रोई भी और हँसी भी सुंदर पल

रोई भी और हँसी भी सुंदर पल

2 mins
307


वो दिन जब मैं बहुत रोई भी और हँसी भी 

कुछ दिन पहले की बात है पति देव के फोन की बैल बजी वो खाना खा रहे थे बोले जरा देखो किसका फोन है मैने फोन रिसिव किया एक मधुर आवाज़ लड़की की हेलो। मैं बोली जी कौन और उसने फोन काट दिया। मैं उत्सुक थी कहीं पतिदेव का बाहर चक्कर तो नहीं चल रहा पति प्रेम का सिंहासन डोलने लगा। मैंने कॉल द्वारा बैक उसी नंबर पर कर दी। लड़की थी बोली मेरी आवाज़ सुनकर जी मैंम राँग नम्बर। मैं मन के तीर छोड़ने लगी और पतिदेव से बोली कौन थी ये मैडम। वो वोले नहीं पता और दूसरे रुम में जाकर सो गये जो मेरे साथ ही सोते। मन विचलित रात भर करवटें बदलती कौन थी कही मुझे और बच्चों को छोड़ दिया क्या करुंगी। सुबह चाय बनाई और उनको दी वो गुस्से में थे। मैं बोली अगर बाहर कुछ है तो बता दो मैं जी लूंगी और बस बच्चों के खर्च शिक्षा पर ध्यान रखना। वो गुस्से में आ गये गीता रामायाण की कसम खाने लगे। मैं भी नारी शक्तिशाली बोली कसमें मत खाओ क्योंकि कसमें कोर्ट में और शराबी रोज खाते है सच नहीं बताते। तुम झूठे। और वो ड्यूटी चले गये नहा धोकर पर मैं रोती रही। पूरा दिन मोबाईल पर नजर वो फोन करेंगें नहीं मैने किया मन उदास। रात दस बजे आये और बोले मुझे माफ कर दो पूनम। मैं तो खुश ये चाँदी कैसे हो गई मन की मुराद मिल गई। मैं बोली ठीक है जाओ फ्रेश हो लो मैं खाना लगाती हूँ। बोले मेरा मोबाईल खो गया। मैं बोली अच्छा जी और हँसने लगी खिलखिलाकर मजे आये। देखा घर की औरत का सम्मान और झूठी कसमें ईश्वर सजा देता है। बोले क्या करुँ सबके नंबर थे जरूरी। मैंने अपने फोन से उनके फोन पर रिग किया बैल जा रही थी मैं बोली मिल जायेगा आपका फोन ये बाथरूम में गये। तभी एक फोन आया अरे भाभीजी भाई सहाब का फोन कार में ही छूट गया शायद हड़बड़ी में जेब से गिर गया ।मैं बोली कल बताना जब वो दफ्तर आये वो भी खिलखिलाकर हँसने लगे और मैं भी दिन भर रोई और अब मुस्काराहट आ गई। सच कहा है रोते हुऐ मुस्काराहट आना आसान नहीं एक लाजवाब हँसी का पल और कला। खिचाव चेहरे का तने होंठ और रोती सूजी आँखें। उनको बताया फोन सुदेश जी की कार में था और वो खुश और बोले जानू मेरी दुनिया मेरा परिवार और तुम हो और कोई नही आई लव यू माई फैमली। और मैं फिर रो गई पतिदेव को साँरी कहा और वे बोले स्माईल प्लीज। हम भी एक साथ हँस दिये ।


Rate this content
Log in