मेरी पत्नी का प्यार भरा साथ

मेरी पत्नी का प्यार भरा साथ

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अनु और विनय शादी के बाद एक दूसरे के साथ साथ परिवार का भी बखूबी ध्यान रखते थे। अनु शांत स्वभाव की थी और विनय नॉटी था। हर समय किसी न किसी की खिंचाई करता ही रहता था। कभी ऑफिस वालों की कभी बहनों को फोन करके हर वक्त हँसना और हँसाना यही उसका काम रहता था। पिता की मृत्यु के बाद माँ और बहनों को हमेशा खुश रखना विनय की जिम्मेदारी बन गयी थी। अचानक माँ की तबियत खराब हुई। विनय ने इलाज करवाना शुरू किया। लेकिन कुछ फायदा न हुआ। हालत बिगड़ती ही जा रही थी। न ही घर में पैसे बचे थे। न ही कोई और साधन दिख रहा था। अनु घर का काम करके हॉस्पिटल जाना फिर वहां से घर आना सब करती थी। कुछ पैसे बचाकर जमा कर दी थी। जो बढ़कर 5 लाख हो गए थे। चुप चाप बैंक गयी और वहाँ से कुछ पैसे कैश काउंटर से लेकर आई। विनय के हाथों में पकड़ा दी। बोली इलाज करवाइए। जब तक हम सबके पास जो कुछ है हम इलाज करवाएंगे। आगे हम सबके भाग्य में क्या लिखा है नहीं मालूम बस कोशिश करना है हम सबको, एक एक घण्टे मंदिर में बैठकर पूजा करना कि हे प्रभु! माँ को ठीक कर दीजिए। माँ की कमी कौन पूरी करेगा। विनय टूट जाएगा। ईश्वर की कृपा कहिए या बच्चों का भाग्य माँ जी को आराम होने लगा। अनु और विनय को हिम्मत मिली।

जो भी बचा पैसा था सब लग गया। डिस्चार्ज करा के घर लायी गयी। घर की स्थिति बहुत खराब हो गयी। अनु ने सोचा बाहर जाकर काम कोई कर नहीं पाऊँगी। अगर बाहर गयी तो माँ जी का ख़याल कौन रखेगा। तो घर बैठे ट्यूशन दो चार बच्चों को पढ़ा लूंगी तो घर के खर्चे आसानी से निकल जाएंगे। घर में ही हाथ से चलने वाली सिलाई मशीन भी थी। अपने पड़ोसियों को बोली कि हम कपड़े भी सिलते हैं तो अगर सिलवाना होगा तो बताइयेगा। बाहर से सस्ता ही सील दूँगी भाभी, धीरे धीरे दो -तीन बच्चे भी मिले और सिलाई के कपड़े भी तो आराम से माँ की दवा और घर का खर्चा निकाल लेती थी। एक दिन विनय ने पूछा आजकल तुम मुझसे पैसे नहीं माँगती हो। माँ की दवा भी नहीं लाने देती हो माँ के लिए आखिर तुम कैसे सब मैनेज कर रही हो। तो इतना पूछने पर अनु ने बताया कि दो -तीन बच्चे आ जाते हैं टयूशन के तो कुछ वहां से आ जाता है। कुछ कपड़े की सिलाई करवा लेती हूँ। एक मास्टर जी बूढ़े से थे। उनको भी पैसे की जरूरत थी तो उन्ही को रख लिया। उन्हें मिल जाता है 4 पैसा हमे भी, इसी तरह से काम चल रहा है। और आपके पैसे से घर का किराया और बाकी जो लोगों से लिया गया था तो उसे धीरे धीरे खत्म कर रही हूं। घर के लिए नहीं माँगती हूँ। विनय इतनी मेहनत और लगन देख कर शान्त होकर अपनी पत्नी अनु का चेहरा देखता ही रह गया। बोला ईश्वर ऐसी ही पत्नी सबको दें। आज तुम इतना न करती तो शायद सबका उधारी भी नहीं दे पाता। माँ की दवा घर का खर्च बहुत होता है। आज तुम्हारे सपोर्ट से मुझे बहुत हिम्मत मिली। शायद अकेले मेरे बस की बात नहीं थी। इतना कहते हुए अपनी पत्नी को गले लगा लिया।

अपनी माँ के पास जाकर बोला तुम्हारी बहु तुम्हें बचाई है। मैं तो हिम्मत हार चुका था। माँ मुस्कुराई और बहू को गले लगाकर बोली दिनभर दौड़ भाग करने के साथ मेरा भी पूरा ख्याल रखती है। ये मेरी बहु नहीं मेरा दूसरा बेटा है। आज जिंदा हूँ तो अपने दोनो बेटों की वजह से हूं। तीनों लोगों की आँखें खुशी के आँसू से डबडबा गयी। माँ ने बोला जा बेटा जितना मेरा ख्याल किया है सब ईश्वर ने देखा है देखना एक दिन ये हालत तुमसे मुँह मोड़कर बहुत दूर चली जायेगी। एक समय आएगा तुम्हारे पास सब कुछ होगा ये मेरा "एक माँ "का आशीर्वाद है मेरे बच्चों तुम सब हमेशा सुखी रहोगे।


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