Saroj Prajapati

Inspirational

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Saroj Prajapati

Inspirational

लोग क्या कहेंगे

लोग क्या कहेंगे

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संडे का दिन था रजनी जल्दी जल्दी घर के काम निपटाने में लगी थी, उसकी 13 साल की बेटी महक भी आज अपनी मम्मी के साथ खुशी-खुशी काम में हाथ बंटा रही थी। मौका भी तो खुशी का था। रजनी के बड़े जेठ जी के बेटे की शादी थी । घर की पहली शादी थी इसलिए सभी बहुत उत्साहित थे।

काम निपटाकर दोनों मां बेटी शादी के कपड़ों की शॉपिंग के लिए निकल गई। शादी का सीजन था इसलिए बाजार में बहुत भीड़ थी। महक को कपड़े दिलाने के बाद रजनी अपनी साड़ी खरीदने के लिए एक दुकान में गई। 


दुकान में ज्यादा भीड़ तो नहीं थी, फिर भी चार पांच महिलाएं बैठी ही हुई थी।

उसके अंदर आते हैं दुकानदार ने उसका अभिवादन करते हुए कहा "बहन जी किस तरह की साड़ियां दिखाऊं आपको!" रजनी ने उन्हें बताया तो वह बोले बस 5 मिनट रुके उसके बाद आपका ही नंबर है।

थोड़ी देर में दो महिलाएं शॉपिंग करके चली गई तो दुकान में काम करने वाले लड़के उसे साड़ियां दिखाने लगे।


अभी उसने साड़ी देखनी शुरू ही की थी कि महक बोली "मम्मी प्लीज चलो ना कितनी देर लगाओगे आप!"


" बेटा अभी तो मैंने साड़ियां देखनी शुरू की हैं। थोड़ा समय तो लगेगा। रुक जाओ इतनी भी क्या जल्दी!"

रजनी को कोई भी साड़ी पसंद आती तो वह महक को दिखाते हुए पूछती

"कैसी लग रही है बेटा " लेकिन महक, महक का तो पता नहीं क्यों मूड खराब था।

कुछ देर तो रजनी ने ध्यान नहीं दिया। फिर एक दो बार उसने कनखियों से देखा तो उसे वह कुछ असहज महसूस हुई।

तभी उसकी नजर दुकान में काम करने वाले एक लड़के पर पड़ी‌ जो लगभग 25 साल का होगा। उसने देखा वह बहुत ही गंदे तरीके से लगातार महक को घूर रहा , साथ ही कुछ इशारे भी कर रहा था।

देखते ही रजनी का खून खौल गया। अब उसे अपनी बेटी की परेशानी समझ आई। रजनी ने चुपचाप अपना फोन निकाला और उसका वीडियो ऑन कर इस तरह से रख दिया कि जिससे उस व्यक्ति की सारी हरकतें उसमें कैद हो जाए।

दुकानदार और वहां बैठे ग्राहक सभी अपने काम में व्यस्त थे इसलिए किसी का भी ध्यान उस ओर नहीं गया। फिर वह धीरे से उठकर उस व्यक्ति के पास पहुंची और उसका कॉलर पकड़ उसे नीचे घसीटते हुए, उसके चेहरे पर दो थप्पड़ जड़ दिए। अचानक से हुई इस अप्रत्याशित घटना से वह व्यक्ति हड़बड़ा गया और वहां बैठे सभी लोग चौंक पर उस ओर देखने लगे।

दुकान मालिक ने रजनी से कहा "बहन जी यह क्या बदतमीजी है!"

"बदतमीजी मैं नहीं ,यह जनाब कर रहे थे, इतनी देर से! पूछिए इनसे!"

तब तक वह व्यक्ति सतर्क हो गया था। वह संभलते हुए बोला "मैंने क्या बदतमीजी की है। मैं तो अपना काम कर रहा था, पूछ लो किसी से भी!"

"मुझे किसी से पूछने की जरूरत नहीं है। मैंने खुद तुम्हें अपनी आंखों से देखा है । कितनी ही देर से तुम बुरी तरह से मेरी बेटी को घूर रहे थे और इशारे भी कर रहे थे!"

सुनकर वह पहले तो अपनी चोरी पकड़े जाने पर एक बार हड़बड़ा गया।

फिर ढीठ बनते हुए बोला " मैडम आप बेबुनियाद आरोप लगा रही है मुझ पर! क्या सबूत है आपके पास!"


"हां हां बहन जी, यह तो कई सालों से मेरे पास काम कर रहा है। आज तक किसी ने भी ऐसी शिकायत नहीं की और आप! ऐसे बेबुनियाद आरोप लगाकर आप, मेरी दुकानदारी खराब कर रही हो!"

"भाई साहब, हमारे समाज में तो वैसे भी अक्सर बेटियों के साथ होने वाले हर गुनाह को नजरंदाज कर दिया जाता है। फिर मैं तो एक मां हूं ‌भरे बाजार में ऐसे ही किसी पर झूठा आरोप नहीं लगाऊंगी। जब बात मेरी बेटी से जुड़ी हो! आपको सबूत चाहिए, यह लीजिए।" कहते हुए रजनी ने वीडियो ऑन कर दी। जिसे देख दुकानदार सहित वहां बैठे सभी लोग हक्के बक्के रह गए और वह आदमी तो अपनी गुनाह पकड़े जाने पर डर के मारे पसीना पसीना हो गया।दुकानदार ने उसे दो चार थप्पड़ रसीद करते हुए, खूब खरी-खरी सुनाई और काम से निकालने की धमकी देते हुए रजनी से माफी मांगने लगा।

यह सुनकर रजनी बोली "इतना भर इसकी सजा नहीं है। मैं इसे अभी पुलिस के हवाले करती हूं। कुछ दिन हवालात में रहेगा। तब इसकी अक्ल ठिकाने आएगी। अगर हमने इसे ऐसे ही छोड़ दिया तो इसे क्या सबक मिलेगा! "


सुनकर दुकानदार व वहां बैठे लोग बोले " छोड़ो बहन जी, यह तो दो-चार दिन में छूट जाएगा लेकिन इससे आपकी बेटी की बदनामी भी हो सकती है।"

"मेरी बेटी की बदनामी !!!! इसने कौन सा गुनाह किया है!!!!!और इस डर से मैं इसे ऐसे ही छोड़ दूं, कभी नहीं ! यही तो हम लोगों की कमजोरी है। जो ऐसे लोगों को ऐसी घिनौनी करतूतें करने पर बढ़ावा देती है। घर वालों का साथ ना मिलने पर या आवाज दबा देने पर कितनी ही बेटियां अपने साथ होने वाले इस तरह के व्यवहार को या तो देख कर भी नजरंदाज कर देती है या खून का घूंट पीकर रह जाती है और कई बार तो अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर देती है।ऐसे लोगों को जब तक सजा नहीं मिलेगी, तब तक उनको अक्ल नहीं आएगी।" कहते हुए रजनी ने पुलिस को फोन मिला दिया।

कुछ ही देर बाद पुलिस आई और उस व्यक्ति को पकड़ कर ले गई। थाने जाकर रजनी ने वह वीडियो सबूत के तौर पर वहां जमा करा दी। घर आकर उसने सारी बातें बताई तो सभी परिवार वालों ने उसके इस काम के समर्थन के साथ ही सराहना भी की ।

रजनी ने महक को भी समझाते हुए कहा "बेटा, मैंने बचपन से ही तुम्हें गुड टच बैड टच के बारे में बताया। फिर बड़ा होने पर कितना खुलकर आप से इन सब के बारे में बात करती थी। उसके बाद भी आप यह सब देखते हुए भी चुप रही!"

"सॉरी मम्मी, मैं डर गई थी कि लोग क्या कहेंगे!"

"बेटा लोगों की चिंता तुम मत करो। आपका परिवार आपके साथ है। कुछ भी गलत देखो तो उसका विरोध करो हम सदैव तुम्हारे साथ हैं।" महक सहमति में सिर हिलाते हुए अपनी मम्मी के गले लग गई।

आज रजनी को तसल्ली थी कि अतीत में जिन बुरे अनुभवों व मानसिक प्रताड़ना से वह गुजरी। उसने अपनी बेटी को उनसे बचा लिया।

आज भी याद है उसे कितनी बार मार्केट में चलते हुए कोई भी बुरे तरीके से छू देता या कुछ कहता या तो वह चुप रहती। अगर कभी भी उसने घरवालों को बताने की कोशिश की तो उन्होंने हर बार यह कहते हुए उसे ही चुप करा दिया कि भीड़ में हो जाता है ऐसे!

अरे घूरने दो उसे! तुम मत देखो ना उसकी तरफ! ध्यान से चला करो!!!! सिर झुका कर चला करो!!!! रास्ते में मत हंसा करो!!!सारी सीख उसके लिए ही थी इसलिए उसने घर में बताना ही छोड़ दिया था।

महक के पैदा होने पर उसने ठान लिया था कि जिस बुरे अनुभव से वह गुजरी, मेरी बेटी नहीं गुजरेगी। मैं हर सुख दुख में उसके साथ खड़ी रहूंगी! आज अपनी बेटी का साथ देकर अतीत के बुरे अनुभव का जो बोझ उसके दिल पर था । काफी हद तक छंट गया और वह खुद को हल्का महसूस कर रही थी।



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