रूहानी है मोहब्बत तेरी मेरी
रूहानी है मोहब्बत तेरी मेरी
काजल और रोहन स्कूल के साथ-साथ कॉलेज के भी साथी थे। कालेज में आते आते रोहन को काजल के प्रति लगाव महसूस होने लगा था । लेकिन काजल, रोहन को सिर्फ अपना एक अच्छा दोस्त समझती थी।
आज कॉलेज का लास्ट डे था। रोहन ने पक्का इरादा कर लिया था कि वह आज काजल को अपने दिल की बात कह कर ही रहेगा। कॉलेज के बाद रोहन ने उससे कहा "मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं काजल!"
"हां बोलो रोहन!"
"काजल ,आज जो मैं तुमसे कहना चाहता हूं ।हो सकता है सुनकर तुम्हें अच्छा ना लगे ।"
"बोलो, रोहन ऐसी क्या बात है!"
" मैं, तुमसे प्यार करता हूं काजल और तुम्हारे साथ जिंदगी गुजारना चाहता हूं ।"
" रोहन ,मैंने तुम्हारी आंखों में छुपे इन भावों को बहुत पहले ही पढ़ लिया था। मुझे भी तुम पसंद हो। रोहन मेरे माता पिता मुझ पर बहुत विश्वास करते हैं और मैं उनके इस विश्वास को तोड़ना नहीं चाहती। वैसे भी जब तक हम पैरों पर खड़े नहीं हो जाते, तब तक शादी जैसी बड़ी जिम्मेदारी के बारे में सोचना जल्दबाजी होगी।"
"मैं तुम्हारी बातों से सहमत हूं काजल। आज मैं सिर्फ तुम्हारे मन की बात जानना चाहता था। मैं जल्द ही अपने परिवार के साथ तुम्हारा रिश्ता मांगने आऊंगा । तुम मेरा इंतजार करना।"
एक दिन शाम को रोहन अपने माता पिता के साथ उनके घर आया। काजल ने अपने माता-पिता से उसका परिचय कराया । रोहन के पिता ने रोहन के रिश्ते के लिए उनसे बात की।
सुनकर वह बोले "भाईसाहब रोहन अच्छा लड़का है। लेकिन हमारे समाज में अभी भी अपनी ही बिरादरी में शादी ब्याह किए जाते हैं मुझमें इतनी हिम्मत नहीं कि मैं समाज के नियम कायदों के विरूद्ध चल सकूं ।"
"आप कैसी बातें कर रहे हैं भाईसाहब। हमें समाज की नहीं अपने बच्चों की खुशियां देखनी चाहिए। फिर रोहन भी तो अच्छी नौकरी करता है। सिर्फ समाज के डर से हम बच्चों की खुशियों का गला घोट दे यह तो जायज नहीं।"
काफी समझाने के बाद भी वह नहीं माने और जल्द ही उन्होंने काजल के लिए एक रिश्ता देख उसकी शादी तय कर दी।
1 महीने के अंदर काजल की शादी हो गई। फेरे लेते समय काजल ने रोहन की यादों व अपने अरमानों को अग्निकुंड में स्वाहा कर, अपनी ससुराल में कदम रखा। शादी की सभी रस्मों से निपटने के बाद काजल अपने कमरे में पहुंची और अपने पति का इंतजार करने लगी। लेकिन रातभर वह नहीं आया। सुबह जब उसने अपनी सास से पूछा तो वह बोली " उसे अचानक जरूरी कोई काम पड़ गया था इसलिए जाना पड़ा। "
उसका पति उससे कटा कटा व अक्सर बाहर ही रहता। पूछने पर वो टाल जाता। एक दिन जब उसने ज्यादा ही जोर दिया तो वह गुस्से से बोला " मैने यह शादी सिर्फ अपने परिवारवालों की खुशी के लिए की है। मैं किसी और से प्यार करता हूं।"
"तुमने अपने परिवारवालों की खुशी के लिए मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी।" काजल गुस्से से बोली।
" तुम्हें क्या दुख है ।इतना बड़ा घर है, पैसे हैं ।तुम जैसे चाहे रह सकती हो लेकिन मुझसे प्यार या पतिधर्म की उम्मीद बिल्कुल मत करना। "
तभी काजल की मम्मी का फोन आ गया ।उसकी आवाज का दर्द महसूस कर उन्होंने कारण पूछा तो वह रोने लगी और सारी बातें बतायी। सुनकर काजल की मम्मी को यकीन ना हुआ कि उनकी बेटी इतने दिनों से नर्क में जी रही थी।
काजल के पिता को आज अपने फैसले पर पश्चाताप हो रहा था। समाज के डर से उन्होंने अपनी बच्ची की खुशियों का गला घोट दिया था। लेकिन अब और नहीं।
अगले दिन जाकर वह काजल को लिवा लाए।
वहां से आने के बाद काजल ने फिर से पढाई शुरू कर दी। इस व्यस्तता में वह अपने दुख को भी भूल गई।एक दिन वह सब किसी शादी में दूसरे शहर गए थे। वहां रोहन को देखकर सभी चौंक गए। रोहन ने काजल को शादी की मुबारकबाद दी। सुन काजल फीकी सी हंसी हंसते हुए पूछा " तुम यहां कैसे!"
"तुमने शादी से इनकार कर दिया था इसलिए हमें तो उस शहर से नफरत हो गई थी और ट्रांसफर यहां करवा लिया ।" रोहन ने हंसते हुए कहा।
" शादी की! कहां है तुम्हारी बीवी। मिलवाओगे नहीं!"
"शादी की होगी, तभी तो बीवी से मिलवाएगा ! जनाब एक लड़की से प्यार करते थे। उसकी शादी कहीं और हो गई तो कहते हैं, शादी ही नहीं करूंगा।" पीछे से आते हुए काजल का कजिन बोला।
" शुभम , यह तुम्हारी कजिन !"
"हां यार। लेकिन भगवान ने इसके साथ बहुत बुरा किया!" कह उसने रोहन को सारी बातें बताई। सुनकर रोहन को विश्वास ही नहीं हुआ। वह तो सोचे बैठा था कि काजल अपनी घर गृहस्ती में खुश होगी। रोहन ने इधर उधर देखा लेकिन उसे काजल कहीं नजर नहीं आई। वह जा चुकी थी।
दो दिन बाद रोहन काजल के घर गया और फिर से शादी का प्रस्ताव रखा। सुनकर काजल के माता-पिता बहुत खुश हुए ।"बेटा हम एक बार गलती कर चुके हैं लेकिन अब नहीं हमारी तरफ से हां है। "
"लेकिन मेरी तरफ से ना है !" काजल ने कहा।सुनकर किसी को भी अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ
रोहन ने कहा "काजल क्या कमी है मुझमें ।"
" कमी तुममें नहीं रोहन, कमी मुझमें है। मैं अब वह काजल नहीं रही। मुझसे तुम्हें अब हमदर्दी तो हो सकती हैं प्यार नहीं! मैं एक बार टूट चुकी हूं । बड़ी मुश्किल से मैंने खुद को संभाला है और इस बार टूटी तो फिर खुद को नहीं संभाल पाऊंगी।" कहकर वह रोने लगी।
"काजल, इतने वर्षों में क्या तुम मुझे इतना ही पहचान पाई ! मेरा प्यार जिस्मानी नहीं रूहानी है। मैंने तुम्हे दिल से नहीं आत्मा से स्वीकारा है। चाहे तुम मेरी बनो या ना बनो लेकिन मैं तुम्हें यूंही जी जान से चाहता रहूंगा। !"
"मुझे यह रिश्ता मंजूर है रोहन।" काजल के मुंह से हां सुन सभी की आंखें खुशी से नम हो गई। काजल के माता पिता ने दोनों के सिर पर आशीर्वाद रूपी हाथ रख दिया।