क्यों हम ही

क्यों हम ही

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एक छोटा सा परिवार था। पति पत्नी और सास ससुर और दो बच्चे, माँ कमला अपने बेटे की गलती को छुपाती रहती थी। कहीं बहू को पता चलेगा तो हमें भी सुनाएगी। और बेटे निखिल का तो जीना हराम कर देगी।

कमला जी की वजह से निखिल का मन बढ़ता जा रहा था। निखिल अब हर बात शालिनी से छुपाने लगा। शालिनी रोज सुबह होते ही एक ही बात बोलती थी। कि झूठ कभी मत बोलना अगर तुम्हारा या माँ जी का झूठ मुझे पता चला तो अच्छा नही होगा।

निखिल देखो जो काम करना बहुत ही ईमानदारी से करना। मुझे ईमानदारी से कमाए गए कम पैसों में घर चलाना आता है। इसका तुम टेंशन मत लेना। बस ईमानदारी से कमाया गया हो।

लेकिन निखिल को गलत आदत जो पड़ गयी थी। हर आये दिन दूसरी लड़कियों को झांसा देना। सबसे पहले अपने प्यार में फसाना फिर अचानक दूर हो जाना।

एक दिन शालिनी भी किसी काम से बाजार गयी हुई थी। तो सोची की कोई काम मैं भी कर लेती हूँ। क्यों कि बच्चे भी बड़े हो रहे हैं। एक रेस्टोरेंट था। उसमें घुसी तो देखी निखिल किसी लड़की के साथ हँस हँस कर बातें किये जा रहा था।

थोड़ी देर पहले हमने कॉल किया था। तो निखिल ने बोला मैं ऑफिस में हूँ। और यहाँ कैसे मस्ती कर रहा है। इसने फिर झूठ का सहारा लिया। अब मैं बिल्कुल भी नहीं छोड़ने वाली हूँ।

शालिनी यह दृश्य देख आवाक रह गयी। उसके मुह से शब्द ही नही निकल पाए। बहुत हिम्मत जुटा कर बोली निखिल तुम यहाँ क्या कर रहे हो। ये कौन है।

निखिल पलट कर देखा तो हैरान हो गया। अब क्या जवाब दूँ। घर आने के बाद बहुत बात बहसशालिनी ने पूछा कि आख़िर हम औरतों को ही क्यों हर रिश्तों को संभालने की जिम्मेदारी दी दी जाती है। क्यों सारे दोष हम महिलाओं के ऊपर थोप दिए जाते हैं। आखिर इस तरह कब तक चलेेगा।

हम औरतें पतियो के नाम की मेहंदी, मंगल सूत्र, सिंदूर वैगरह सब लगाते फिरे और पति किसी और महिला मित्र के साथ आराम करे। निखिल ने इस बात का जवाब दे दिया। तुम भी मत पहनो मेरे नाम का सिंदूर मत पहनो मंगलसूत्र, किसने कहा है।

अच्छा जी तो आज से हम भी कुछ नही करेंगे। लेकिन अगर माँ जी या गाँव घर वाले पूछेंगे तो जवाब आपको देना होगा। क्योंकि मेरे रिश्ते में दरार डालने वाले आप ही हो।

या तो जो हरकत कर रहे हो सब छोड़ दो या जवाब के लिए तैयार हो जाओ। किस किस का जवाब देते फिरोगे। सुबह शालिनी उठी और साड़ी छोड़कर सूट पहन ली और एक लड़की जैसे अपने मायके में आजाद पंक्षी की तरह रहती है। ठीक उसी तरह रहने लगी।

माँ ने देखा और बच्चों को बुलाकर पूछा बेटे आज तुम्हारी माँ को क्या हो गया। मेरे सामने ऐसे घूम रही है। बच्चों ने बोला पता नही दादी मुझे बिल्कुल भी नही पता है 

जिस शालिनी की वजह से लोग तारीफ़ करते नही थकते थे। आज उसी शालिनी के लिये निखिल और उसका परिवार जवाब देते थक रहे थे। अन्त में निखिल को सुधारने में शालिनी कामयाब हुई।

ये बात तो सच है कि गलतियों को छुपाना नही चाहिए। यदि एक गलती छुपाई गयी। तो समझ लीजिए बहुत बड़ी गलती हो रही है। जीवन मे यदि सुखी रहना है तो प्रेम के साथ विश्वास का होना अत्यंत आवश्यक है। चाहें बड़ा बच्चा हो या छोटा गलतियों को छुपाने के बजाय उसे उसकी गलती का अहसास करवाना चाहिए। ताकि अगली गलती करने से पहले बार बार उसका दिल रोके उस गलत कार्य को करने में बिल्कुल भी सहयोग न दें। लिखते समय हुई गलती के लिए माफी चाहूँगी।


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