मनुष्य सुधर जाओ
मनुष्य सुधर जाओ
हम सारे मनुष्य वैसे तो अपने मां बाप की संतान है।लेकिन एक अलग नजरिया यह भी है कि हम ईश्वर की संतान है।मुझे यह बात रोचक लगती है,क्योंकि दुनिया किसने बनाई वह तथ्य विज्ञान ने पूर्णतः नहीं खोजा परन्तु हमारे कई धर्मशास्त्रों में संकेत दिए हुवे जो ऐसे इशारा करते है कि दुनिया ईश्वर और एक परम शक्ति ने बनाई है।में ऐसी बातों को आध्यात्मिक कहती हूं नहीं की धार्मिक।
ईश्वर की दुनिया की सबसे अकलमंद संतान अगर हम मनुष्य है तो अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारना हमें किसने सिखाया।क्यों हम ऐसे प्रयोजन और प्रयोग करते है जिससे दुनिया म
ें विनाश हो।ऐसे कर्म क्यों करे जिससे हम खुद पर शर्मिंदा हों।
विज्ञान और धर्म के नाम पर टेक्नोलॉजी और विकास के नाम पर कितने गहरे कुवे में हम खुद को छलांग लगवा रहे है वह हम खुद भी नहीं जानते।मुझे लगता है जब इंसानों में संतोष बाट रहा था ईश्वर तब चालक इंसान ने अपनी थाली के बदले छलनी लेकर ईश्वर को भी छला होगा।
ईश्वर को इंसान पर से भरोसा उठ जाए और ऐसा दौर आए की भगवान नास्तिक हो जाएं है मनुष्य सुधर जाओ।
विश्व को युद्ध की और ले जाने वाले तथ्यों को हमें धीरे से हमारी ज़िन्दगी से निकाल फेंकना होगा।