नंदू का आविष्कार
नंदू का आविष्कार
नंदू छोटा था तब से सोचता था, कि मैं कुछ ऐसा करूं की जो हम ईमेल भेजते हैं ,स्काईप पर बात करते हैं ,वैसे ही कंप्यूटर पर जो चाहे खाना वह भेज भी सकें, और मंगवा भी सकें ।
यह सोच सोच कर वह बहुत रोमांचित हो जाता था ,कि वह कुछ ऐसा नया काम करेगा जिससे कंप्यूटर के अंदर से मनचाहा खाना मंगवा सकेगा , और भेज भी सकेगा।
वैसे भी वह खाने का बहुत शौकीन था उसको नित नया खाना पसंद आता था।
जब वह कंप्यूटर पर किसी से बात करता स्काइप पर और सामने वाला उसको कुछ खाने की चीज दिखाता था, उसका मन ललचा जाता, और वह सोचता काश ऐसा हो जाए, कि कंप्यूटर में से खाना मुझे मिल जाए, और मैं यहां से जो भेजना होगा कंप्यूटर पर भेज सकूं तो कितना अच्छा ।
यह काम मैं ही करूंगा। जब वह अपने घर में यह बात करता तो सब बहुत हंसने लगते थे। ऐसा भी कहीं संभव है ।
उनकी हंसी को देखकर उसने बाहर किसी से यह बात नहीं करी।
उसने अब खाना पीना खेलना कूदना सब एकदम कम कर दिया, बस वह स्कूल जाता, या पूरे टाइम साइंस की फेंटेसी की किताबें पढ़ता। अविष्कारों से लगती किताबें पढ़ता, और सोचता एक दिन मैं भी बहुत बड़ा वैज्ञानिक बन जाऊंगा। और इतनी अच्छी इंवेंशन करूंगा कि लोग उसको देखते रह जाएंगे।
और लोग मेरी बहुत वाहवाही करेंगे । मैं बहुत अच्छा वैज्ञानिक बन जाऊंगा, मुझे नोबेल पुरस्कार मिल जाएगा। तब सब लोग मेरे ऊपर नहीं हसेगे और बहुत खुश होंगे मेरी काबिलियत पर ।
एक दिन उसने अपने नाना-नानी से अपनी बात शेयरकरी।और उसने उनको बताया कि मैं एक ऐसा रोबोट बनाना चाहता हूं, जो आवाज के साथ में कंप्यूटर में चला जाए।
मैं यह चाहता हूं कि मैं घर पर बैठा हूं और आपको आपके मनपसंद खाना भेज सकूं, और आपसे अपना मनपसंद खाना मंगवा सकूं। उसके नाना नानी इस बात पर हंसे नहीं और उन्होंने उसको बढ़ावा दिया , उन्होंने सोचा कि इसका साइंस का दिमाग है ।यह कुछ ना कुछ नया कर सकता है ।जो सोचता है, वह करने दिया जाएतो हो सकता है, उसमें से कुछ नया निकल जाए । बच्चे को हतोत्साहित नहीं करना चाहिए। यही सोचकर उन्होंने उसका हौसला बढ़ाया।
और वह इसी सोच के साथ में वह बड़ा होने लगा ।और दिन-रात यही सोचता कि मैं कंप्यूटर से कुछ खाना भेज सकूं और अपनी इच्छा हो वह मंगा सकूं। तो वह इस आविष्कार को करने के लिए वह बहुत किताबें पढ़ने लगा जहां से जो मिलता वह मेटीरियल इकट्ठा करता ,इधर उधर से सब साइंस की और नए नए आविष्कारों के बारे में जानने की किताबें पढ़ने लगा ।
और अपने सपने के आविष्कार को करने के लिए जुट गया। बहुत मेहनत करी बहुत तरह से ट्राई मारा । पर ऐसा कहीं संभव होता है क्या? मगर एक दिन उसने जो मेहनत करी वह रंग लाई। और वह कंप्यूटर से खाना भेजने में सफल हो गया।
और वह जोर जोर से चिल्लाने लगा, मैंने कर दिया मैंने खाना भेज दिया, मैंने ऐसा रोबोट बना दिया जो कंप्यूटर से खाना भी सके, कंप्यूटर से मैंने कर दिया, मैंने कर दिया, मैंने खाना भेज दिया, उसी समय उसके ऊपर उसकी मम्मी ने थोड़ा पानी डाला। वो एकदम से झपक कर जग गया बोलता है, अरे मम्मी यह क्या करा तुमने ,मैं तो कंप्यूटर पर खाना भेज रहा था ।
और मेरा अविष्कार सफल हो गया था। फिर उसको लगा वो तो सपना देख रहा था। सपने में उसका अविष्कार सफल हो गया है।
और नामुमकिन मुमकिन हो गया है। सपने में ही सही पर वो सफल तो हुआ।
