बसंतोत्सव
बसंतोत्सव
मेंरा प्रिय बसंतकाल ऋतुराज के नाम से जाना जाता है। बसंत आगमन माँ शारदे का जनमोत्सव बसंत पंचमी को मनाया गया। माँ सरसवती की वीणा वादन और वेद पाठको का नवीनता भरा सुंदर ज्ञान का प्रकोटत्सव। मा वीणावादिनी सरसवती शारदे सफेद उज्जवल वस्त्र में और सफेद हंस पर हंसिनी कहलायी जाती है हाथ में एक कर में वीणा और दूसरे कर मेंं वेदांग। तीसरे हाथ में कलश और विदधा की सुवर्ण मुद्राएँ बिखेरती हुई और चतुर्भुजी हाथ आशीर्वाद देती हुई।
जयति जयति जय माँ शारदें।
चतुर्भुजी हे ज्ञान दायिनी
मूर्ख मन को तार दे।
हे ज्ञान की महादेवी नमन करु शत शत बार।
वीणा की तार झंकृत कर दो इस संसार मेंं
कलुष मन और तन का हटा दो हर बार।
जयति जयति माँशारदे।
धन्य हुई मैं करु
वंदना शत शत बार
जय हो बंसत आगमन।