कक्षा का टॉपर
कक्षा का टॉपर
आठवीं कक्षा के छात्र मनोज को पढ़ने का बहुत शौक था। और जिस बच्चे को पढ़ने का शौक हो उसका परीक्षा में अच्छे अंक आना तो स्वाभाविक था। वह अपनी कक्षा का topper था। उसका अपने विद्यालय में बहुत नाम था, इसके अलावा उसके colony और आस-पास के इलाके में उसको लगभग हर कोई जानता था। उसकी कक्षा में हर कोई मनोज को अपना दोस्त बनाना चाहता था। इसका कारण सिर्फ मनोज की पढ़ाई नहीं थी, इसकी वजह मनोज का सबके साथ विनम्रता से बात करना और उसका अच्छा स्वभाव भी था। कुछ ऐसे लोग भी थे जो मनोज से जलते थे और मनोज की गलतियाँ निकालने में लगे रहते थे, पर वे लोग हमेशा गलत प्रमाणित हो जाते थे।
साल की अंतिम परीक्षाएँ शुरू होने वाली थी। पहले दिन की परीक्षा के शुरू होने से कुछ मिनट पहले, राकेश सर जो परीक्षा के आयोजन की देख-रेख कर रहे थे, दो अन्य शिक्षकों के साथ कक्षा के अंदर आए और कहा, “अब आपकी और आप लोगों के बैग की तलाशी ली जाएगी, ताकि परीक्षा का निष्पक्ष रूप से आयोजन किया जा सके।” ऐसी तलाशी (परीक्षा के ठीक पहले वाली) विद्यालय में पहली बार हो रही थी। राकेश सर और कक्षा पे प्रस्तुत अन्य शिक्षक सबकी और सबके बैग (जिसको सारे विद्यार्थी परीक्षा से पहले कक्षा के बाहर रखने वाले थे) की तलाशी लेने लगे। तलाशी के दौरान जो हुआ उसको देख के सब लोग चौंक गए। राकेश सर को मनोज के बैग और उसके पैंट के पिछले वाले पॉकेट से छोटी-छोटी पर्चियाँ मिली जिसमें परीक्षा से संबन्धित लेख लिखे हुए थे।
फिर राकेश सर मनोज को एक अलग क्लास रूम में ले गए जहां उसके अलावा कोई और विद्यार्थी नहीं था और उसे उसी जगह अपनी परीक्षा देनी पड़ी। ऐसे ही हर subject के लिए मनोज को एक खाली क्लास रूम में ले जाते और उसे वहाँ परीक्षा देना पड़ता। इन्हीं परीक्षा के दिनों के दौरान, मनोज के सहपाठी, शिक्षक -शिक्षिकाएँ और जो भी इस घटना के बारे में जानते थे, वो सब मनोज की काबिलीयत और नियत पे शक करने लगे। वे सोचने लगे की शायद मनोज ऐसे ‘cheating’ करके टॉप कर लेता होगा।
अब थी results के आने की बारी। इस साल के अंतिम परीक्षा को टॉप करके मनोज ने अपने आप को सही साबित कर दिया और अपनी नीयत और काबिलीयत को ले के जो शंकाएँ लोगों के मन में थी, उन शंकाओं को दूर कर दिया।
हमें मनोज से यह सीख लेनी चाहिए कि किस तरह उसने अपनी बुरी परिस्थिति में हार न मानते हुए अपनी काबिलीयत पे भरोसा करना नहीं छोड़ा और अपने आप को सही साबित कर दिया और जिन लोगों को उस पे शंका थी उनको गलत। और एक बात, जब भी हमें लगे कि कोई गलत है, तो हमें उस व्यक्ति को अपनी बात रखने का या अपने आप को सही साबित करने का एक मौका तो ज़रूर देना चाहिए जिस तरह मनोज को अपने आप को सही साबित करने का मौका मिला और उसने अपने आप को सही भी साबित कर दिया।
