मेरी प्रिय पुस्तक
मेरी प्रिय पुस्तक
आचार्या रजनीश की सम्भोग से समाधि तक
ओशो कहा जाता था उन्हें। एक आध्यात्म योग समभोग का सुखद योग और आयाम। मनुष्यों में जीवो पशुवर्ग में समभोग के कई आयाम है। पशुवर्ग का एक ऋतुकाल होता है पर मनुष्यों में कोई काल या समय नही ।सिर्फ वासना तृप्त भूख जिसका अंत नहीं।
योग से मानव स्वयं को जानता है प्रवेश आतंरिक मनन करता है फिर भोग का चरमसुख ।आतमा और परमात्मज्ञान का आनंद ।जीवात्मा का भटकाव समाप्त ।अजंता एल्लोरा में कामुकता से भरी भित्तियों से पता चलता है कि आनंद पाना आसान नहीं।
मनुष्य भटकाव में है पहले आयाम जानिए मन का घर खोलिए और प्रवेश करिए सुखद अनुभूति की फिर नारी मन की सहमति की और लिप्तावसथा का चरम आनंद लिजिए।सहवास मधुर पलों का, विद्युत संचार का।