नई उड़ान
नई उड़ान


बात उन दिनों की है जब नेहा ने स्कूल पास करके आगे की पढ़ाई के लिए कॉलेज जाना शुरु किया।
क्योंकि कॉलेज की पढ़ाई नेहा अपने परिवार के सिद्धांतों के विरुद्ध जाकर कर रही थी इसीलिए उसको बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
नेहा के पिताजी की इच्छा थी कि वह आर्ट कॉलेज में दाखिला ले क्योंकि आर्ट कॉलेज घर के पास थोड़ी ही दूरी पर था ।
लेकिन नेहा तो साइंस की स्टूडेंट थी .....और उसको आर्ट्स में कोई इंटरेस्ट नहीं था । तो उसने भी साफ-साफ कह दिया अगर मैं आगे पढ़ाई करूंगी तो साइंस से ही वरना नहीं।
साइंस कॉलेज नेहा के घर से काफी दूर था समझ लीजिए कि शहर से बाहर...... अब ऐसे में उसके पास कोई भी साधन नहीं था कॉलेज जाने के लिए।
ज्यादातर साइकिल ना होने की वजह से नेहा कॉलेज नहीं जा पाती थी जिसके कारण पढ़ाई पर बहुत असर पड़ रहा था ।
ऐसे समय में नेहा की सखियों ने बहुत साथ दिया कोई उसको नोट्स ला कर देता तो कोई प्रैक्टिकल की फाइल सप्ताह में एक दिन कॉलेज जाकर वह घर पर ही सब कुछ कर लेती थी । हालांकि बहुत मुश्किल होता था नेहा के लिए पर सारी सहेलियों के साथ से यह सब आसान होता चला गया।
नेहा की लगन देखकर कुछ दिन के पश्चात उसके पिताजी ने उसको नई साइकिल लाकर दी ।
इतने दिनों तक साइकिल ना होने की वजह से नेहा नें परेशानी उठाई उसके लिए पिताजी बहुत शर्मिंदा भी हुए उनको यह लग रहा था कि मुश्किल हालात से डरकर नेहा उनकी बात मान लेगी लेकिन शायद उनको यह नहीं पता था की......
एक दूजे के साथ से बन जाएगी हर बात
साथ हो जब यार तो क्या मुश्किल हालात "
सच में उन मुश्किल हालातों के समय जो नेहा की सहेलियों ने उसका साथ दिया और उसके सपनों को पूरा करने के लिए उसके पंखों को एक नई उड़ान दी जिसका एहसान चुका पाना शायद नेहा के लिए संभव नहीं था।