मेरा प्यार
मेरा प्यार
"मेरे लिए प्यार,मोहब्बत,इश्क़,चाहत और मेरे दिल की ख़ुशी बचपन से दिल में पाला हुआ वो एक सपना है एक मंज़िल है जिसको पाने के लिये बाइस साल दिन रात मेहनत की है। और वक़्त के साथ ये चाहत ये इश्क़ ये मोहब्बत इतनी गहरी हो गयी है कि अब इसके बिना जीना मुश्किल सा लगता है।
हाँ शायद आम ल़डकियों से कुछ अलग हूँ।
उनके जैसे सपने मेरे बिलकुल नहीं हैं। मेरे लिए वो सपने ज़िंदगी का एक हिस्सा है जो कभी ना कभी मिलना ही हैं। लेकिन जिम्मेदारियों के साथ अपने आप को बाकी रखना एक चुनौती है।जब मैं आईने में ख़ुद को देखूँ तो आईने के दूसरी ओर अंदर से एक दुःखी पत्नी और बाहर से मुस्कराते हुए एक समर्पित पत्नी या जिम्मेदारियों के बोझ से अपनी ख़्वाहिशें या अपने सपने कहीं पीछे छोड़ आयी एक माँ ना दिखाई दे।बल्कि हक़ीक़त में अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए अपने सपनों के साथ खुद को मैं भी ख़ुश दिखाई दूँ।
इस चुनौती में मेरे साथ कोई नहीं है मुझे ख़ुद ही अपने लिए अकेले लड़ना है। तुम्हें कोई भी अच्छी लड़की मिल जाएगी। मेरे साथ रिश्ते के लिए हाँ कहने से पहले बहुत अच्छी तरह सोच लेना।अर्श तुम्हारा जो भी जवाब होगा मुझे कोई फर्क़ नहीं पड़ेगा।इसीलिए आराम से वक़्त लेकर इस बारे में ज़रूर सोचना।
मेरा पहला प्यार मेरी वो मंज़िल है जिसके लिए मैं दिन रात मेहनत कर रही हूं। मैं रिश्तों में ईमानदारी की कायल हूँ। झूट पर बने रिश्ते ज़्यादा दिन नहीं चलते हैं। जो भी है जैसा भी मैंने तुम्हें सब बता दिया है।" सारा बड़े एतमाद से अर्श के सामने अपनी बात रख चुकी थी।
आज अर्श सारा को देखने उसके घर आया था। जब सबकी मर्ज़ी से दोनों आपस में बात करने बाहर लॉन में आए तो सारा ने बिना वक़्त बर्बाद किए
अर्श के सामने सारी बात रख दी।
अर्श काफी देर तक वहीं बैठे सोचता रहा उसने सारा से कोई बात नहीं की। कुछ देर बाद दोनों अंदर आ गये। अर्श ने अपना जवाब देने के लिये कुछ समय माँगा।
घर आकर माँ बाबा अर्श से काफी नाराज थे,"अर्श बेटा सब कुछ तो तय है तुम्हें सिर्फ लड़की देखकर हाँ करना थी।"
अर्श ने अपने माँ बाबा को कुछ नहीं बताया बल्कि उनसे कहा, "बाबा, मेरी तरफ़ से हाँ है, लेकिन मैं सोच रहा था कि सारा का भाई माशाल्लाह अच्छी तरह सेट है अपनी सना के साथ उसकी जोड़ी बहुत अच्छी रहेगी। मैंने जब वहां उसे देखा तो यही सब सोचकर मैं रूक गया कि आपसे एक बार बात कर ली जाए। सना का इस साल फाइनल ईयर है अगले साल इसकी शादी कर दूँ फिर आप बग़ैर पूछे सारा से मेरी शादी कर दिएगा "
ये बात ना सिर्फ अर्श के माँ बाबा को अच्छी लगी बल्कि सारा के घर भी ख़ुशी की लहर दौड़ गयी।सारा ने जब सुना तो बस मुस्कराकर रह गयी और सोचने लगी कितनी समझदारी से अर्श ने उसके सपनों के पूरा होने के लिए वक़्त ले लिया था।
सारा के पास भी अब इस रिश्ते के लिए ना कहने की कोई वजह नहीं थी।
आज अर्श सब कुछ सही हो जाने के बाद रात को छत पर बैठे हुये चाँद को देख रहा था फिर मुस्कराते हुए बोला, "तू कितना ख़ामोश चाँद है एक मेरा चाँद है कि बिना वक़्त गंँवाये सब बोल दिया। मेरी हाँ के रास्ते बंद करके सबके साथ बैठकर मेरे जवाब का इन्तेज़ार करने लगा। वो हाँ करने नहीं दे रहा था और मैं ना कर नहीं पाया।
ख़ुदा का शुक्र है कि मुझे मेरे प्यार मेरी मंज़िल तक पहुँचने का रास्ता मिल गया।बस तू दुआ करना कि मेरे चाँद को भी उसका प्यार उसकी मंज़िल जल्दी मिल जाए। आखिर अब उसकी ख़ुशी में ही मेरी खुशी है।