Abhisek Nayak

Abstract

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Abhisek Nayak

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मुझे भी यह किताब चाहिए

मुझे भी यह किताब चाहिए

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शाम के पाँच बजने वाले थे, कुनाल अपने घर से bike लेके निकल चुका था। कुछ मिनट बाद, कुनाल एक बुक-स्टोर के सामने अपनी bike रोकता है और अपनी bike साइड करके बुक-स्टोर के अंदर जाता है।

उस समय बुक-स्टोर पे भीड़ नहीं थी। वहाँ सिर्फ एक ही ग्राहक होता है जो अपनी किताबें खरीदके वहाँ से निकाल रहा होता है। कुनाल उस स्टोर पे किताबें बेच रहे विशाल से कहता है, “विशाल भैया, वो किताब आ गयी क्या जिसके बारे में मैंने बोला था?”

विशाल: अरे कुनाल! अब तो घड़ी पे पाँच बज चुके हैं, आज क्लास नहीं है क्या?

कुनाल: हाँ भैया, है तो सही पर यह किताब मुझे आज क्लास से ज़्यादा ज़रूरी लगी। आप बताओ न वो किताब आई की नहीं। 

विशाल: मँगवा तो ली थी,.... वो ‘connecting Psychology....’ जैसा कुछ था न उसका नाम?

कुनाल: हाँ वही-वही, आ गई क्या वो किताब आपके पास?

विशाल: हाँ, आ तो गयी है, पर उसकी अब तक मैंने packaging नहीं खोली है। तेरे इस किताब के बारे में बताने के बाद, कई और लोगों ने भी इस किताब के बारे में बोला था, तो मैंने सोचा कि एक साथ बहुत सारी मँगवा लेता हूँ। उन किताबों की bundle की packaging एक ही कवर से इकट्ठे की गई है, तू रुक मैं अभी उसकी packaging उतार देता हूँ। 

कुनाल: अच्छा ठीक है, अब जल्दी दे ही दो, तब से बातें ही किए जा रहे हो। 

विशाल: हाँ दे रहा हूँ-दे रहा हूँ, और एक बात, हुकुम मत चला इधर, बस तेरे काम के लिए नहीं बैठा हूँ इधर, बहुत चीजों का ध्यान रखना पड़ता है इधर। देता हूँ रुक जल्दी-जल्दी। 

विशाल उन किताबों के bundle से packaging हटाने जा ही रहा होता है की तब वहाँ बुक-स्टोर पे एक लड़की आ जाती है। 

लड़की (विशाल से, उसकी तरफ एक कागज़ बढ़ाते हुए): Excuse me, क्या आपके पास यह दो किताबें हैं? और प्लीज थोड़ा जल्दी की जिएगा, वो क्या है कि मैं अपने क्लास के लिए late हो चुकी हूँ। 

विशाल किताबों के bundle (जिसमें कुनाल के लिए किताब थी) को स्टोर के निचले shelf से लाकर एक table पे रखता है और उस लड़की से वो कागज़ लेता है। 

विशाल (वो कागज पढ़ते हुए): हाँ, आपको यह दोनों किताबें यहाँ पे मिल जाएगी, मैं अभी लाके देता हूँ। 

विशाल उस लड़की के लिए किताबें लाने book-shelf की तरफ जाता है। विशाल book-shelf में वो किताबें ढूंढ ही रहा होता है कि तब कुनाल कहने लगता है, “विशाल भैया, जल्दी किताब दे दो मुझे, late हो रहा है।”

तब वो लड़की भी कहने लगती है, “आप please जल्दी किताब दे दीजिए मुझे, मैं भी बहुत late हो चुकी हूँ और ऊपर से आज मेरी पहली class है।”

कुनाल (विशाल से): वैसे विशाल भैया, पहले मैं आया था, तो कायदे से आपको मुझे पहले किताब देनी चाहिए। 

विशाल उस लड़की को वो किताबें दे देता है जो उसे चाहिए थी। 

कुनाल (पहले उस लड़की की तरफ देखते हुये और फिर विशाल की तरफ देखते हुये): अगर कोई अपने class के लिए late हो रहा हो तो वो उसका खुद ही जिम्मेदार होता है, न कि मैं, जो यहाँ पे पहले आया था। 

विशाल (कुनाल से): अरे रुक जा यार। थोड़ा रुक जाएगा तो क्या बिगड़ जाएगा तेरा। दे रहा हूँ तेरी किताब, देख अभी खोल रहा हूँ packaging इसकी। 

विशाल ने अपने drawer से एक छोटी सी चाकू निकाली और उससे packaging को काट के खोलने लगा। 

विशाल (कुनाल से, कुनाल को वो किताब देते हुए जो उसे चाहिए थी): यह ले, तेरी किताब। 

लड़की (विशाल से, कुनाल की किताब को देखते हुए): आप ऐसी किताबें भी यहाँ रखते हैं! मुझे भी यह किताब चाहिए थी, online तो यह किताब ‘out of stock’ दिखा रही थी। Please मुझे भी इस किताब की एक copy दे दीजिए न। 

विशाल (उस लड़की से): क्यों नहीं, अभी देता हूँ। 

विशाल उन किताबों की bundle से एक और किताब निकालता है और उस लड़की को दे देता है। 

लड़की (विशाल से): Thank you भैया, आपको पता नहीं मैंने इस किताब को कहाँ-कहाँ नहीं ढूंडा। 

विशाल (लड़की से): अगर ऐसी बात है तो एक thank you इन कुनाल साब को भी बोल दो, क्यूंकी इन्ही की फरमाइश की बदौलत यह किताब इस बुक-स्टोर पे है। 

लड़की (कुनाल से, मुसकुराते हुए): Thank you॰

कुनाल उस लड़की के thank you का जवाब अपनी मुस्कुराहट से देता है। 

लड़की (विशाल से): भैया, शर्मा कोचिंग यहाँ पास ही पड़ेगा न? पैदल जा सकते हैं न?

विशाल (लड़की से): हाँ पास तो है, पर इतना पास नहीं कि पैदल जाके झट से पहुँच जाएँ। यहाँ पास में ही दायें तरफ रिक्शा ........ अरे तुम्हारी तो आज पहली क्लास है न, वैसे भी तुम late हो चुकी हो, तो तुम एक काम करो रिक्शा की planning किसी और दिन रखो और आज कुनाल के साथ चली जाओ। क्यों कुनाल छोड़ देगा न इसे कोचिंग पे?

कुनाल: हाँ भैया, मैं छोड़ दूंगा, वैसे भी मुझे कोचिंग के पास ही काम था।

लड़की: नहीं-नहीं, मैं ..........

विशाल (लड़की से, लड़की कि बात को बीच से ही रोकते हुए): नहीं-नहीं, यह ऐसा-वैसा लड़का नहीं है, यह अच्छा लड़का है, यह तुम्हें और कहीं लेके नहीं चला जाएगा। 

लड़की: नहीं, वैसी बात नहीं है। मुझे कोई यहाँ-वहाँ ले भी नहीं जा सकता, क्योंकि मैं एक self defence ट्रेनिंग प्रोग्राम का हिस्सा हूँ जिसकी वजह से मुझे कुछ martial आर्ट्स के techniques की समझ है। मैं तो बस यह कह रही थी कि मेरे लिए क्यों तकलीफ उठानी। 

कुनाल: नहीं तकलीफ की क्या बात है, मैंने कहा न मुझे कोचिंग के पास ही काम है। 

लड़की: आपको कोई problem नहीं है, तो फिर ठीक है। 

लड़की (विशाल से): अरे मैं तो भूल ही गई, sorry भैया, कितने पैसे हुए?

विशाल: 830 रुपये। 

लड़की (विशाल को पैसे देते हुए): यह लीजिए। 

विशाल: अरे कुनाल जी, आपको पैसे नहीं देने?

कुनाल भी विशाल को पैसे दे देता है। 

कुनाल (लड़की से): तो चलो फिर....तुम्हारा नाम?

लड़की: नेहा। 

कुनाल: तो चलो नेहा, वैसे भी तुम बहुत late हो चुकी हो। 

नेहा: हाँ और तुम भी, तुम्हें भी कुछ काम था न। 

कुनाल और नेहा कुनाल की bike की और बढ़ ही रहे होते हैं कि तब scooter से उन दोनों के पास एक लड़की आती है और नेहा से कहती है, “अरे तुमने कितनी देर करदी यार, जल्दी आओ, मैंने sir को तुम्हारे बारे में बताया और इतनी देर तक जब तुम नहीं आई तो sir ने ही मुझे तुम्हें लाने के लिए भेजा। तो चलो बैठ जाओ जल्दी scooter पे।”

नेहा कुनाल की और देखती है और उस लड़की (जो उसकी दोस्त थी) के साथ scooter पे बैठके चली जाती है। फिर कुनाल विशाल की और देखता है, कुनाल को देखके विशाल हल्का सा मुसकुराता है और फिर कुनाल भी मुस्कुराने लगता है। 


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