Dr Jogender Singh(jogi)

Tragedy

4.8  

Dr Jogender Singh(jogi)

Tragedy

मुस्कुराती मिट्टी

मुस्कुराती मिट्टी

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"अरे किसी ने विकास को फोन किया ? पूछो कब तक पंहुच जाएगा।" गंभीर जी ने पूछा। "आधे घण्टे में पंहुच जाएगा", अक्षत बोला। "ठीक तैयारी करो , मिट्टी से बदबू आने लगेगी , गर्मी के दिन है।" मिट्टी बने मेहरोत्रा जी अपने आंगन में , दो बांस पर लेटे हुए हैं, जिस घर को इतनी मेहनत से बनाया था पाई पाई जोड़ कर । एक एक सामान ख़ुद लाए थे श्रीमती के साथ । आज उसी मोजेक के फर्श पर मिट्टी बन लेटे हैं। 

मिसेज मेहरोत्रा की आंखें नम हैं। राखी भाभी समझा रही हैं , "अरे मुक्ति मिल गई , डेढ़ साल से कितना कष्ट सहन कर रहे थे। दर्द कितना ज़्यादा हो गया था, और दवाइयों के साइड इफेक्ट्स अलग से। सारे बाल झड़ गए, चेहरा देखा कितना काला पड़ गया", गौरी भाभी बोली "भगवान ने बहुत दुख दिया।

एक ही बेटा , वो भी दूसरे शहर में" , जानकी जी ने धीरे से कहा, "नौकरों के सहारे घर चल रहा है, मिसेज मेहरोत्रा तो चल भी नहीं पाती। आ रहा है विकास।" भई हम लोगों से जितना हो सका किया।

बाहर लेटी मेहरोत्रा जी की मिट्टी शायद मुस्करा रही है । एक सांस के बंधन , एक पल के बंधन । कुछ सांसे ख़तम होने के बाद छूटते पल भर में, कुछ जीते जी छूट गए पल भर में। 

विकास के पैदा होने की कितनी खुशी थी , पूरे मोहल्ले की दावत हुई थी । तीन दिन तक ढोलक बजता रहा था, उसके फंक्शन में। माता जी कितनी खुश थी , दादी जो बन गई थी । ऐसे लगा संजीवनी पी ली थी। घूम घूम कर हर इंतजाम ख़ुद देखा था। एक साल बाद ही सब को छोड़ के चली गई , शायद पोते का मुंह देखने के लिए ज़िंदा थी।

विकास शुरू से होशियार बच्चा था। मन लगा कर पढ़ाई करता था। सी ए की परीक्षा बहुत जल्दी पास कर ली थी। मेहरोत्रा जी ने बहुत कोशिश की अपने साथ रखने की । परन्तु विकास बड़ी कंपनी में नौकरी करने महानगर चला गया। शादी को लेकर बाप/बेटे में बहस हुई और एक पल में रिश्ता तोड़ विकास चला गया। उनकी बीमारी में भी मिलने नहीं आया। आज शायद मिट्टी से मिल ले , अपने पापा की मिट्टी से ,दो बांसो पर लेटी मिट्टी से। मिट्टी शायद मुस्कुरा रही है, पल पल बदलते रिश्ते देख। मुस्कुराती मिट्टी ,मुक्त मिटटी । अपने बनाए मोजेक के फर्श पर लेटी मिट्टी।


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