मोबाइल
मोबाइल
आज फिर झाड़ू लगाते हुए, 15 वर्षीय चंचल सी वर्षा, के कदम मेज के पास रुक गए जहां पुष्कर भैया का वो खूबसूरत सा लाल रंग का मोबाइल रखा था। बड़ी हसरत से वो उस मोबाइल को देखती हुई सोच रही थी, कितना सुंदर है, और एक मेरा मोबाइल, घिसा हुआ और छोटा सा---
तभी उसे पुष्कर की घुड़की सुनाई दी, काम कर अपना, यहां क्यों खड़ी है ?
घबरा कर जी भैया, कह कर वो अपने काम मे लग गई।
काम खत्म कर जब वो सोसाइटी के गार्ड रूम में पहुंची तो उसके झोले से वही लाल नया मोबाइल निकला।
लाख कहने पर भी कि उसने चोरी नहींं की,
उसे नहीं पता कि ये उसके झोले में कैसे आया, गार्ड ने नहीं सुना और इण्टरकॉम से पूजा को सूचना दी, पूजा फौरन नीचे आई।
भाभी मैने मोबाइल नहीं चुराया, कहते कहते
वर्षा रो पड़ी।
पर पूजा ने कहा झूठ मत बोल, मैंने खुद तुझे कई बार उस मोबाइल को ललचाई नजर से देखते हुए डांटा भी है।
हुआ वही जो होना था पुलिस को फ़ोन किया गया पुलिस वर्षा को थाने ले गई पूछ-ताछ के लिए। नाबालिग वर्षा के माँ बाप भी आ गए थे पर दरोगा उनकी भी सुनने को तैयार न था।
पूजा पुष्कर को फ़ोन पर सारी घटना सुना चुकी थी। फौरन ही पुष्कर बोला, पूजा ये तुमने बहुत गलत किया, पुलिस को क्या तुम नहीं जानती ? बेचारी बच्ची, मैं अभी आता हूँ।
पुष्कर आफिस से सीधे थाने पहुंचा, शिकायत वापस ली गई। अबोध वर्षा कार में लौटते समय भी सफाई दे रही थी, भैया मैने मोबाइल नहीं चुराया था।
पर तुझे कोई चीज अच्छी लगी थी तो मुझसे कहना था न--
पर---
पुष्कर हौले से उसके कंधे पर हाथ रख मुस्कुरा दिया, एक आश्वासन देती मुस्कान।
अगले दिन वर्षा के हाथ मे वो मोबाइल था, पर उसकी चंचलता न जाने कहाँ गायब हो चुकी थी, चेहरे पर थे सूख चुके आंसुओं के निशान।
पूजा, नेजबसे वर्षा को मोबाइल चोरी में जेल भिजवाया था, उसका दिल भारी था, उसे लगा उसने जल्द बाजी में एक कठोर कदम उठा लिया।
बात को वहीं खत्म कर देना था मोबाइल वापस लेकर।
शायद इसीलिए उसने पुष्कर को फौरन फ़ोन मिलाया था एक गिल्ट का अहसास था उसके मन मे, और जब पुष्कर वर्षा को छुड़ा कर ले आया तो उसको हल्कापन लगा ।
पर वर्षा का उदास चेहरा उससे देखा नहीं जाता था।
अक्सर उसे हंसाने की चेष्टा करती पर वो उदास वर्षा के चेहरे पर फिर से वो चंचलता लाने में समर्थ नहीं हो पा रही थी।
वर्षा सर झुकाए झुकाए काम करती और घर वापस चली जाती। और पूजा फिर अपनी जल्दबाजी पर अफसोस करती और चल देती अपने ऑफिस----
पूजा एक लॉ फर्म में आकर्षक पैकेज पर थी।
आज भी वर्षा के चेहरे पर मुस्कुराहट देखने के लिए उसने टी वी पर उसका मनपसंद सीरियल लगा दिया था। पर वर्षा, एक मिनट को टी वी के आगे रुकी जरूर, और आगे बढ़ने ही वाली थी कि पूजा ने जिद करके कहा, बस कर काम-- बैठ जा थोड़ी देर, टी वी देख ले, आज मैं भी आफिस थोड़ी देर से ही निकलूंगी।
उसके अनुरोध पर वर्षा बैठ गई, पर थोड़ी देर में ही उठकर वॉशरूम की तरफ, उसे उल्टी आ रही थी।
क्या हुआ वर्षा ? कुछ चुरा कर तो नहीं खा लिया रसोई से ? पूजा ने उसे हँसाने का निष्फल प्रयास किया। पर पूजा के चेहरे पर एक फीकी मुस्कान देख चुप रह गई।
पर सहसा ही उसके दिमाग मे एक बिजली सी कौंधी। वर्षा कहीं----, हे भगवान! तो ये है इसकी चुप्पी का राज, वर्ष का पीला पड़ता कमजोर चेहरा शायद उसकी बात की पुष्टि था।
आने दो पुष्कर को, आज ही इसको रफा दफा करती हूँ, ये नीच लोग नीच ही रहेंगे, इतनी गिरी हरकत, पैसे के लिए ?
पूजा का दिमाग फिर क्रोध में काम नहीं कर रहा था।
फ़ोन करके अपनी तबियत खराब होने की सूचना दे उसने छुट्टी ले ली। वर्षा को विदा कर उसने दरवाजा बंद किया और चुपचाप बिस्तर पर लेट गईं।
गरीबी भी क्या क्या नहीं करवाती। सैकड़ों विचार बदलियों की तरह उसके दिमाग मे उमड़ घुमड़ रहे थे।
अचानक ही उसके दिमाग मे एक बिजली सी कौंधी।
वो उठी, ड्रॉर खोल उसने वो मोबाइल ढूंढा, पर वो वहां नहीं था। कहाँ गया ? पुष्कर को मोबाइल ड्रॉर में रखते देख चुकी थी।
इस समय उसके विचार तेजी से दौड़ रहे थे। कुछ सोच उसने उस लाल मोबाइल का नंबर डायल किया।
फ़ोन फौरन उठा लिया गया। हेलो उधर से एक पतली थकी हुई आवाज़ सुनाई दी। फौरन ही पूजा ने फ़ोन काटा। वर्षा की आवाज पहचानने में उससे कोई गलती नहीं हुई।
तस्वीर उसकी आँखों के आगे स्पष्ट होती जा रही थी। इस बार उसने वर्षा पर कोई शक नहीं किया।
अपनी आंखों के कोने में अटक गई पानी को उसने हल्के से पोछा।
वॉशबेसिन में जाकर आंखों पर पानी के छींटे दिए।
अगले दिन पुष्कर के आफिस निकलने के बाद
उसने वर्षा को अपने पास बुलाया, जी भाभी,
खामोश सी वर्षा उसके पास आकर खड़ी हुई।
दो मिनट उसका चेहरा ध्यान से देखने के बाद अचानक वर्षा ने खींच कर उस मासूम सी बच्ची को सीने से लगा लिया।
अब वर्षा अपने को न संभाल सकी, उसका रोना बढ़ता ही जा रहा था रोते रोते उसकी हिचकियाँ बंध चुकी थी और निरंतर उसका सर और पीठ सहलाती पूजा भी कब अपने आखों से बहने वाले आंसुओं को रोक पा रही थी।
चुप हो जा, सब ठीक हो जाएगा ये दिलासा उसे दे
उसके हाथ मे एक पर्चा थमा कर कहा, वर्षा, मां को मेरे ऑफिस भेज देना।
दोपहर को जब वर्षा की मां मालती उसके आफिस पहुंची तब तक वो अपने अभिन्न सहयोगी और मित्र को पूरा किस्सा बता चुकी थी। अपना शक भी।
पागल हो क्या तुम पूजा ? अपने ही हाथों अपने घर को आग लगा दोगी ? अभिनव ने उसकी तरफ शंका से देखते हुए कहा, अरे कुछ दे दिला कर बात खत्म करो।
दोस्त हो कि दुश्मन ? मैं अपना भला बुरा अच्छी तरह समझती हूँ एक स्त्री होकर मैं स्त्री का दुख न समझूं ऐसा कैसे हो सकता है ?
गए वो जमाने जब कहा जाता था कि " मोहे न नारि नारि के रूपा" अब महिलाएं एक दूसरे के दुख समझने लगी हैं।
तुम्हे मेरा साथ देना है या नहीं ? साफ बताओ अभिनव नहीं तो मैं किसी दूसरे वकील से बात करूँ ?
जो हुक्म मेरे आका कह कर अभिनव मुस्कुरा दिया। और पूजा भी हल्की होकर अपनी आगे की प्लानिंग में लग गई।
उसे वर्षा की मां को पूरे दो दिन लगे समझने और बेटी का साथ देने में तैयार करने में वरना तो उसने कोई कसर नहीं छोड़ी थी वर्षा को जी भर के कोसने और गाली देने में।
आगे का घटनाक्रम तेजी से घूमा, आफिस के लिए तैयार होते पुष्कर को उसने वर्षा के प्रेग्नेंट होने की सूचना दी तो वो एक सिद्धहस्त अभिनेता की तरह पहले तो चौंका, फिर----
अरे! तुम क्यों इस चक्कर मे पड़ी हो, इन छोटी कौमों में ये रोजाना घटने वाली घटनाओं की तरह है। कह कर निकलना चाहा।
नहीं पुष्कर ये छोटी सी बात नहीं है। मुझे अपने एक वकील साथी से पता चली, जो गरीबों के केस अक्सर मुफ्त लड़ दिया करता है।
उसने अपनी एक मुवक्किल वर्षा और उसकी मां के बारे में बताया, जो अपनी बेटी पर हुए अत्याचार को लेकर उसके पास पहुंची थी।
पूजा, पुष्कर के चेहरे पर आते जाते रंग भी बाखूबी देखती जा रही थी।
पुष्कर----, वर्षा ने पूरी घटना बताते हुए तुम्हारा नाम बता दिया है।
अभिनव से ही मुझे पता चला, अभिनव ने ही उसे गर्भपात न कराने और DNA की सलाह दी।
अब तक पुष्कर का कंठ भरभरा चुका था। पूजा-----, मुझे माफ़ कर दो, मैं बहक गया था
ठीक है पुष्कर,, मानती हूँ गलती सबसे हो सकती है।
मेरा एक ही निर्णय है, भाभी मां समान होती है।
वर्षा अभी बहुत छोटी है, मैं उसकी मां से कहूंगी
कि केस न करे, अभिनव को भी FIR करने से रोक दूंगी पर इसके लिए कुछ शर्तें माननी होंगी तुम्हे पुष्कर---
पुष्कर की सवालिया नज़रें पूजा की ओर उठी तो पूजा ने दृढ़ आवाज में कहा, DNA टेस्ट तो तुम्हे कराना ही होगा पुष्कर, वो मेरे पास सुरक्षित रहेगा।
वर्षा को हम विधिवत कानूनी तौर से गोद लेंगे,
उसके बाद वर्षा को पढाने से लेकर, शादी तक कि जिम्मेदारी मेरी। पूजा कहाँ किस शहर में है, ये तुम कभी नहीं जान पाओगे।
पर-----, पुष्कर के मुँह से निकला।
पुष्कर तुम्हारे पास 2 दिन का समय है। सोच कर बता देना, मुझे भी तुम्हारे साथ रहने और न रहने का निर्णय लेने में आसानी होगी।
और अंतिम बात, ---उठते उठते पूजा का कठोर
स्वर पुष्कर को चौंका गया, मैंने जिंदगी में कभी मां न बनने का निर्णय लिया है, मेरे लिए एक ही बेटी काफी है। और तुम्हारे कुकर्मों के लिए ये सजा।