nyaay
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गौरी की शादी के कुछ ही साल बाद, उसके पति की असामयिक मृत्यु होने पर। उसे उसके ससुराल वालों ने कुलक्षणी व उनके घर के लिये अशुभ बताते हुए। उसे उसके ससुराल के घर व सम्पति से बेदखल कर दिया। तब एक कुलीन परिवार में जन्मी संस्कारी गौरी ने,बिना किसी विरोध के भाग्य मानकर सब सह लिया। और अपने ससुराल से अलग एक घर मे सिलाई बुनाई आदि छोटे छोटे काम कर अपने इकलौते बच्चे को पालने लगी। आसपास के लोगो को भी उसके साथ हुए इस अन्याय से,उससे सहानुभूति थी। और उसके विनम्र व्यवहार के कारण प्रायः सब उसकी यथा संभव मदद करते। उसने गरीबी में भी बड़े जतन से अपने बेटे को खूब पढ़ाया। ओर ईश्वर पर दृढ़ विश्वास रखते हुए,सदैव सत्कर्मों में लगी रही। फिर जब आज उसके बेटे का चयन, एक बड़ी प्रतियोगिता परीक्षा में हुआ। तब गौरी की खुशी का ठिकाना न रहा। और आज उसके छोटे से घर मे बधाई देने वालो का तांता लगा है। सब यही कह रही है।
की आज यह गौरी के पक्ष में ईश्वर का न्याय है। क्योंकि केवल उसी के घर देर है पर अंधेर नहीं।
