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Chandresh Kumar Chhatlani

Abstract

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Chandresh Kumar Chhatlani

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नारीत्व

नारीत्व

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"क्यूं अपनी मर्यादा का उल्लंघन कर रही हो, सुशीला?" - सुधीर चिल्लाया


उसकी पत्नी सुशीला ने बोलना बंद नहीं किया, "आप सब मर्द क्या समझते हो? सदियों से हम औरतों पर हुक्म चलाते आये हो, अब परिस्थितियां बदल गयी हैं। हम भी किसी से कम नहीं हैं, मुझे अगर इस दीवाली पर हीरे अंगूठी नहीं मिली तो आपकी और आपके घरवाले दीवाली कैसे मनाते हैं, मैं भी देखती हूँ।"


सुधीर ने कहा, "तुम्हारी भाभी भी क्या तुम्हारे भाई को ऐसे ही टोर्चर करती है?"


सुशीला एकदम बिफर गयी, "मेरी भाभी ने कोई मेरे जैसे बेटा नहीं जना है, उसने बेटी पैदा की है, मैं-मम्मी और भैया मिलकर उसे कुछ बोलने देंगे क्या?"


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