गजल(चाहत)
गजल(चाहत)
हे चाहत तू न याद आया कर, जख्म दे कर गहरा फिर न मुस्कराया कर।
पल, पल याद आने वाली सुन, आँखों से ओझल तो हो, दिल से भी दूर जाया कर।
मैं पहले ही वाकिफ हूँ, तेरा, मेरी हाँ में, हाँ न मिलाया कर।
हाल तेरा भी मेरी तरह ही होगा, आईना सच्चाई का न सब को दिखाया कर।
माना मंजिल को पाना आसाँ नहीं सुदर्शन, रास्ता फिर से नया बनाया कर।
ख्वाब जारी हैं, तमन्ना दिल में है, याद आती हो, याद आया कर।
चाहतें पूरी होंगी, एक न एक दिन, हिम्मत रख जल्दी न घबराया कर।