भूली बिसरी यादों के पल

भूली बिसरी यादों के पल

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मेरे बेटे अनुराग का पहला जन्मदिन और सौ से भी ज्यादा मेहमान आये। कुछ मेरे मामाजी के परिवार और कुछ पतिदेव के मित्र,तो कुछ रिश्तेदारों का अवागमन और कुछ पडो़सी। आज इस मंच पर देखा कि कुछ भूली बिसराई यादें फोटोगैलरी, तो बस लगे देखने। आज भावुक हो गये, वो लोग अब जीवित नहीं ,कुछ हैं जो बुजुर्ग हो गये ।मेरा बड़ा बेटा छब्बीस का और मैं अड़तालीस की। समय रुकता नहीं, चलता ही जाता है और हम बुजुर्ग और बच्चे बड़े ।समय चक्र है आज सच कहें यादें ताजा तरीन लग रही हैं ।आज ही की बात है, मैं बीस साल की हो गई। क्या जाता है सोचने में मन तो मन है ।


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