Sudershan kumar sharma

Fantasy Inspirational

4  

Sudershan kumar sharma

Fantasy Inspirational

टूटते विश्वास टूटते बंधव

टूटते विश्वास टूटते बंधव

5 mins
281


ममता अभी सात बर्ष की ही थी उसकी माँ चल बसी। अब उसके लालन पालन का भार उसके पापा राजू पर था। क्योंकि ममता अकेली माँ बाप की सन्तान थी। इसलिए उसका लालन पालन बहुत लाड प्यार से शुरू हुआ। लाख चाहने से भी राजू के घर बेटा पैदा न हुआ। न ही और कोई औलाद। इसलिए अब ममता को ही बेटा व बेटी का दर्जा मिला हुआ था। तथा उसकी हर फरमाइश को पूरा किया जाता था। मॉ तो उसे लाड से लक्ष्मी कह कर पुकारती थी। लेकिन ममता को अभी सातवें बर्ष की थी तो उसकी माँ रानी का देहांत हो गया जिससे ममता को गहरा धक्का लगा ही साथ साथ में उसके पापा की जीवन भी मुश्किल में पड़ गया क्योंकि उसके पापा की नौकरी दूर किसी गाँव में लगी थी। सुबह जाना रात को लेट आना ही संभव था। इतनी छोटी बच्ची को संभालना भी कठिन ही था। खैर राजू ने किसी ढंग से अपने आप को ऐडजस्ट कर ही लिया। बेटी को डे वोर्डिंग में डाल दिया।

जितना समय निकल पाता उसका लालन पालन करता। समय निकलता गया। ममता अब बारहवीं कलास की छात्रा हो चुकी थी। राजू को नींद नहीं आती थी बेटी जुवान हो गई थी अब उस पर नजर रखना जरूरी था। राजू बेटी को माँ की तरह समझाता रहता की आपने रास्ते से ही आना जाना। आनन फानन में किसी से फालतू बात भी नहीं करना। ममता हाँ में हाँ मिलाती और पापा को कहती आप मेरी चिंता मत किया करो अब में बड़ी हो चुकी हुँ राजू मन ही मन में कहता यही तो बात है बेटी आप बड़े हो चुके हो। राजू का भी कोई भाई नहीं था बस पड़ोसीयों के सहारे ही समय निकाल रहा था। लेकिन ममता को हमेशा यही कहता बेटी मेरी इज्जत आपके हाथ में है।

जल्द ही मैं आपकी शादी अच्छे घर करूँगा। यह आपकी माँ मरते वक्त मुझे कह गई थी की मेरी ममता का ख्याल रखना तथा दुसरी शादी मत करना। साथ में ममता को अच्छे घर विदा करना। बेटा मैंनें वोही बातें गाँठ बांध कर रखी हैं। ममता कहती पापा आप कैसी बातें करते हो। और उठ कर चली जाती। राजू चुपचाप नौकरी पर चला जाता उसको ममता पर अटूट विश्वास था कि मेरी बेटी कोई गलत कदम नहीं उठा सकती। उधर ममता को आपना एक दोस्त मिल गया था जिसके साथ अपना दुख सुख बाँटती। आहिस्ता आहिस्ता यह रिश्ता गहरा। होता चलता गया। लेकिन राजू को इसकी भनक भी नहीं लगी थी। एक दिन राजू को एक अच्छा रिश्ता मिल गया। लड़का सुन्दर सुशील था और अच्छी खासी नौकरी करता था। राजू ने सारी बात अपनी बेटी को बता दी। कि आपकी मँ के कहने के मुताबिक मुझे एक अच्छा वर आपके लिए मिल रहा है। क्यों न आपकी शादी जल्द ही तह कर दी जाए। उधर ममता ने यह कह कर बात ठुकरा दी। कि मैंने अभी आगे पढ़ना है। राजू ने कहा कोई बात नहीं थोड़ा इन्तजार करबा लुंगा। उधर ममता ने सारी बात अपने चेहते को बता दी और कह दिया आप जल्दी किसी ढंग से मेरे से शादी कर लो नहीं तो मैं आपको नहीं मिल सकुंगी। लड़का सहमत हो गया। और दोनों ने कोर्ट मैरिज का सोच लिया और चुपके से कोर्ट मैरिज कर ली। उधर ममता के पापा ने बेटी को कहना शुरू रखा की बेटी आप आपने सुसराल जा कर पढ़ लेना वो कह रहे थे हम इसे पढ़ने से नहीं रोकेंगे लेकिन ममता ने इसबार कुछ नहीं कहा। राजू ने सोचा ममता का अब मन शायद है। राजू ने लड़के वालों को हां कर दी। और दुसरे दिन ममता को कह दिया।

आप भी अपनी छोटी मोटी खरीददारी करते रहो। लेकिन ममता ने कुछ कहना चाहा। तो राजू ने कहा कहो बेटी क्या बात है। तो ममता ने कह दिया पापा में उधर शादी नहीं करूँगी। राजू एकदम परेशान होकर बोला बेटी क्या कह रही हो। मैं अपनी जुबान दे बैठा हूं। ममता ने पापा की एक न मानी। और अपनी बात पर टिकी रही। उस रात पापा को नींद नहीं पड़ी। और उसने लड़के के बारे मे पूछना शुरू किया। जो एक बेकार सा लड़का था तथा उसका रहन सहन भी अच्छा न था न ही उनका रिश्ता उन लड़कों वालों से मेल खाता था। फिर क्या था राजू के लाख कहने पर भी। ममता नहीं मानी।

अब राजू परेशान रहने लगा और शर्म महसुस करता कि मेरी बेटी  तो मेरी नाक कटवाएगी। कई बार राजू खुदकशी करने की सोचता लेकिन उसे अपनी बीवी को दिया वायदा याद आ जाता। यही सोचता अगर खुदकुशी कर लूंगा तो ज्यादा बदनामी होगी। क्या किया जाए। आखिर राजू ने यही मन में सोचा शादी करने के बाद वो सदा सदा के लिए लड़की को अलविदा कह देगा और। उसकी शक्ल तक नहीं देखेगा। आखिर शादी का दिन आ ही़ गया। लोग इधर की गप्पें हँकने लगे। राजू ने इधर उधर जाना भी बंद कर दिया। और मौहल्ले में कह दिया मैं शादी में कन्यादान नहीं करूंगा।

खैर लोगों ने समय निकालने के लिए कहा। लेकिन राजू वहां माना उसने अपने घर के गेट को ताला जकड़ दिया और अपने घर के पीछे वाली दिवार तोड़ दी और लड़की को कहा आज आपकी बिदाई पीछे से होगी क्योंकि आपने मुझे पीछे से वार किया है। बिदाई के बाद पीछे बाली दिवार भी बन्द कर दी जायेगी आप पीछे मुड़कर भी कभी मत देखना। ऐसा ही हुआ राजू ने खर्चा सारा किया लेकिन बेटी की रस्म में शामिल नहीं हुआ। लड़की को बिदा होते देख कर उसने एक छोटा सा तिनका उठाकर ममता को दिखाते हुए तोड। दिया कि आज के वाद हमारा रिश्ता टूट चुका है आप कभी भी मुझे पापा मत कहना। ऐसा कहने के वाद राजू बेहोश हो चुका था। और अपनी बीवी को बन्द आँखो से यही कह रहा था कि तेरी इमानत अपनी मर्जी से विदा हो रही है मैं अपने दिल के टुकड़े को अपने से अलग कर चुका हूँ मुझे माफ कर देना।

शीघ्र ही आपके पास आ रहा हूँ। ममता पति के साथ जा चूकी थी। लेकिन राजू अपनी ही लाज शर्म के मारे बेहोश पड़ा था। घर में लोगों का अजूम लगा था। मौहल्ले वाले राजू के मुँह में पानी डाल रहे थे। लेकिन राजू को कोई होश नहीं थी। आज उसका बेटी से विश्वास खत्म हो चुका था। लोग तरह तरह की बातें कर रहे थे की पता नहीं इसने कुछ खा लिया है। कोई कहता हार्ट फेल हो चुका है। लेकिन राजू ने आखिरी साँस लेकर दम तोड़ दिया था। शायद उसको अपनी जुबान देने का गम था या लड़की के विश्वास टूटने का मगर वो अपनी लाडली बेटी से महरूम हो चुका था काश बेटी पापा के प्यार को समझ पाती। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Fantasy