नदी व स्त्री
नदी व स्त्री
नदी किनारे बैठी रीमा सोच रही थी कि स्त्री व नदी की आत्मकथा एक समान है। दोनों का जन्म तो स्वतंत्र अस्तित्व के साथ होता है। दोनों ही जीवनदायिनी है। दोनों की नियति एक है। आखिर में स्त्री परिवार व नदी समुद्र में विलीन हो अपना अस्तित्व मिटा देती हैं।