Saroj Prajapati

Others

3.0  

Saroj Prajapati

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अपशगुन

अपशगुन

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कमला को अपनी बेटी की शादी की चिंता खाए जा रही थी। वो कहते है न देनदार के लिए सूद और मां बाप के लिए बेटी की बढ़ती उम्र हमेशा ही चिंता का विषय रही है। यूं तो उसकी बेटी सुंदर सुशील, पढ़ी लिखी अपने पैरों पर खड़ी थी लेकिन पता नहीं कहीं भी बात नहीं बन पा रही थी। 

एक दिन उसकी एक पुरानी सहेली उससे मिलने आई। बातों ही बातों में कमला ने उसे अपनी समस्या बताई। इतना सुनते ही उसकी सहेली मीना तपाक से बोली " अरे, इतनी सी बात। पहले क्यों नहीं बताया तूने! कल ही तुझे अपने पंडित जी के पास लेकर चलूंगी। बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान है उनके पास।" सुन कमला की चिंता पर राहत के कुछ छींटे पड़े।

अगले दिन दोनों पंडित जी के पास गए। पंडित जी ने मोटी सी दक्षिणा लेकर कुछ उपाय बताए। इसे संयोग कहें या पंडित जी के बताए उपायों का प्रभाव, कमला की बेटी का रिश्ता एक बहुत ही अच्छी जगह तय हो गया। अब तो कमला का अपनी सहेली के लिए सम्मान और पंडित जी के लिए आस्था दोनों ही बढ़ गई।

कमला शादी की सारी तैयारियां पंडित जी व मीना की देखरेख में करने लगी। शादी के लिए कपड़े, जेवर व अन्य सभी चीजें शुभ मुहूर्त देख कर खरीदी गई।

शादी में दो तीन दिन ही रह गये थे। रिश्तेदारों ने भी आना शुरू कर दिया था। शादी में कमला की बड़ी बहन भी आई। उसे देखते ही मीना का माथा ठनक गया। कमला अपनी बहन को चाय नाश्ता करा, जब बाहर आई तो मीना बोली " कमला तूने पहले नहीं बताया कि तेरी बहन विधवा है।"

" क्या बताऊं जीजा जी तो बहुत पहले ही चल बसे थे। जिज्जी ने खूब दुखों से बच्चों को पाला। पर अब बेटा बहू खूब सेवा करते हैं इनकी।"

" वो सब तो ठीक है। पर तू बुरा मत मानना। शादी के शुभ कामों से अपनी दीदी को थोड़ा दूर ही रखना। तू समझ रही है न। वैसे भी बड़ी मुश्किल से यह रिश्ता मिला है।"


" कह तो तू सही रही है। पर जिज्जी को कैसे कहूं? वो बुरा मान जाएंगी।" कमला चिंतित होते हुए बोली।

"अरे, तू इसकी चिंता मत कर। मैं सब संभाल लूंगी। बस तू चुप रहना।"

शाम को जब सब चाय पी रहे थे तो मीना बोली " कमला सुबह पंडित जी ने एक छोटी सी पूजा के लिए कहा है। लेकिन उसमें केवल सुहागनें ही भाग लेंगी और प्रसाद भी उन्हें ही दिया जाएगा। आगे की रस्मों के लिए इस बात का विशेष ध्यान रखने के लिए कहा है।"

मीना की बातें सुन कमला की बहन की आंखों में आंसू आ गए। उसने कमला की ओर देखा किंतु वह बिना कुछ कहे मुंह फेर चली गई।

अपनी छोटी बहन का ऐसा व्यवहार देख उसे बहुत बुरा लगा। सुबह उन्होंने अपना सामान उठाया और तबीयत ठीक न होने का बहाना कर चली गई। कमला ने भी उन्हें ज्यादा रोकने की कोशिश नहीं की। वो तो जैसे चाह ही रही थी कि किसी तरह ये अपशगुन टल जाए।

अगले दिन कमला ने खूब धूमधाम से शादी कर बेटी को विदा किया। लेकिन कुछ दिनों बाद ही बेटी की ससुराल वालों से अनबन रहने लगी। आए दिन वह लड़ झगड़ मायके आ बैठती। कमला ने पंडित जी से पूछ अनेक उपाय किए लेकिन एक उपाय भी काम न आया और शादी टूट गई।

कमला के दुख की कोई सीमा न थी। लेकिन एक बात उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी कि एक एक काज शुभ मुहूर्त देखकर किया। एक ही समस्या या कहो अपशगुन था, वो भी स्वयं ही टल गया था। फिर भी शादी कैसे टूट गई।



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