मजदूर
मजदूर
शाम हो चुकी थी लेकिन सोनू के पापा अब तक घर वापिस नहीं पहुंचे थे, सोनू बार, बार गेट के पास खडा हो जाता और पापा का इंतजार कर रहा था कि कब पापा आएंगे और उसके लिए रोज की तरह कुछ खाने को लाएंगे, और मुझे चूम कर गले लगाएंगे और फिर कन्धे पर बिठा कर बाहर घुमाने ले जाएंगे, लेकिन लाकडाउन के कारण, सोनू के घर के आसपास कोई नहीं दिख रहा था, सोनू ने मम्मा से पूछा, मम्मा आज पापा अभी तक नहीं आए , बहुत देर हो गई, आज पापा मेरे लिए क्या लाएंगे, मम्मा ने कहा आते ही होंगे आप के लिए चीजी ले कर, सोनू फिर फाटक की तरफ लपका पर उधर कोई नहीं था आठ बज चुके थे , सोनू ने फिर मम्मा से पूछा मम्मा पापा अभी भी नहीं आए, सोनू की मम्मा भी इन्तजार में थी की कोई सब्जी बगैरा लाएं तो खाना बनाना शुरू करूं, उसने बेटे को कोई जवाब नहीं दिया, तो सोनू ने अब की बार मां का आंचल जोर से खींचते हुए कहा, मां बोलो न पापा कब आएंगे, मम्मा को गुस्सा आया तो उसने, जोर से दो चार थप्पड़ सोनू के गाल पर दे मारे, सोनू डुस्क डुस्क कर रोने लगा और कहने लगा पापा आते हैं तो बताता हूँ, मुझे मम्मा ने बहुत मारा, आपकी पिटाई करवाऊंगा, फिर दुप्पटा लेकर चारपाई पर लेट गया और रोते, रोते ही उसे नींद आ गई,
रात के नौ बज चुके थे, सोनू के पापा, रोज की तरह सुबह जल्दी ही काम के लिए निकले थे, लाकडाउन के कारण मजदूरी भी नहीं मिल रही थी, उधर सोनू की मां भी बहुत परेशान हो रही थी,
सोनू के पापा को आज भी कोई काम नहीं मिला था तीन दिन से कोई मजदूरी हाथ नहीं लगी थी, अंधेरी रात में मोहन (सोनू के पापा) ने घर का रूख कर लिया, रास्ते में सोच विचार करता आ रहा था, आज क्या खायेंगे, थोड़ी बहुत जमा पूंजी पहले ही खर्च हो चुकी थी, अब जो दिहाड़ी मिलती उसी से रोज का गुजारा संभव था, इसी सोच में डूबा हुआ था, आगे पांव खड्डे में गिर गया, अंधेरे के कारण पता भी नहीं चल रहा था, मोहन सर के बल गिर गया, और सिर से लहू की धारा निकलने लगी, मोहन ने तौलिए के साथ सिर को बांध दिया और चलने लगा , चोट बहुत गहरी थी, खून अभी चल रहा था, मोहन ने दरवाजा जोर से खटखटाया, और हाथ हिला कर बीवी को इशारा किया कि काम आज भी नहीं मिला, बीवी ने कहा सोनू आपका इंतजार करते करते सो गया, मोहन ने सोते बेटे को ही चूमा और सर पर हाथ फेरते हुए कहा, बेटा आप किस बदनसीब वाप के बेटे हो जो आपकी फरमाइश कभी भी पूरी नहीं कर सकता, अपनी पीड़ा सहन करते, सोहन तपाक बीबी के पास बैठ गया, और कहने लगा, काम भी नहीं मिला उपर से सर को चोट आ गई, बीबी की जब नजर पड़ी तो उसने तौलिए को खौल कर देखा खून रूका नहीं था उसने तुरंत हल्दी लगा कर तौलिए को जोर से बांध दिया, और कहने लगी घर में कुछ नहीं है, थोड़े से नमक वाले चावल ही बना देती हूं मोहन ने सर हिलाया और कहा मुझे तनिक भी भूख नहीं आप खा लो, पत्नी ने कहा मुझे भी नहीं है, थोड़ी देर बाद मोहन को नींद आ गई, सुबह बीबी जल्दी उठकर झाडू पोंछा करने लग गई, लेकिन मोहन को नहीं उठाया, सुबह को सात बजने को थे, तो मोहन की बीबी ने सोचा अब उठाती हूं, काफी देर हो गई है, इन्हें काम पर भी जाना होगा राधा(सोनू की मां) ने आवाज लगाई, सोनू के पापा उठो देर हो रही है, दो तीन आवाजें लगाने के बाद भी मोहन नहीं उठा , फिर राधा ने जोर से हिलाते हुए कहा, घोड़े बेच कर सोये हो क्या, काम पर नहीं जाओगे, मोहन हिला तक नहीं राधा घबरा, गई, उसकी नजर चारपाई के नीचे पड़ी , चारपाई के नीचे खून ही खून था, राधा की चीख निकल गई, शायद यही कह रही थी हमको किस के सहारे छोड़ रहे हो, मोहन स्वर्ग सुधार चुका था, इतने में पांच वर्षिय सोनू की भी आंख खुल गई, वो उठते ही पापा की तरफ भागा, और जोर जोर से हिलाने लगा, पापा, पापा, उठो,
सुनो मुझे मम्मा ने बहुत मारा सुनो पापा सुनते नहीं हो बोलो पापा मम्मा को डांटो मैं मम्मा से कभी बात नहीं करूंगा, मैं आपको याद कर कर के सो गया था, मेरे लिए क्या लाये थे पाप बताओ ना, पापा मम्मा से पूछो मुझे क्यों मारा, मां की आंखों से आंसुओं की बौछार निकल रही थी उसने बेटे को गले से लगाते हुए कहा बेटा अब पापा कभी भी आप से बात नहीं करेंगे न आपके लिए चीजी लायेंगे, अनजान बेटा अभी भी पापा से शिकायतें कर रहा था और मां उसके सर पर हाथ फेर रही थी, शायद यही कह रही थी, हे खुदा किसी को गरीबी न दे, मौत दे दे पर बदनसीबी न दे।