"नाजायज सम्बंध"
"नाजायज सम्बंध"
हिन्दू संस्कृति में विवाह पवित्र बंधन है।
दोनों विवाहित स्त्री पुरुष बराबरी पर इसे निभाने के
लिए बाध्य होते हैं।
दोनों विवाहित पति-पत्नीआजीवन साथ जीने मरने
कि कसमें खाते हैं।
दोनों ही विवाहिता पति-पत्नी किसीअन्य स्त्री पुरुष से
नाजायज शारीरिक संबंध स्थापित नहीं कर सकते हैं।
यदि दोनों विवाहिता पति-पत्नी में से कोई एक
किसीअन्य स्त्री पुरुष से शारीरिक संबंध बनाए।
तो यह नाजायज सम्बंध कहलाता हैं।
विवाहित जिन्दगी में पति-पत्नी दोनों में से किसी एक
का नाजायज संबंध कृत्य पारिवारिक विघटन विवाद
कि जड़ होता हैं।
सामान्यत यही विवाह विच्छेद कि मुख्य वज़ह होती हैं।
समाज कभी ऐसे कृत्य को उचित नहीं ठहराता हैं।
विवाहित स्त्री पुरुष ज़िन्दगी भर स्थाई साथ निभायें।
एक दूसरे कि दुुःख दर्द बीमारी में खुद सेवा करने की
कोशिश करनी चाहिए।
विवाहित जीवन में सामाजिक पारिवारिक परम्परा
निभाएंगा।
दोनों को सच्चे जीवन साथी बनने कि परम्परागत
पद्धति का पालन करना चाहिए।
वृद्धावस्था में माता-पिता कि सेवा खुद करिएगा।
कभीभी माता-पिता को वृद्धाआश्रम में मत छोड़ना।

