NOOR EY ISHAL

Classics Inspirational

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NOOR EY ISHAL

Classics Inspirational

शिकस्त

शिकस्त

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"शहर के सबसे बड़े वकील की बेटी है। खूब माल और दौलत लेकर आयेगी। बहुत पढ़ी लिखी है वकालत ही पढ़ रही है। बस रूप रंग अच्छा नहीं है इसी कारण रिश्ते नहीं हैं। भतीजे और भतीजी की शादी होने से उनके घर में उसकी शादी की चिंता और बढ़ गयी है।

अब तो जो भी रिश्ता आ जाये वही सर आँखों पर रख लेंगे वो सब। मेरी मान अपने बिरजू का रिश्ता कर दे बहुत फायदे में रहेगी। दुआएँ देगी मुझे तू कि कैसे भाग्य पलटवा दिये मैंने। ऐसे रिश्ते बार बार नहीं आते हैं। शरीफ घराना, मालदार पार्टी, पढ़ी लिखी नेक लड़की। औऱ क्या चाहिये तुझे ? 

बिरजू तेरा ना शक़्ल ओ सूरत का अच्छा है, ना पढ़ा लिखा है, आठवीं भी ना कर पाया और काम धंधा भी कुछ नहीं है। ज़रा गौर करना इस रिश्ते पर। "

रानी बुआ पान चबाते हुए बिरजू की माँ पर रिश्ता करने का दबाव बनाते हुए बोली,

" वो तो सब ठीक है पर मुझे और बिरजू को सुन्दर लड़की चाहिये "बिरजू की माँ मिमियाते हुए बोली लेकिन लालच उसकी आँखों में साफ़ दिखने लगा था

" ठीक है तो फिर, सुंदर लड़की के घरवाले ऐसे लड़के के साथ कभी रिश्ता नहीं देते हैं। मैं चलती हूँपडोस के ईश्वर लाल ने भी अपने लड़के के रिश्ते ढूँढने को कह रखा है मुझसे। मैं ये रिश्ता वहाँ लगवा देती हूँ। वो तो तू मेरी छोटी बहन जैसी है तो सोचा पहले तेरा ही भला करवा दूँ। "रानी बुआ मुँह बनाते हुए बोली

"अच्छा अच्छा, ठीक है इतना नाराज क्यूँ हो जाती हो,, जाओ चलवा देना ये रिश्ता। लेकिन मेरे पास तुम्हें देने के लिये कुछ नहीं है ये याद रखना। "बिरजू की माँ लीला रानी से जान छुड़ाते हुए बोली। 

"अभी नहीं है। बहू आने के बाद तो बहुत कुछ आ जायेगा। अरे वो नक्शा बदल देंगे तेरे घर का। बस एक सोने का सेट दे देना। "रानी बुआ भी इस रिश्ते से अपने हाथ बनाने में लगी थी 

" ठीक है। "लीला ने हामी भर ली 

" बस तो ठीक है मैं कल ही जाकर उनको बिरजू का रिश्ता दे आती हूँ। बस मैं वहाँ जाकर लड़के के गुणों के बारे में जो कहूँ तू भी वही सब शादी होने तक दोहराती रहना। बस किसी तरह एक बार शादी हो जाये"रानी बुआ की आँखों में भी लालच की चमक तैर रही थी 

"अरे बिरजू, आज रानी बुआ आयी थी, तेरा एक बड़े अमीर घर से रिश्ता लेकर आयी थी। मैंने हाँ कह दी है। कल वो जाकर ल़डकी वालों को रिश्ता दे आयेगी। "लीला ने अपना फ़ैसला बिरजू को सुनाया 

" ठीक है माँ, तेरी जो मर्ज़ी आये कर, मुझे इस सबसे कोई मतलब नहीं है तू जान तेरी होने वाली बहू के घरवाले जाने"बिरजू अजीब सी उकताहट के साथ बोला

"लड़का बहुत शरीफ है और बारहवीं पास है। खानदानी लोग है लेकिन गरीबी के कारण पढ़ाई छोड़नी पडी। बड़ा होनहार लड़का है। माँ को हाथों पर रखता है। हाँ आपकी और उनकी हैसियत में जमीन आसमान का फर्क़ है लेकिन खानदान और शराफत में आपके टक्कर के ही हैं 

आपको अगर कोई एतराज नहीं हो तो मैं आपकी लड़की के लिये वहाँ बात करूँ। "रानी बुआ सुबह होते ही लड़की वालों के यहाँ बिरजू का रिश्ता लेकर पहुँच गयी थी

" ठीक है आप जाकर उनसे बात कीजिये और लड़के की माँ को हमारे यहाँ आने का न्यौता भी दे दीजिये। "लड़की की दादी ने कहा

" जी ठीक है, मैं आज ही जाकर उनको बता देती हूँ। फिर वो लोग यहाँ आने की जो भी तारीख तय करेंगे। मैं आपको बता बता दूँगी" रानी बुआ चाय नाश्ते के बाद जल्दी से उठते हुए बोली

" अरे बिरजू, उठ आधा दिन निकल गया है। कब तक सोया रहेगा। नाजाने क्या ख़्वाब देखता रहता है जो आँख नहीं खुलती है " लीला नाराज होते हुए बोली 

" माँ,, कितनी बार बताया है कि रातभर सो नहीं पाता हूँ। औऱ सुबह आँख लगती है। इसीलिए उठने में देर हो जाती है। ना जाने कहाँ नींद में गाफिल सोयी हैं ख़्वाब की ताबीरें और ख़्वाब हैं कि मुसलसल बेचैन होकर जागते हैं" बिरजू हौले से बोला 

"पता नहीं कैसी बातें करता है। समझ ही नहीं आती हैं"

"अरे कोई घर में है क्या "रानी बुआ ने बिरजू के घर में घुसते हुए कहा

" लो, तुम्हारी ही कमी थी बुआ। आ जाओ। अम्माँ नाश्ता रहने दे। अब यहाँ रुक नहीं सकता हूँ। जय की तरफ जा रहा हूँ वहीं कुछ खा लूँगा" बिरजू रानी बुआ को देखते ही चिढ़ गया था 

" हे भगवान, इसका मुझसे कुछ पिछले जन्म का ही बैर लगता है" रानी बुआ मुँह बनाकर बोलीं

"तुम भी जाने दो ना क्यूँ बच्चे के मुँह लगती हो। वहाँ की कोई खबर बताओ। क्या बात बनी? "लीला ने उत्सुकता से पूछा

" हाँ, अब जब मुँह मीठा करवाएगी तभी आगे बताऊँगी" रानी बुआ मुस्कराकर बोलीं

" ये लो मिठाई। अब जल्दी बताओ क्या कहा उन लोगों ने। मुझसे इंतजार नहीं हो रहा है" लीला बेसब्र होकर बोली

"बुलाया है तुम सबको। अच्छा सा दिन देखकर बस जल्दी चलो। कहीं देर ना हो जाये" रानी उसे डराते हुए बोली। सोने के सेट के लालच में वह बिरजू की शादी जल्दी से जल्दी कराने को तैयार थी

" ठीक है,,, तुम ही कोई दिन बता दो। "लीला सब उसी के भरोसे छोड़ते हुए बोली

"फिर मैं कल ही आने का बोल आती हूँ। कल शाम को चलते है। "रानी बुआ चट मंगनी पट ब्याह पर उतर आयी थी

बात पक्की हो गयी थी। लड़की वालों को बिरजू से अपनी लड़की धरा का रिश्ता करने में कोई आपत्ति नहीं थी। उन्होंने अपनी तसल्ली के लिये अपनी तरफ से सारी खोजबीन करा ली थी जिसमें उनको बिरजू की पढ़ाई लिखाई के बारे में भी पता चल गया था औऱ रानी बुआ की भी हक़ीक़त पता हो गयी थी

एक महीने बाद शादी तय हुई थी। दो दिन बाद मंगनी थी। लेकिन बिरजू कुछ परेशान थाउसे ये समझ नहीं आ रहा था कि इतनी पढ़ी लिखी और अमीर लड़की उससे शादी करने को तैयार है,

"आखिर क्या बात होगी ?" मन तरह तरह की आशंकाओं से घिरा था। रानी बुआ को भी वह अच्छी तरह जानता था। औऱ माँ। माँ को जो जैसी पट्टी पढ़ा दे माँ बिना सोचे समझे उसी की हो जाती है  

मन ज्यादा परेशान हुआ तो जय की तरफ चला आया

"यार मन बहुत विचलित है। दो दिन बाद मंगनी है। लड़की वाले शादी का सारा खर्चा कर रहे हैं। एक पूरा फ्लैट सामान से भरकर मेरे नाम कर चुके हैं। शादी वाले दिन शादी होके धरा वही जायेगी और हम सब भी। हमारे घर को वो एक फार्म हाउस बना रहे हैं जिससे मेरा रोज़गार भी हो जाये

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या हो रहा है 

रानी बुआ के बारे में सब जानते हैं कैसे फालतू रिश्ते कराती है। माँ को जो जैसा सिखा दे माँ उसकी हो जाती है। लड़की वालों ने हमारे रिश्ते में पता नहीं क्या देखा जो फौरन तैयार हो गये

माँ को मैंने बताया हुआ था कि कहीं भी शादी कर दे बस लड़की सुन्दर हो। औऱ धरा बिलकुल भी सुन्दर नहीं है इसीलिये शायद वो सब मुझ पर इतने मेहरबान हो गये हैं। यार जय। सारी जिंदगी लड़की वालों का गुलाम ना बन जाऊँ। "

बिरजू बहुत उदास होकर बोला उसे लग रहा था कि उसकी माँ ने रानी बुआ के साथ मिलकर उसे लड़की वालों को बेच दिया है

"बिरजू अपने दिल से इतने वहम निकाल दे। सब ठीक होगा यार। परेशान नहीं हो। बस एक बात जरूर याद रखना कि ये नये रिश्ते बहुत ईमानदारी से निभाना। माँ और रानी बुआ के खेल से आजिज आकर कभी भी तू भाभी के साथ बुरा नहीं करना। और जहाँ तक इतना सब कुछ देने की बात है तो मुझे लगता है कि ये सब भाभी की गृहस्थी सुखी बनाने का ही प्रयास है। तुझे खुले दिल से भाभी की खातिर ये सब अपनाना होगा। और हाँ बाकी सब भूल जा और खुशी खुशी शादी की तैयारी कर"जय उसे बड़े बुजुर्गों की तरह समझाते हुए बोला 

"तू सही कह रहा है "बिरजू उसकी बात से सहमत था और कहीं ना कहीं ख़ुद को आगे आने वाले हालात के लिये तैयार कर चुका था 

शादी बड़ी धूमधाम से हो गयी थीनयी बहू बिरजू और उसकी माँ के साथ अपने घर आ गयी थी। विवाह के बाद की सारी रस्में भी अच्छी तरह से हो गयी थीं

लीला बहू के आने से बहुत खुश थी। उसे धरा बहुत अच्छी लगी थी। धरा भी बहुत ख़ुश थी

"धरा ,, लाल रंग तुम पर बहुत अच्छा लगता है"बिरजू ने धरा को देखकर कहा 

"अरे। मेरी बहू है ही इतनी अच्छी। सारे रंग इस पर अच्छे लगते हैं। भगवान हमेशा ख़ुश रखे मेरे बच्चों को। लक्ष्मी जी सरस्वती जी का आशीर्वाद है मेरी बहू"लीला धरा को गले लगाते हुए बोली 

"हाँ। अम्माँ। तू सही कह रही है। घर से लेकर रोज़गार सभी धरा के जरिये भगवान ने हमें दे दिया है। काश मैं धरा को अपनी तरफ से कुछ अच्छा उपहार दे पाता जिसे मैंने धरा के लिये कमाया होता। "बिरजू उदास हो गया था 

" अरे कैसी बातें कर रहे हैं आप। आपका प्यार और आपका दिया गया सम्मान मेरे लिये बहुत बड़ा उपहार है। हर वक़्त हर कोई मुझे मेरे साँवले रंग पर ताने मारता था। बार बार कोई ना कोई ये एहसास दिला जाता था कि मैं सुन्दर नहीं हूँ। औऱ मुझे यही लगता था कि चाहे कितनी भी दौलत मैं ले जाऊँ लेकिन मेरी आगे आने वाली जिंदगी भी ऐसी ही होगी। लेकिन आप दोनों से मिले प्यार और सम्मान ने मेरी जिंदगी बदल दी है। हमेशा इसी तरह आप दोनों मुझसे प्यार करते रहियेगा। "धरा रोने लगी थी 

" बिरजू तेरी बातें मुझे कभी समझ नहीं आयी। जाने क्या कहता है क्या सोचता रहता है। बस कर। रुला दिया मेरी बच्ची को। धरा मैं और बिरजू हमेशा तुम्हें ऐसे ही प्यार करते रहेंगे 

ये सच है कि रानी बुआ के बहकावे में आकर मुझे माल का लालच आ गया था पर बेटी तेरी विनम्रता, तेरा सलीका, तेरी देखभाल देखकर मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी बेटी की कमी पूरी हो गयी है। अब मुझे फर्क़ नहीं पड़ता कि ये दौलत रहे या ना रहे। मुझे हीरे जैसी धरा मिल गयी है। "लीला उसे गले लगाती हुई बोली 

" हाँ अम्माँ,, मुझे तो अभी तक समझ नहीं आया कि जो लोग धरा को सुन्दर नहीं कहते थे वो लोग आँख वाले थे भी या नहींसूरत और सीरत दोनों से मेरी धरा तो बहुत सुन्दर है"बिरजू बहुत सादगी से धरा को देखकर मुस्कराते हुए बोला

" हमें यकीन था कि हमारी बेटी हमारा मान रखेगी"धरा की माँ और पिताजी अंदर आते हुए बोले। उन्होंने धरा और बाकी सब की बातें सुन ली थी

" अरे माँ। पिताजी आपलोग अचानक यहाँ। हम आपकी तरफ ही आ रहे थे। "बिरजू ने दोनों के पैर छूकर कहा

"हाँ। बेटा। बस तुम्हारी माँ धरा का घर देखना चाह रही थी। शादी के बाद आयी ही नहीं थी" 

"बहुत अच्छा किया बहन आपने। आपकी बेटी का घर है। जब चाहे आप लोग आ सकते हैं "लीला धरा की माँ से गले मिलते हुए बोली

" और बिरजू बेटा फार्म हाउस पर सब ठीक है?"

"जी। पिताजी सब ठीक है। मैंने वहाँ जाना और उसे देखना शुरू कर दिया है"बिरजू ने बताया

"अरे वाह। ये तो बहुत अच्छी बात है। मेरी दुआ है कि खूब तरक्की करो और ख़ुश रहो। "धरा के पिताजी ने उसके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देते हुए कहा 

कुछ देर हँसी मज़ाक़ और दूसरी जरूरी बातें करने के बाद धरा के माँ पिताजी चले गये थे

शाम होने को थी। खाना बनाने वाली को रात के खाने में क्या बनना है समझाकर धरा अपने कमरे में चली आयी

बिरजू खिड़की के पास खड़ा निकलते हुए चाँद को देख रहा थाधरा उसके पास चली आयी

"क्या बात है बड़े ध्यान से चाँद को देखा जा रहा है ?" 

"हाँ। देख रहा हूँ कि कितना उतावला है ये चाँद चाँदनी से मिलने के लिये संग जो देखे थे हज़ारों ख़्वाब वो पूरे करने के लिये 

कोई तो हो जो बता दे मुस्कराते हुए चाँद को जाकर

चाँदनी करके मुकम्मल ख़्वाब देगी आज उसे लाकर" 

"ये क्या कह रहे हैं। मुझे कुछ समझ नहीं आया" धरा हैरान होते हुए बोली। 

" कुछ नहीं। तुम नहीं समझोगीछोड़ो। औऱ माँ को अक्सर सुना ही होगा कहती रहती हैं ना मेरी बातें उसे समझ नहीं आती। क्या बोलता हूँ क्या सोचता रहता हूँ"

बिरजू मुस्कराते हुए खिड़की से हटते हुए बोला।

" अच्छा एक बात कहूँ आपसे। आप अपनी पढ़ाई फिर से शुरू कर दीजिये। शादी हुए दो महीने हो चुके हैं। सब रस्में भी पूरी हो गयी हैं। आपने फार्महाउस भी जाना शुरू कर दिया है। आप अपनी पढ़ाई वापस शुरू कर सकते हैं।

आजकल घर से ही पढ़ाई करने के बहुत सारे आसान रास्ते हैं जिससे हमारी जिम्मेदारियाँ कभी प्रभावित नहीं होती हैं। फिर माँ को मुझे बहुत अच्छा लगेगा"धरा हिचकिचाते हुए कह रही थी उसे नहीं पता था कि बिरजू किस तरह से इस बात का जवाब देगा। 

"आपका हूँ। जो मर्ज़ी आपकी। "बिरजू हँसते हुए बोला।

" क्या सच। तो क्या मैं कल ही आपका फाॅर्म भर दूँ। "धरा बहुत उतावली हो रही थी।

" बिलकुल। मैं पूरी मेहनत करूँगा। बहुत धन्यवाद धरा। हर कदम बढ़ने के साथ एक और ख़ुशी दे जाती हो। मैं कब तुम्हारे लिये कुछ कर पाऊँगा। "बिरजू फिर उदास हो गया था 

"आप मेरे माँ पिताजी को बेटे की तरह सम्मान देते हैं। फार्म हॉउस अच्छी तरह सम्भाल लिया। मेरी खातिर कार भी चलाना सीख लिया। अब आगे पढ़ने को भी दिल से तैयार हैं। क्या कुछ नहीं कर रहे हैं आप मेरे लिये। अब कभी ये बात नहीं कहियेगा। मुझे दुख होगा" धरा बनावटी गुस्से में बोली तो बिरजू मुस्करा दिया

" ठीक है नहीं कहूँगा। "

सब हँसी ख़ुशी चल रहा था। एक दिन लीला मंदिर गयी हुई थी और बिरजू फार्म हाउस पर था। अचानक धरा की तबीयत बहुत ख़राब हो गयी। उससे ख़ुद को सम्भाला नहीं जा रहा था। वो ना तो गाड़ी चलाकर डॉक्टर के पास जाने की हालत में थी और ना ही बिरजू को फोन कर पा रही थी 

ज़्यादा हालत बिगड़ने से वह बेहोश होकर गिर पडी। तभी जय किसी काम से बिरजू से मिलने आया था। संयोगवश घर का दरवाजा खुला था तो वह अंदर आ गया। उसे धरा अपने कमरे के दरवाजे पर बेहोश मिली थी। उसने फौरन एम्बुलेंस को बुला लिया और बिरजू को भी फोन करके बता दिया 

एम्बुलेंस में वह धरा के साथ था। क्यूँकी हॉस्पिटल पास में ही था इसीलिये आधे घंटे में ही धरा की जाँच शुरू हो गयी थी 

बिरजू भी हॉस्पिटल पहुँच गया था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अचानक धरा को क्या हो गया 

थोड़ी देर बाद धरा के भाई, माँ, पिताजी और बिरजू की माँ भी हॉस्पिटल पहुँच गये। बिरजू और धरा की माँ रो रो कर अपने हाल खराब किये हुए थी। किसी को कुछ नहीं पता चल पा रहा था कि क्या हुआ है।

लगभग दो घंटे के जानलेवा इन्तेज़ार के बाद डॉक्टर ने आकर पूछा"बिरजू कौन हैं ?" 

"डॉक्टर मैं हूँ। मैं धरा का पति हूँ। क्या हुआ है उसे? " बिरजू ने बहुत परेशान होते हुए पूछा।

"वो बिलकुल ठीक हैं लेकिन अगर ज़रा भी देर हो जाती तो आपके बच्चे को हम बचा नहीं पातेफ़िलहाल वो दोनों ठीक हैंबाकी सारी डिटेल्स सिस्टर आपको बता देंगीं। आप अपनी पत्नी से मिल सकते हैं। Don't worry। सब ठीक है " कहकर डॉक्टर चले गये।

बिरजू दौड़कर धरा के पास पहुँच गया।

" धरा। ये सब कैसे हुआ। तुम ठीक हो ना। औऱ डॉक्टर क्या कह रहे थे हमारा बच्चा??। "बिरजू खुशी से रोने लगा था 

" आप पेशेंट को आराम करने दीजिये। अभी काफी वीक हैंये माँ बनने वाली हैं लेकिन इन्होंने बुखार के लिये जो मेडिसन ली थी उस दवाई को हम इस स्थिति में नहीं देते हैं। उससे इनकी तबीयत खराब हो गयी थी। पर समय से इनका इलाज हो गया है अब दोनों सुरक्षित हैं। आपको आगे इनका बहुत ख्याल रखना होगा। "सिस्टर धरा को मेडिसन खिलाकर चली गयी 

" मैं ठीक हुँ। आप परेशान नहीं हों। "धरा धीमी आवाज़ में बोली।

"तुम आराम करोअब मैं भी ठीक हूँ "बिरजू उसके सिर पर हाथ फेरते हुए प्यार से बोला।

थोड़ी देर बाद दवाई के असर से धरा सो गयी तो बिरजू बाहर आ गया था। बाहर सब परेशान थे। बिरजू ने आकर सारी बात बतायीसब बहुत खुश थे 

"जय। आज फिर तूने मुझे बर्बाद होने से बचा लिया" बिरजू रोते हुए जय के गले लग गया।

" बस कर। भगवान का शुक्र है कि भाभी ठीक है। तूने तो मुझे भी रुला दिया " जय भी रो दिया। 

" अच्छा बच्चों। हिम्मत से काम लो। शुक्र है कि सब ठीक है" धरा के पिताजी ने दोनों को चुप कराते हुए कहा। 

धरा तीन दिन के बाद घर आ गयी थीधरा के लिये एक नर्स घर पर उसकी देखभाल के लिये लगा दी गयी थी। लीला और बिरजू उसकी देखभाल में कोई कमी नहीं छोड़ रहे थे। एक महीने की अच्छी देखभाल से धरा ठीक हो गयी थी। लेकिन लीला और बिरजू अभी भी उसका बहुत ख्याल रख रहे थे।

" अब मैं बिलकुल ठीक हूँ। मेरा इतना ख्याल नहीं रखियेमाँ दिनभर मेरी देखभाल करती हैं और आप भी फार्म हॉउस पर इतनी मेहनत करके आने के बाद आराम करने की बजाय मेरी देखभाल में लग जाते हैं" धरा ने उदास होते हुए बिरजू से कहा जो उसके लिये सेब काट रहा था। 

"फार्महॉउस पर काम नौकर करते हैं मैं सिर्फ उनको देखता हूँ। इस वक़्त तुम्हारा और माँ का ख्याल रखना मेरी पहली ज़िम्मेदारी है "बिरजू सेब उसकी तरफ बढ़ाते हुए बोला और खुद ही सोचने लगा कि धरा के आने से उसके अंदर एक जिम्मेदार व्यक्ति जीवित हो गया है। काश वो माँ के लिये, धरा के लिये और अपने आने वाले बच्चे के लिये अपना कुछ अर्जित कर पाता। ये एहसास उसे शुरू से ही बेचैन किये हुए था।

धरा उसके चेहरे के आते जाते भावों को पढ़ने की कोशिश कर रही थी अचानक बोल उठी, 

"चाँद को देखकर इतनी सुन्दर पंक्तियाँ बोल रहे थे और अपने आने वाले मेहमान के लिये कुछ नहीं कहेंगे" 

बिरजू हैरान था कि धरा उसके इस गुण को कैसे समझ गयी है "हाँ। हाँ। क्यूँ नहीं" बिरजू अभी भी हैरान था 

"इन्तेज़ार के ये पल मुश्किल तो हैं 

पर सुकूं यही है कि हम संग तो हैं

सख्त थी राहें मुद्दतों चला हूँ धूप में 

खुशियाँ आयीं नन्ही कली के रूप में" 

हाँ, बिल्कुल। आप एक सफल कवि ज़रूर बनेंगे। मुझे आपकी काबिलियत और मेहनत पर पूरा भरोसा है " धरा ने उसे हौसला देते हुए कहा 

बिरजू ने सारी जिम्मेदारियाँ सँम्भालते हुए अपना काव्य संकलन लिखना शुरू कर दिया था। आठ महीने की मेहनत के बाद आज बिरजू का काव्य संकलन प्रकाशित हो गया था 

जिसका शीर्षक उसने" धरा " रखा था। पूरे संकलन में अपनी ज़िंदगी के संघर्ष और कमियों को और धरा के आने से बदली ज़िंदगी को काव्य रूप में प्रस्तुत किया था 

आज घर पर उसकी पुस्तक का उद्घाटन समारोह था। जिसमें परिवार और रिश्तेदारों के अलावा कुछ अपने मित्रों को भी बुलाया हुआ था। सभी बिरजू के लेखन की बहुत तारीफ कर रहे थे 

एक घंटे के बाद कार्यक्रम खत्म हो चुका था सभी अपने घर जा चुके थे। मौसम अच्छा हो रहा था इसीलिये बिरजू और धरा थोड़ी देर के लिये बाहर ही बैठ गये थे

"धरा आज मैं बहुत खुश हूँमेरी जिंदगी में आने के लिये बहुत शुक्रिया " बिरजू ने दिल से उसका धन्यवाद करते हुए कहा 

"मैं भी बहुत खुश हूँ। आखिर अब एक लेखक की पत्नी हूँ" धरा ने इतना ही कहा था कि अचानक उसकी तबियत खराब होने लगी तो बिरजू उसे जल्दी ही हॉस्पिटल ले आया

" डॉक्टर। पता नहीं क्या हुआ है इसे। अचानक इसकी तबियत खराब हो गयी है" बिरजू ने धरा की डॉक्टर को बताया

"घबराने की कोई बात नहीं हैजल्दी ही आप अपने नन्हें मेहमान की आवाज़ सुन पाएँगे" डॉक्टर मुस्कराते हुए अंदर चली गयी 

अगली सुबह का सूरज मानो बिरजू की खुशियों का सूरज था एक नन्ही कली बिरजू के घर आँगन में खिल गयी थी। लीला। बिरजू, धरा के परिवार वाले सभी बहुत खुश थे। उधर बिरजू की पुस्तक को लोग बहुत पसंद कर रहे थे और एक प्रसिद्ध पब्लिकेशन कंपनी ने उसे अपने यहाँ लिखने का एक बड़ा कान्टट्रेक्ट भी दे दिया था 

बिरजू अपनी नन्ही कली को गोद में उठाये इस बात से बहुत खुश था कि वह माँ, धरा और अपनी बच्ची को अब अपनी खुद से कमाई पहचान दे सकता है। आज उसने अपने आदर्शों के साथ लगन और कड़ी मेहनत से अपनी कमियों को शिकस्त दे दी थी 

समाप्त

 Writers's note -मेहनत कभी बेकार नहीं जाती हैमेहनत का फल हमेशा मीठा होता हैअपने आदर्शों और अपने आत्मसम्मान के लिये सभी को जागरूक होना चाहिये। ज़िंदगी आपकी है और आपका प्रयास ही इसको सफल बनायेगा

अपनी किस्मत वही चमकाते हैं जो अपनी सारी मेहनतों के साथ दिल में आगे बढ़ने की चाह रखते हैं। मजबूत इच्छा शक्ति सफलता की राह में आने वाली हर बाधा को पार कर जाती है 

अपने फ़र्ज़ और जिम्मेदारियों को निभाते हुए खुद के प्रति भी जागरुक रहिएवक़्त की धूल में ख़ुद के गुणों को मध्यम नहीं होने दीजिये 

आप भी जिंदगी की खुशियों को जीने का अधिकार रखते हैं। भगवान ने सभी को खास बनाया है। कोई ना कोई खास गुण हर एक में मौजूद होता है बस जरूरत है उसे खोजने की और अपनी मंज़िल को खोजने के लिये प्रयास करने की। धन्यवाद


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