रिश्तों का सौदा

रिश्तों का सौदा

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जब एक पिता अपनी बेटी के लिए रिश्ता देखने के लिए विचार करता है। तो दहेज के नाम पर एक पिता का रूह कांप जाता है। एक तरफ एक पिता परेशान डरा हुआ सहमा सा लड़के के दरवाजे पर जाता है। उधर लड़के वाले रिश्ते के सौदे के बारे में सोच कर उतावले होते हैं।

जितने अच्छे घराने होंगे उतना ही दान दहेज के लिए तैयार रहना होता है। और ऊपर से यदि लड़के की कोई अच्छी जॉब है तो उसका चार्ज और ज्यादा ही होगा।

तो यहां कुछ परिवार है आज भी जिन्हें दहेज नही चाहिए। पढ़ी लिखी, अच्छी ,सुशील लड़की चाहिए। कुछ परिवार ऐसे भी हैं कि उन्हें सब कुछ परफेक्ट चाहिये। लड़की भी अच्छी होनी चाहिए। फैमिली बैकग्राउंड भी अच्छा होना चाहिए। लड़की पढ़ी लिखी भी हो, खूबसूरत भी हो ऊपर से भरपूर दान दहेज भी मिल जाये तो क्या कहने, तब तो सोने पर सुहागा है।

सब एक जैसे तो नही होते लेकिन कुछ लोग तो होते ही है इस टाइप के जिन्हें दान दहेज का लालच भरा पड़ा रहता है। सब एक से हो जाएंगे तो ये समाज कैसे चलेगा। एक से बराबर सब नही होते हैं।

एक लड़की का पिता तो यही चाहता है कि किसी तरह अच्छा लड़का हो परिवार भी अच्छा हो। जहाँ जाकर मेरी बेटी राज करे। उसकी भी इज्जत हो। उसका अच्छे से ख्याल रखा जाए। इस दहेज रूपी दानव को हम सभी ने ही तो बढ़ाया है।

शर्मा जी ने अपनी बेटी अनु की शादी विवेक के साथ तय किया। लेकिन समझ नही पाए कि यह परिवार ठीक नही है। विवेक अभी इलाहाबाद से PCS की तैयारी कर रहा था। लेकिन पढाई का खर्चा अनु के पापा ही दे रहे थे।

अनु की शादी को 7 साल हो गया लेकिन अनु और विवेक कभी एक साथ नही रहे। यह बात अनु अपनी माँ को बताती है। और अनु के ससुराल वाले अनु को अधिकतर मायके में ही रखते थे। जिसकी वजह से अनु और विवेक कभी साथ नही रह पाए।

विवेक को जब पैसा चाहिए होता तो अनु के पास फोन करके बोल देता था कि मैं तुमसे मिलने आ रहा हूं। और शाम तक आ जाता था। एक रात रहता खाता पीता था। सासु माँ अलग से पैसे जेब मे डाल देती थी। और ससुर जी अलग से पैसे दे देते थे। ऊपर से बोलते थे बेटा अगर और जरूरत हो तो बताना। शर्मा जी को बस एक लालच थी। कि आज नही तो कल अनु की इज्जत होगी और अनु को विवेक ले जायेगा।

अनु तो अपने माँ बाप की इकलौती बेटी थी। सांवले रंग की वजह से और कद छोटा होने के नाते विवेक के घर वालों ने समझौता किया था। सबसे ज्यादा तो पैसा मायने रखता था। लालच था तो शर्मा जी के प्रॉपर्टी से और उनके जमा पूंजी से तो उसका लाभ खूब उठाया।

विवेक की जब नौकरी लग गयी तो विवेक ने साफ शब्दों में अनु को फोन करके मना कर दिया। यह सुनते ही अनु तो टूट गयी। जिस लम्हें का बेसब्री से अनु को ििइंतजार था। आज जब वक्त आया तो उस घर मे उस दिल मे अनु के लिए कोई जगह ही नही थी।

शाम होते ही शर्मा जी आये और अपनी बेटी की हालत देख बहुत दुःखी हुए। और काफी प्रयास किये तो पता चला कि असलियत क्या था। अनु के असली दुख का कारण विवेक निकला।

शर्मा जी अपने जानने वालों को लिए और नात रिश्तेदारों को लिए और सुबह सुबह विवेक के घर पहुच गए। और बात चीत होते होते सारे रिश्ते नाते खत्म हो गए। शर्मा जी पूरी तरह टूट गए। अब क्या और कैसे घर जाऊं। मैंने तो अनु को बहुत ढांढस बंधाया है। कि मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा।

अनु तो मुझे अपना जादूगर समझती है। ख़ैर जो समान शादी में दिए थे। उसमे से केवल बेड, आलमारी, सोफा, फ्रिज और ac वापस मिला और उसे लेकर आये । शर्मा जी गाँव घर की इज्ज़त बचाने के चक्कर मे सारा सामान एक कबाड़ी वाले को बेंच दिया। अपनी बेटी को बहुत समझाया। वो लोग तुम्हारे लायक नही थे। बेटा जो होता है अच्छे के लिए होता है।

हो सकता है तुम्हे और परेशान करते आज तुम बच गयी। उन लोगों से तो मुझे बहुजो लोग अपने बेटे के लिए खुल कर सौदा करते हैं। इतने लाख रुपया चाहिए। गाड़ी चाहिये, ये चाहिए जो चाहिये। "जो होता है अच्छे के लिियेकेे होता है। "

अनु के माँ से बात किये और शर्मा जी जान पहचान में ही अनु के लिए एक रिश्ता तय किया। वहाँ भी जिस लड़के से अनु की शादी की चर्चा चल रही थी। उसकी भी पत्नी किसी कारण बस तलाक दे चुकी थी। इसलिए उन लोगों को भी बहुत सुंदर न ही बहुत ज्यादा पढ़ी लिखी न ही बहुत ज्यादा मॉर्डन लड़की चाहिए थी।

एक महीने के अंदर मंदिर में शादी करके अनु को विदा कर दिया। आज जिस घर मे अनु है वहाँ लोग अनु की इज्ज़त करते हैं। अनु अपने व्यवहार से सबका दिल जीत ली है। और दो बच्चे भी हुए। एक लड़की एक लड़का बहुत हँसी खुशी से अपने परिवार में रहने लगी।

एक दिन अचानक अपने पति के साथ अनु अपने मायके आयी तो पड़ोस की सुमित्रा काकी ने पूछा अरे अनु बिटिया ये तुम्हारा पति है तो विवेक का क्या किया तुमने कहीं अपना पति बदल तो नही लिया।

अनु चुप होकर सुन ली और सच्चाई से अवगत कराई। सुमित्रा काकी भी बहुत दुःखी हुई। और माफी भी मांगी बिटिया मुझे माफ़ करना । मुझे लगा कि तुम मजाक कर रही हो। ईश्वर तुम में शक्ति दें। तुम क्या हर किसी की बेटी हमेशा खुश रहें। ईश्वर मेरे दुश्मन के बेटी को भी इस तरह का कष्ट न दें।

इस तरह अनु के जीवन में कष्ट आये और गए।


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