Padma Agrawal

Tragedy

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Padma Agrawal

Tragedy

नैरोमाइंड

नैरोमाइंड

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“मॉम आप कब से इतनी नैरोमाइंड हो गई हैं ? ऐसा क्या हुआ है?’’

“ क्यों इतनी परेशान हो रही हो?’’

“सब ठीक हो जायेगा, आजकल ये कोई इतनी बड़ी बात नहीं है। हाई सोसायटी में यह सब होता रहता है। मैं आज ही उज्ज्वल से बात करती हूं। “

तरु के एक एक शब्द निशि के रोम रोम को घायल कर गये थे। कितने नाजों से उन्होंने अपनी बेटियों को पाला था।

निशि और नवल ने तिनके तिनके जोड़ कर यह घर बसाया था। उसने अपनी सारी इच्छाओं और अरमानों को होम कर इन्हीं बेटियों के ऊपर अपना जीवन कुर्बान कर दिया था।

साधारण परिवार में जन्मी निशि को पढ़ाई के साथ डांस और एक्टिंग का जन्मजात शौक था। स्कूल में उसकी प्रतिभा निखारने में उसकी डांस टीचर मिस. ज्वैल का बहुत बड़ा हाथ था। उन्होंने उसके गुण को परखा और उसे निखारने मे अपनी जान लगा दी थी। उसने भी उन्हें निराश नहीं किया और स्कूली शिक्षा के दौरान ही शील्ड और मेडल के ढेर लगा दिये थे।

जब वह विश्वविद्यालय पहुंची तो सहशिक्षा के कारण उसके माता पिता ने इस तरह के कार्यक्रमों से दूर रहने की हिदायत कर दी। उनका कहना था कि जो मन हो अपने घर में जाकर करना। वह मन मार कर इन डांस और एक्टिंग से दूर हो गई, लेकिन मन में बहुत कसक होती थी। ग्रैजुएशन पूरा होते ही नवल के साथ उसका विवाह हो गया था। अपनी आँखों में रंगीन सपनों को सजा कर वह नवल के साथ उसके घर आ गई थी।

नवल बैंक में कैशियर थे। सामान्य रूप से उसे कोई कमी नहीं थी। सीधे सादे नवल उसको बहुत प्यार करते थे। लेकिन उसका शौक और सपना मन के अंदर ही अंदर हिलोरें मार रहा था। उसने किसी तरह मुश्किलों में नवल को एक डांस स्कूल में काम करने के लिये किसी तरह से राजी कर लिया था तभी निया के आने की आहट का उसे एहसास हुआ था। निया छोटी थी तभी गोल मटोल रिया उसकी गोद में आ गई थी और फिर तो उसकी दुनिया ही बदल गई थी। दोनों बेटियों की परवरिश में वह अपने को ही भूल गई थी। उसे अपनी खुशहाल जिंदगी प्यारी लगने लगी थी।

जब छोटी छोटी निया और रिया अपने नन्हें नन्हें पैरों को उठा कर नाचतीं तो उसका मन खिल उठता था। और अनायास ही उन्हें स्टेज पर डांस करते हुये देखने की कल्पना करने लगती थी।

निया और रिया दोनों को पढ़ाई के साथ साथ डांस स्कूल में भी एडमिशन करवा दिया था। जल्दी ही उन लोगों डांस में कमाल दिखाना शुरू कर दिया था। निया को स्टेज पर डांस करते देख उन्हें अपने सपने साकार होते दिखाई देने लगे थे। वह मन ही मन फूली नहीं समाती थीं।

एक दिन नवल नाराज़ होकर बोले, ’’बहुत हो गया, अब तुम लोग अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। अपना कैरियर बनाने के बारे में सोचो।‘’

निशि नाराज़ होकर पति से झगड़ पड़ी थी, ‘’तुम बैकवर्ड हो, अब समय बदल चुका है, पढ़ाई के सिवा दूसरी चीजों में कैरियर बनाया जा सकता है। और उसमें भी बहुत स्कोप है।‘’

उसने पति से अनबोला साध लिया था, इसलिये आखिरकार नवल ने हार मान कर चुप्पी साध ली थी।

अब तो क्या दोनों डांस और एक्टिंग में बिजी रहतीं। ऩिया का रुझान डांस से अपने आप ही हट गया और वह अपने कंपटीशन की तैयारी में जुट गई थी। उसका इंजीनियरिंग में एडमिशन हो गया था। नवल निया के एडमिशन से बहुत खुश हुये थे। वह उसे दिल्ली होस्टल में पहुंचा कर आये। वह बार बार निया की तारीफ करते और रिया को भी ये सब छोड़ कर पढ़ाई में मन लगाने को कहते तो वह नाराज़ हो उठतीं थी।

माँ का वरद् हस्त होने के कारण रिया एक्टिंग और डांस के साथ साथ ग्लैमरवर्ल्ड की ओर आकर्षित हो गई थी। आये दिन उसके स्टेज प्रोग्राम होते। स्टेज पर बेटी को डांस करते देख अपने सपने साकार होते देख वह खुशी से फूली न समाती।

नवल रिया के काम से खुश नहीं था। वह अपने ग्रुप के साथ अक्सर दूसरे शहरों में जाती, अक्सर रात में देर से आती। शुरू में तो निशि बेटी के साथ जाया करती थी फिर मुश्किल होने लगी थी। उसके उल्टे सीधे कपड़े नवल को बिल्कुल भी पसंद न आते लेकिन उसके बोलते ही निशि नाराज़ होकर उससे लड़ने लगती।

एक दिन नवल ने कहा कि रिया तुम्हारे हाथ से निकल रही है। उन्होंने रिया को दबी जुबान में समझाने का प्रयास किया लेकिन उसने उनकी बातों को मज़ाक में उड़ा दिया था।

“मॉम मुझे दो हजार रुपये चाहिये।‘’

“क्यों, अभी कल ही तो तुमने पापा से दो हजार रुपये लिये थे।‘’

“मॉम, सब मुझसे पार्टी मांग रहे थे। उसी में सब खर्च हो गये।‘’

“मनोहर जी ने तुम्हें पेमेंट नहीं किया।‘’

“खर्च नहीं होता क्या? कॉस्मेटिक, ड्रेस ,सैण्डिल पर्स वगैरह खरीदना पड़ता है। सेलीब्रेटी बन गई हूं तो टिपटॉप भी तो रहना पड़ता है। अब गाड़ी भी जल्दी ही लेनी पड़ेगी। उसके हवा हवाई सपनों की बातें सुन वह भी हवाई किले बनाने लगीं थीं। रिया उनके पैरों से लिपट गई और वह पिघल उठीं। रुपये हाथ में आते ही वह फुर्र हो गई थी। जाते जाते वह बोली मॉम आज मेरा रिहर्सल है इसलिये देर से आऊंगीं।

उस दिन उनका माथा ठनका, कल तो रिया ने बताया था कि इस हफ़्ते उसका कोई शो नहीं है।

नवल रिया.....रिया....पुकारते हुये घर में आये।

‘’क्या हुआ, रिया का आज रिहर्सल है, इसलिये वह देर से आयेगी।‘’

“वह झूठ पर झूठ बोलती रहेगी और तुम आँख बंद करके उसकी बात पर विश्वास करती रहना। पति की नाराज़गी देख कर वह डर गई थी। घर के अंदर बैठी हुई हो, आज मैंने उसे देखा था वह किसी लड़के की बाइक पर पीछे उससे चिपक कर बैठी थी। लड़के के लंबे लंबे बाल थे, एकदम आवारा सा लग रहा था। और तो और बाइक बहुत तेज चला रहा था।

 वह सचमुच घबरा उठी थी क्यों कि कई दिन से वह उनकी कोई बात नहीं सुनती थी और वह झूठ भी बोलने लगी थी।

उनकी आँखों की नींद उड़ गई थी। उन्होंने कई बार फोन मिलाने के लिये सोचा परंतु उनकी हिम्मत नहीं पड़ी क्योंकि उसने मना कर रखा था कि यदि बहुत जरूरी हो तभी फोन करियेगा। इस समय वह सोचने को मजबूर हो गईं थी कि शायद सच में रिया गलत संगत में पड़ कर रास्ता भटक गई। मन ही मन में घुटती हुई वह बेटी के आने का इंतजार करने लगीं। लगभग बारह बजे दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनकर भी वह सोने का अभिनय करती हुई लेटी थीं लेकिन उसकी हालत देखते ही वह गुस्से से लाल हो उठीं थीं। नशे के कारण रिया की आँखें लाल हो रहीं थीं। उस लड़के ने उसे पकड़ रखा था। वह होश में नहीं थी।

निशि को देखते ही वह लड़का तेजी से भाग गया था। वह नवल से सब छिपाना चाहती थी इसलिये उसने चुपचाप उसे सहारा देकर बिस्तर पर लिटा दिया। उसके मुंह से शराब की दुर्गंध आ रही थी। वह लेट कर सिसक पड़ी थी। उसकी आँखों की नींद उड़ चुकी थी। वह मन ही मन अपने को कोस रही थी। रिया को वह कैसे सुधारे, वह क्या करे .....उसका दिमाग बंद हो गया था। उसका मन आशंकाओं से घिरा हुआ था। उसे निया की याद आ रही थी। वह हमेशा से सोचती रही थी कि लड़कियों की सुरक्षा के मद्देनजर होस्टल अच्छी जगह नहीं है जबकि निया ने टॉप किया था और उसे स्कालरशिप भी मिल रही है जबकि रिया तो उनकी नज़रों के सामने थी, तब भी वह ऐसी हालत पर पहुंच गई।

नवल ने उन्हें सदैव आगाह किया था- लड़कियों को आज़ादी अवश्य दो लेकिन आज़ादी की एक सीमा होना आवश्यक है। नाज़ुक उम्र में बच्चे अपनी आज़ादी का नाजायज़ फायदा उठा कर अपने को खतरे में डाल लेते हैं।

निशि ने सारी रात पलकों में गुजारी थी। सुबह जब रिया सोकर उठी तो रात की बात से अनजान बनते हुये बोली थी मॉम सॉरी, कल किसी ने मज़ाक में पार्टी में मेरी ड्रिंक में किसी ने कुछ मिला दिया था। वह अपने कान पकड़ कर उनसे लिपट गई थी, बस उन पर माँ की ममता हावी हो गई और वह फिर से उसकी बातों में आ गई।

अब जब हालात उनके कंट्रोल से बाहर हो गये थे वह तरह तरह से उस पर रोक लगाना चाह रही थी। लेकिन रिया उनकी एक नहीं सुनने को तैयार थी।एक सुबह वह प्यार से उसके हाथों को सहला रही थी तब उसकी निगाहें अंगुलियों के बीच पड़े काले शान पर पड़ी थी। वह विचलित हो उठी थी, मतलब मामला गंभीर है, लेकिन रिया के पास तो बहाना पहले ही तैयार रहता था.... वह सफाई देते हुये बोली थी ‘ मम्मी मैं स्कूटी चलाती हूं ना उसी की वजह से यह निशान हो गये हैं। उस दिन उसके चेहरे के झूठ को उन्होंने पहचान लिया था। यह निशान तो निश्चय ही सिगरेट की वजह से हो सकते हैं।

वह उसपर नजर रखने लगी थी। वह उसे तरह तरह से समझाने की कोशिश करती रहती लेकिन उसकी आँखों पर तो उज्जवल के प्यार का चश्मा चढ़ा हुआ था। उसने कभी भी उसका नाम नहीं बताया था लेकिन उन्होंने फोन पर बात करते हुये सुन लिया था। वह मोबाइल पर कॉल आते ही भाग जाती थी।

निशि बेटी को अकेले ही सुधारने में लगी हुई थी। लेकिन अब वह कुछ भी कहतीं तो वह चीखने चिल्लाना शुरू कर देती। समस्या गंभीर होने के कारण वह मन ही मन कुढती रहतीं और धीरे धीरे वह निराशा और हताशा के कारण डिप्रेशन की शिकार बन गई थीं। उनके बिस्तर पर लेटते ही पूरा घर अस्त व्यस्त हो उठा। नवल बीमार निशि की हालत देख कर परेशान हो उठे थे। उन्होंने रिया से कहा ,’’आजकल मेरे बैंक में क्लोजिंग चल रही है इसलिये तुम कुछ दिनों तक घर पर रहो। फिर मैं जब घर पर रहूँगा तब तुम काम पर आना। कुछ दिनों तक अपनी माँ की देखभाल करो। वह उनकी बात को अनसुना करके तेजी से अपना बैग उठा कर चली गई थी, उसको जाता देख कर नवल क्रोधित हो उठे और गुस्से में निशि पर नाराज़ होकर बेटी की बर्बादी के लिये उसे ही जिम्मेदार कह कर कोसने लगे थे। दिन और रात ठहर गये थे। उनका दिमाग बंद हो गया था। अभी तक वह अकेले परेशान रहती थी लेकिन अब इसके साथ साथ नवल भी बेटी को सुधारने के लिये समझाने की कोशिश करते। अब वह भी चिंतित और परेशान रहते।

आज तो वह सुबह सुबह रिया को बेस्न पर उल्टी करते देख सिहर उठी थी। उससे अधिक तकलीफ़ उसकी बातों को सुनकर हुई थी ...क्या हुआ ? कोई पहाड़ टूट पड़ा है...क्यों मातम मना रही हो...क्या कोई मौत हो गई है.. मैं डॉक्टर के पास जा रही हूं... बस दो घंटे की बात है...फिर सब नॉर्मल..

निशि फूट फूट कर रो पड़ी। क्या हो गया ... इस नई पीढ़ी को.... यह युवा वर्ग किधर जा रहा है..... कहां गई हमारी मान्यतायें......हमारी संस्कृति...इतनी जल्दी इतना परिवर्तन...क्या ऐसा संभव है....क्या वह सच नैरोमाइंड है....

 

 



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