लेकिन था सफ़ेद ही,

एक बार को तो अंकित के मन मे आया कि पूंछ ले..कि हमेशा सफ़ेद कपड़े ही क्यो पहनती है,अचानक उसके दुपट्टे का एक सिरा जमीन को छू गया,अंकित ने देखा तो बोला “आपका दुपट्टा जमीन को छू रहा है संभालिए, कहीं गंदा ना हो जाये,सफ़ेद रंग की यही परेशानी है,बड़ी जल्दी गंदा हो जाता है”

अनामिका:-“ये गंदा नही होगा...सफ़ेद रंग मुझे बेहद पसंद है...हाँ कुछ नोट्स रिवाइस किए थे खिलजी मुझे बिल्कुल पसंद नही”

अंकित:- (मुस्कुराते हुए ) शायद आप भावुक होकर देख रही हैं...ऐसे तो शायद ही कोई पसंद आए आपको...ये देखिये कि उसी ने सबसे पहले आर्मी को ड्रेस कोड दिया... और सेलेर्री देना भी शुरू किया..ब्स्स हिस्ट्री के अनुसार देखिये”

अनामिका:-“हम्म...सही कह रहे हैं आप”

अंकित:- “अच्छा...(पेपर बढ़ाते हुए) ये बाकी के नोट्स...कल ही मिलता हूँ आपसे”

अनामिका:-ये क्या बात हुई ...घर तक आकर बापस जा रहे हैं...कम से कम चाय तो पीजिए

अंकित:-“चाय कल...मुझे कुछ जरूरी काम है बाजार से ॥प्लीज़...जाना है”

अनामिका ने सिर हिला “हम्म”मे स्वीकृति दी,तो अंकित तेज़ी से मुडा और बाजार के लिए मुड गया,

घर के लिए कुछ जरूरी सामान खरीद ही रहा था कि नजर, एक शो रूम के बाहर सफ़ेद गाउन पहने डमी पर चली गयी, उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी उसके दिमाग मे अनामिका की कही बात घूमने लगी

“सफ़ेद कलर मुझे बहुत पसंद है”क्यो ना इसे खरीद लूँ ,उसके लिए

और उसके दिमाग ने कहा :पागल हुआ है क्या ? कैसे देगा,घर से बाहर तो करेगी ही साथ मे

 बुरा भला बोलेगी सो अलग...

अंकित:-नहीं दूँगा,अपने पास ही रख लूँग बाद मे कभी दे दूँगा लेकिन खरीद लेता हूँ...बहुत मन है

दिमाग:- कर बेबकूफी

अंकित:-अच्छा..पैसे तो पूछ लूँ ...उसमे तो कोई हर्ज़ नही और दिमाग कुछ कहता इससे पहले ही ॥चार से पाँच सीढ़ियाँ फलांगता वो शोरूम मे घुस गया

“जी सर कहिए”

“वो जो व्हाइट गाउन आपने बाहर लगाया हुआ है,क्या प्राइस है उसका?”

“सर...बहुत बेहतरीन पसंद है आपकी..इसकी प्राइस केवल 2700/-रुपये है”

दिमाग:-2700/-रुपये ...पूरा महिना पड़ा है,पहले भी आंटी और अंकल जी के लिए शॉपिंग कर चुका है तू जब सेलेरी मिल जाये तब खरीद लेना यार!

अंकित:-"तब तक ये बिक जाएगी..."

दिमाग:-"तो और कोई आ जाएगी...कोई कमी है क्या ड्रेसेस की ?"

“सर पैक करा दूँ”

दिमाग:मना कर दे

“सर ये डिजाइनर है.. ब्स्स ये एक ही है…जल्द ही बिक जाएगा .है ही बेहद खूबसूरत

अंकित :-(उत्साहित होकर) जी पैक कर दीजिये

दिमाग:-पूरा महिना...अंकित

अंकित:-सम्भाल लूँगा यार...चुप रेह ब्स्स ...अब

बड़ी खुशी खुशी पैकेट हाथ मे लिए शोरूम से बाहर निकला ही था ... कि एक लड़के से टकरा गया

और उस लड़के के हाथ से उसका पर्स नीचे गिर गया... अंकित ने माफी मांगते हुए पर्स उठाया और उस लड़के की ओर बढ़ा दिया... और नज़र पर्स मे लगे फोटो पर चली गयी...

अंकित:- (आश्चर्य से मुँह खोलते हुए ) अ.... ना... मिका.....?


--------------------------------------------------क्रमश---------------



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