बाहर लेटी मेहरोत्रा जी की मिट्टी शायद मुस्करा रही है । एक सांस के बंधन , एक पल के बंधन बाहर लेटी मेहरोत्रा जी की मिट्टी शायद मुस्करा रही है । एक सांस के बंधन , एक पल क...
उसने मुस्कुराना छोड़ दिया ।महीने भर बाद बिना सहारे के चलने लगी । उसने मुस्कुराना छोड़ दिया ।महीने भर बाद बिना सहारे के चलने लगी ।