Kavita jayant Srivastava

Romance

5.0  

Kavita jayant Srivastava

Romance

मृदुल प्रिया

मृदुल प्रिया

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"कहना है, कहना है आज तुमसे ये पहली बार ,

ये ही तो लाये हो जीवन में मेरे प्यार प्यार प्यार ..!" किशोर कुमार के इज़हारे मोहब्बत के एहसास से लबरेज इस खूबसूरत गीत को सुनते हुए किताब की आड़ में प्रिया की फ़ोटो छिपाए ..उसकी आँखों मे देख अपने मन के प्रेम को बार बार इकट्ठा कर के खुद को सांत्वना देता था मृदुल ...! तो कभी फ़ोटो को बेबाक बिना किताब की परत में छिपाए, वो प्रिया को सामने लगे आईने में मानो मुस्कुराता हुआ देखता, कभी हड़बड़ाकर आईने में गौर से देखता और प्रिया की जगह खुद का चेहरा देख ..अपनी नादानी पर मुस्कुरा उठता ! कालेज जाने और प्रिया को देखने की बेचैनी में वो बेसाख्ता तैयार हो रहा था और रह रह कर उसकी आँखों मे पिछले दिनों के दृश्य घूम जाते।

अल्हड़, तूफानी और जोश से भरा होता है ये 18 से 19 बरस का नाजुक प्रेम ..! जो कभी बच्चो की मुस्कुराहट जैसा मासूम होता है तो कभी एक दूसरे की खुशी पर कुर्बान हो जाने वाला गंभीर और साँसों से लेकर धड़कनों की लय तक पहुँचने वाला हो उठता है ..! इसमे जितना आकर्षण होता है उससे भी ज्यादा पागलपन ..! कभी उसे पाने का जुनून और तो कभी उसे खो देने का खौफ ..! छोटी-छोटी बातों से खुश होना तो कभी छोटी-छोटी बातों पर आँसू बहाना ..! कुछ ऐसे ही दौर में था मृदुल।

जब से प्रिया और मृदुल न्यू ईयर की वेलकम पार्टी में मिले थे ..! मृदुल तो प्रिया के सलीके से कटी जुल्फों का दीवाना ही हो गया ..! यूँ तो पहले भी प्रिया को उसने देखा था मगर उस दिन जब प्रिया ने माइक थाम कर खूबसूरत आवाज में वो गीत गुनगुनाया था " कौन तुझे यूँ प्यार करेगा ,जैसे मैं करती हूँ......!" मृदुल तो बस खो सा गया उस मधुर लय में मानों ..!

ख्वाबों की दुनिया से निकल कर मृदुल अचानक बाहर आया जब माँ ने आवाज लगाई .."मृदुल ! देख कार्तिक आ गया है ..कॉलेज नही जाना क्या बेटा.. !"

और बस सीने से चिपकायी तस्वीर को आँखों में बसा कर, उसे बिस्तर के नीचे छिपा कर जल्दी से बाहर आ गया तभी माँ बोली- " अरे नाश्ता तो करता जा... ! मृदुल ने हाथ हिलाते हुए कहा -"बाहर खा लूँगा माँ ..!" और बैग को कंधे से टिकाते हुए कार्तिक के पीछे बैठ गया और उस ने बाइक आगे बढ़ा दी..!

कालेज पहुँच कर मृदुल की निगाहें प्रिया को तलाशने लगी ..! कि तभी प्रिया उसकी ओर आती हुई दिखी.. कार्तिक ने मृदुल से कहा "जा आ गयी तेरी हिरोइन " आज सब बोल दियो आल द बेस्ट .." मृदुल ने मुस्कुरा कर कहा .."हाँ यार, आज बोल दूँगा बाई गॉड..' चल चल अब निकल तू ..! कार्तिक ने बाइक आगे बढ़ाई।

सामने गुलाबी लिबास में दमकती हुई सी गौरवर्ण और तीखी नाक वाली, अपनी बिखरी जुल्फें समेटती प्रिया को देख मृदुल की कनपटी पर जैसे धौंकनी सी चलने लगी ..काश आज वो उससे अपने प्यार का इज़हार कर पाता ..!

तभी प्रिया उसके पास आकर खड़ी हो गयी .." कहाँ रह गए थे तुम मृदुल..?

" हाँ, वो आज न रश थोड़ा ज्यादा था .." हकलाते हुए झूठ बोल दिया मृदुल ने ..!

" अच्छा ठीक है चलो न ! आज एक स्किट हो रही है कैंटीन के पास ..आज प्रोपोज़ डे है पागल.. तुम्हें नहीं पता क्या ? पता है आज मिहिर उसमे एक्ट कर रहा।"

"ओह्ह हाँ यार मैं तो भूल ही गया था ..! इस बार भी झूठ बोल कर मृदुल ने खुद को मन ही मन कोसते हुए मन में ही कहा ..उफ्फ मैं कुछ बोल क्यों नहीं रहा ..! ये क्या हो जाता है मुझे प्रिया के सामने ? कैसे कहूँ कि मुझे ..मुझे प्यार है तुमसे .."

"कुछ कहा तुमने ? प्रिया ने पीछे रह गए मृदुल को पलट कर देखा।

" न नहीं आया मैं ..! " झेंप कर मृदुल आगे बढ़ गया

"कुछ ही देर में स्किट का मंचन होने लगा..! कालेज की ही रिद्धिमा उसमे नायिका व मिहिर नायक बने थे ..मंचन आगे बढ़ता रहा ..मिहिर ने रिद्धिमा के सामने घुटने टेक कर हाथों में गुलाब का फूल ले कर उससे अपने प्रेम का निवेदन कर डाला और रिद्धिमा ने उसके प्रेम का प्रत्युत्तर उसकी बाँहों में बाँहें डाल कर दिया। ..तालियों की गड़गड़ाहट के साथ जैसे मृदुल की तंद्रा टूटी ..और ताली बजाने के लिए प्रिया ने जब हाथ खींचना चाहा तो उसने देखा मृदुल उसके हाथों को मजबूती से थाम उसकी आँखों मे आँखें डाल कर ख़ामोश बैठा हुआ है..!

प्रिया ने धड़कते दिल के साथ आँखों के इशारे से पूछा क्या हुआ ? कुछ देर पहले वो मिहिर को जिस प्रकार मुग्ध सी देख रही थी,बार बार मृदुल उन्ही प्यासी आँखों को देखता रह गया और मृदुल ने 'कुछ नहीं' के इशारे से अपनी आँखें झुका लीं ..! और उसका हाथ छोड़ कर पलट गया .." उसके मन मे साहस ही नहीं हो सका कि वो अपनी मोहब्बत को लफ़्ज़ों की जुबान देकर प्रिया से कुछ कह पाता !

इधर प्रिया ने उसकी खामोशी और उसकी आँखों की नमी में खुद के लिए एक तड़प महसूस की ..! ये तड़प हार जाने की बेबसी सी थी ..अनकही बातों की अभिव्यक्ति सी थी .. मृदुल की बोलती आँखें मानो सब कुछ कह गयी हों..!

तालियों के शोर में भी जैसे प्रिया के कानों ने वो सब सुन लिया था जो मृदुल की आँखों ने कह दिया था। प्रिया के हाथों ने मृदुल की हथेलियों का वो स्पर्श समझ लिया था जिसने अपनी मौन अभिव्यक्ति जाहिर कर दी थी..! तभी प्रिया जोर से चिल्लाई - "मृदुल ! "

मृदुल ने चौंक कर पीछे देखा तो वो सुंदरता की प्रतिमूर्ति आज उसे प्रेम की देवी सी निश्छल और पवित्र सी लगी ..! जिसने मानो उसके मौन को समझ कर ही अपनी मौन स्वीकृति दे दी हो ..

"कहीं मत जाओ ! " ...प्रिया अधीर होकर बोली।

प्रिया को जाने क्यों लगा, शायद मिहिर के कारण इसको कुछ गलतफहमी हुई है और अगर आज ये चला गया तो शायद कभी नहीं मिल पायेगा।

प्रिया की आवाज सुनकर मृदुल को यूँ लगा जैसे उसको जन्नत मिल गयी हो ..!

खुशी से दौड़ कर प्रिया के पास आ गया और प्रिया ने उसको सीने पर मारते हुए कहा ..

" तो मिस्टर डरपोक ! आज भी कुछ नहीं कहोगे तुम ?

"प्रिया मुझे लगा तुम मिहिर से...'

इसके पहले कि वो कुछ बोल पाता प्रिया ने कहा-

"तभी... तभी मैं तुमको पागल बोलती हूँ...तुम्हे क्या लगा मैं मिहिर को पसंद करती हूँ ..! तुम कैसे इंसान हो ?

"मृदुल मायूस सा था पर अब उसका दिल चहक रहा था ..!

प्रिया ने फिर बोलना शुरू किया ..."पूरे एक महीने सात दिन से बस यही सोच रही हूँ कि शायद आज तुम्हारे होठों पर सच आएगा..दिल की बात जुबान पर लाने में ये कैसी हिचकिचाहट ? प्रिया लगभग रो उठी

"मुझे माफ़ कर दो प्रिया ! मुझे लगा तुम मिहिर के लिए ...' खैर छोड़ो .. हाँ प्रिया मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ जी नहीं सकता तुम्हारे बिना ..! रात दिन बस तुम्हारे बारे में ही सोचता हूँ ..तुम्हारे नाम से मेरा दिन शुरू होता है और तुम्हारे ख्यालों में ही बीत जाता है ...! जितनी देर तुम मेरे पास होती हो, वो पल मेरी जिंदगी का सबसे हसीन पल होता है ..! तुम्हारे होठों पर हँसी यूँ खिलती है जैसे फूल पर खुशबू ..! आज तुम मेरी वजह से रो दी ..इसके लिए आई एम सॉरी ..! पर विश्वास मानो आज के बाद तुम्हारी इन आँखों मे मैं कभी आँसू नहीं आने दूँगा ..! क्या तुम जिंदगी भर के लिए मेरा प्यार और मुझे झेल पाओगी ? और साथ बूढ़ी होना चाहोगी ?...... मृदुल ने घुटनो के बल बैठ कर अपना हाथ आगे करते हुए और चुहल करते हुए कहा।

अब प्रिया हँस पड़ी खिलखिला कर .. और खुश होकर उसने हाथ मृदुल के हाथ में देते हुए कहा- "हाँ ..मेरे बुढ़ऊ ..! मैं सच मे तुम्हारे साथ ही जीना और तुम्हे जिंदगी भर झेलना चाहती हूँ और तुमसे जबरन सब कुछ बुलवा कर तुम्हारी नाक में दम करना चाहती हूँ..! " कह कर प्रिया ने मृदुल को उठाया और उसके सीने से लग गई ..

और वहाँ उपस्थित सारे लड़के व लडकियाँ जो कि अभी तक मिहिर व रिद्धिमा के नाटकीय प्रेम को देख रहे थे, वे सब अब इस स्वाभाविक और अनूठे प्रेम के अद्भुत मिलन का आनंद उठा रहे थे..किसी की आँखें खुशी से नम थी तो किसी के होठों पर ठीक वैसी ही मुस्कान थी जैसी प्रिया और मृदुल के होठों पर .! खुशी से सभी तालियाँ बजाकर उन दोनों का नाम "मृदुल प्रिया - मृदुल प्रिया " की ध्वनि से गुंजायमान हो उठा और इस सम्मिलित नाम की गूंज, मानो इस अद्भुत मिलन को मानो बधाइयाँ दे रहे हों कि आज भी दुनिया मे वो निश्छल प्रेम जीवित है जो एक दूजे के बिन अधूरा और खोया खोया सा होता है ...न भविष्य की चिंता होती है न बीते हुए कल की फिक्र ..! न तो किसी अन्य बात की ही गुंजाइश ..! आज भी जीवित है वो प्रेम जो सब कुछ पा लेना चाहता है जो सिर्फ प्रेम होता है और कुछ भी नहीं..! काफी देर तक उन तालियों की गूंज इस अनूठे प्रेम की जीत का जश्न मनाती रहीं ..!


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