महाभारत से रामायण
महाभारत से रामायण


"कोरोना वाइरस का संक्रमण जारी है। बाहर मास्क लगाकर ही निकलें।लोगों से दूरी बनाये रखें। हाथों की सफाई का करते रहें । वाइरस से बचाव के लिए इम्यून सिस्टम को मजबूत करें । गर्म पानी और जूस का अधिक से अधिक सेवन करें... आदि-आदि...।" जैसे ही टीवी न्यूज़ में यह प्रसारित हुआ, रमण के घर में बवाल मच गया।
वाइरस के आतंक से सास और बहू के तेवर में सेंसेक्स की तरह अचानक से उछाल आ गया।
सास चिंतित हो गई, यदि बहू का इम्यून सिस्टम अधिक सक्रीय हो गया तो वह तेज रफ्तार से जहर उगलना शुरू कर देगी ! एक सुनी कहावत, 'जहर को जहर से ही काटा जाता है। ' उसे फौरन याद आ गया। वह प्रसन्नचित्त बुदबुदाई,”मुझे अपने इम्यून सिस्टम पर अधिक ध्यान देना पड़ेगा। आज से नियमित दो गिलास अनार और संतरे का जूस पियूंगी। रमण (बेटे )को लायक बनाया आखिर किस दिन के लिए?! “अपने मनेजर बेटे पर गर्व करके बूढी माँ का झुर्रीदार चेहरा तन गया ।
वहीं, बगल वाले कमरे में बहू के दिमाग में बवंडर मचा था, वह बेचैन थी .....
" रमण,अपनी माँ का बहुत ख्याल रखता है।यदि सासु माँ के इम्यून सिस्टम में उछाल आया तो वह शतक लगा कर ही पवेलियन वापस जाएगी। ओह ! फिर तो 'जीवेद शरदम शतम' के लंबे पारी का मैच घर में चलता रहेगा ! हाय! अब इस महासंकट से उबरने का एक मात्र उपाय है ... जूस पीकर इम्युनिटी को मजबूत करना पड़ेगा ।
अभी-अभी जूसर से मैंने जग भर कर जूस निकाल के रखा है। जाकर पी लेती हूँ । दोनों के लिए निम्बू पानी बनाकर रख दूंगी। भनक भी नहीं लगेगी।
तभी रमण को इधर आते देख वह सावधान हो गई। पतिदेव की नजर सामने मेज पर रखे पारदर्शक शीशे के जग से टकराई । उन्होंने मुस्कुराते हुए जग को झट से उठा लिया।
”पता नहीं जूस बचेगा भी ? “पत्नी अधीर हो रही थी।
उसकी आशं
का सही निकली। सारा जूस रमण गटागट पी गये। " सुरसा की तरह बढ़ते लाकडाउन के कारण घर के अंदर हो रहे बकझक को मुझे ही तो संतुलित करना पड़ेगा ?! क्यूंकि मैं मर्द हूँ !इसलिए सबसे ज्यादा इम्यूनिटी की जरूरत मुझे है ...!" खाली जग को मेज पर पटककर वह टीवी देखने बैठ गये ।
खटा......का ! आवाज सुनते ही पत्नी पतिदेव के निकट आकर चिल्लायी ! “हा...य ! सारा... जू...स !? आपने.....!”
पत्नी की मुँह से तेज आवाज सुनकर रमण भौंचक रह गया। देशी गाय का स्वर अचानक जर्सी की तरह !? उसके गले में अटका पड़ा जूस ... फचाक से बाहर निकल कर चमचमाते फर्श पर बिखर गया ।
फिर क्या था! पत्नी बरस पड़ी ! “ एक तो कोरोना के चलते कामवाली की मनाही है, इसकी सफाई अब मुझे ही करना पड़ेगी !”
घर में जूस को लेकर कोहराम और बाहर कोरोना का आतंक ! बूढ़ी माँ की घबराहट चरम पर पहुँच गई । तिलमिलाते हुए वह बेटे-बहू के निकट आई । दोनों के बीच छिड़े महाभारत को देखकर उनके हाथ-पाँव फूलने लगे। घर की शान्ति पर घटाटोप अँधेरा छाने लगा। वह अपने इम्युनिटी बढाने की बात को दिमाग से निकाल बहू से मनुहार करने लगी, " बहू तिल का ताड़ मत बनाओ। रमण सारा जूस पी लिया तो क्या हुआ ! अरे..अभी भी झोले में ढेर सारा नारंगी और अनार पड़ा है। कल उसने ही तो खरीद कर लाया था। जाओ जूस बनाकर पी लो।”
अप्रत्याशित जवाब पाकर... बहू, सासू माँ के चेहरे को एकटक निहारने लगी। उनमें आज उसे अपनी माँ की छवि दिख रही थी। झट वह सासू माँ से लिपट गई।
छिड़े महाभारत को अचानक रामायण में बदलता देख रमण फूले नहीं समा रहे थे। कौशल्या और सीता की जोड़ी उनके मन को भा गई।
“ वादा करता हूँ, ”मैं राम बनने का भरसक प्रयास करूँगा|” बुदबुदाते हुए रमण एक हाथ माँ के कंधे पर रख दिया और दूसरा हाथ पत्नी के सिर पर।