नीरस इनसान
नीरस इनसान
ईश्वर ने कई सारे जीव बनाए। और पैड पोधे और प्रकृति बनाई।
ईश्वर ने मनुष्य भी बनाए,सजीव श्रृष्टि में सब से बुद्धिशाली इनसान बनाया।
ईश्वर का बनाया हुआ सब से बेहतरीन ग्रह पृथ्वी जिसे इनसान ने धीरे धीरे से बत्तर बनाया।
ईश्वर के नियम और सिद्धांत कभी नहीं बदले और कभी बदलेंगे भी नहीं।
लेकिन इनसान की बुद्धि इतनी बदलती गई जिसका कोई अंदाजा नहीं लगा सकता।
रंगीन प्रकृति जिसमें कई रंग है।कितने मीठे पंछी ओ के स्वर है। ऋषिओ की तरह तपस्या करते वृक्ष और वन बनाए।
हर एक सर्जन ईश्वर का अपने आप में विशिष्ट है।ईश्वर ने इनसान को सब छुट दी लेकिन विवेक बुद्धि क्या सही क्या गलत सोचने की क्षमता को अगर ईश्वर ने अपने हातो में रखी होती तो अच्छा होता।
मनुष्य आज खुद को ईश्वर मान बैठा है।
मनुष्य को ज्ञात है कि ईश्वर का उसके देह में विराजमान है फिर भी इनसान इंसानियत छोड़ कर बदमाशी करता है तो क्या उसी इनसान को यह पता है कि श्रृष्टि के सृजनकर्ता जब अपनी लाठी से सबक देगे तो नीरस इनसान कहीं का नहीं रहे गा।
जीव और प्राणी को इनसान जितनी बुद्धि नहीं है पर विडंबना तो यह है कि आने वाले समय में मनुष्य जितना नीरस कोई नहीं होगा।