NOOR E ISHAL

Comedy Drama

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NOOR E ISHAL

Comedy Drama

खीर

खीर

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"अरे सर्दियों की सबसे खूबसूरत चीजों में से एक नॉर्थ एरिया की बर्फबारी है।हिमालयन रेंज पूरी बर्फ से ढ़की हुई एक शानदार सीनरी बनाती हैं।

 घाटियों और पहाड़ों की चोटियों सब बर्फ की चादर से ढके लगते हैं।जो देखने में बेहद खूबसूरत लगता है। शिमला, दार्जिलिंग और गुलमर्ग जैसे हिल स्टेशन को देखने के लिए सर्दियों में सबसे अच्छा वक़्त होता है, 

क्योंकि वे बर्फबारी से ढके पहाड़ों की खूबसूरती दिखाते हैं।ख़ैर मैं कहाँ इन सब बातों में लग गयी।बताओ नूर क्या काम था।"सीमा जी जो अभी अभी शिमला घूमकर आयी थी सभी से उस ट्रिप का बखान करने से नहीं चूकती थी।

" सीमा जी मुझे फेशियल कराना है क्या कोई अच्छा सा फेशियल है आपके पास जो इंस्टेंट ग्लो दे दे।"

"लो बताओ अच्छी खासी ग्लोइंग स्किन है ख़ैर से अब क्या कहीं आग लगानी है।" खाला की आवाज़ सुनते ही मैं चौंक गयी थी।

"सीमा जी आज आप रहने दे हम बाद में बात करते हैं।" मैंने धीरे से कहकर फोन रख दिया था लेकिन कमाल है खाला जी के कानों का।

" हाँ।हाँ।बता दो खाला आ गयी हैं।अब तेरी मनमानी चलने नहीं देंगी।"

" नहीं खाला, ऐसी बात नहीं है।।" मैंने बेबसी के साथ कहा

"वैसे कब आयी हो ससुराल से।या गयीं ही नहीं।"

" आपा नूर कल ही आयी है और एक दो दिन में चली जायेगी।" इस बार अम्मी ने खाला जी के निशाने से मुझे बचाते हुए कहा क्यूँकी उनको पता था कि मुझे अपने घर में देखते ही उनको प्रॉब्लम हो जाती थी।

" चलो ठीक है वरना सही बताऊँ खालिदा से आँख नहीं मिला पाती हूँ।बड़े शान से इसका रिश्ता लेकर गयी थी अपनी सहेली के पास।

क्या पता था कि अपना खून ही बेइज्जत करायेगा।"

खाला कहाँ मानने वाली थीं।

"अब ऎसा क्या कर दिया मैंने" मैंने अपनी हँसी रोकते हुए कहा

"अरे आपा।छोड़े ना।आप बताएँ इतनी ठंड में कैसे आना हुआ।सब खैरियत तो है।"अम्मी नहीं चाह रही थी कि खाला जी की बातों की तोप मुझ पर चलती रहे।

" भई इन्हीं की वजह से आना हुआ है, भाई ने बताया था कि नूर आयी हुई है तो बस मिलने चली आयीं ठंड का क्या है।हर साल ही होती है।"खाला जी ने कोयले की दहकती अँगीठी पर हाथ तापते हुए कहा

" उफ्फ।बाबा भी कोई बात की पर्दादारी कर नहीं पाते हैं।मना किया था मैंने कि खाला को ना बताइयेगा मैं खुद जाकर मिल आऊँगी।" मैंने अपने दिल में सोचा।

"परसों खालिदा मिली थी चूडियों की दुकान पर।बड़ी हसरत से काँच की चूडियों की तरफ़ देख रही थी।मैंने कहा अपनी बहु के लिए ले लो अगर इतनी अच्छी लगती हैं।।

बहुत ही मायूसी से बोली हमारी बहु ये सब कहाँ पहनती है।लेकिन उसे इतना शौक है काँच की चूडियों का पूरे पाँच डिब्बे खरीदकर ले गयी है।"खाला जी पूरी तैयारी से आयी थी

" मैं ही उन्हें वहाँ छोड़कर आयी थी।सलमा की लड़की की शादी है।उसकी शादी में देने के लिए लेकर आयी हैं।"मेरी बात सुनकर अम्मी मुँह दबाकर हँसने लगी।

" आपा, मैं अदरक की चाय बनाकर लाती हूँ।"अम्मी ने हमारी तकरार को खत्म करने की आखिरी कोशिश की।

"अरे अभी बैठो, फैसल के रिश्ते वाले आ रहे हैं।कल तुम सब हमारी तरफ चले आना।नूर तुम मेहमानों के लिए खीर बना देना बाकी खाना हम दोनों मिलकर बना लेंगी।"

खाला ने जानबूझकर खीर का काम मेरे सुपुर्द किया था जिसे मैं और अम्मी आराम से समझ गए थे।

"ठीक है खाला।मैं बना दूँगी।"मेरे जवाब से अम्मी हैरान होकर मुझे देखने लगी थी।

" ठीक है, कल नौ बजे आ जाना, दोपहर के खाने पर वो लोग आ रहे हैं।अच्छी तरह तैयार होकर आना जिससे लगो कि शादीशुदा हो।ऐसा ना कहीं अपने लड़के का रिश्ता भी दे बैठे "

"हाथों में ढेरों काँच की चूडियाँ, पैरों में छनकती हुई पायल, चटकीले रंग के कपड़े, कानों और गले में ढेरों भारी जेवरात पहने हुए लड़कियाँ टीवी ड्रामों में ही अच्छी लगती हैं।

हक़ीक़त की दुनिया में जब आप सुबह से लेकर शाम तक मजदूर बने हुए हों तो सिर्फ़ काम ही याद रह जाता है।

और वैसे भी अगर चलें मान भी लें मैं इस तरह तैयार भी हो जाऊँ तो आपका दामाद मुझसे यही पूछेगा।

Are you ok? क्या तुम्हारी तबियत खराब है?"

आज फ़ुरसत थी खाला जी के आने के बाद कोई काम होने वाला नहीं था तो मुझे भी उनसे उलझने में मजा आ रहा था।जबकि अम्मी इशारे से मुझे बार बार मना कर रही थीं।

" उसे भी तो अपने जैसा कर दिया है।लड़के के पराये हो जाने की बेबसी खालिदा के मुँह पर साफ़ दिखती है।"

" अरे नहीं आपा, हमारी बहु लाखों में एक है।मैं तो दुआ करती हूँ ऐसी बहु अल्लाह सबको दे।"

"अरे खालिदा।तुम यहाँ।खैरियत।" खाला बुरी तरह चौंकते हुए बोलीं।मैं और अम्मी भी उनके इस तरह अचानक आने से हैरान थे।

"सलाम अम्माँ, आप यहाँ कैसे, सब खैरियत तो है।"मैंने उनसे गले।मिलते हुए कहा

" अरे भाई, सब खैरियत है, तुम सब ऐसे हैरान हो जैसे मैं यहाँ आ नहीं सकती हूँ।आज सुबह शबाना की तरफ़ आयी थी।उसकी तबियत ठीक नहीं थी।बस सोचा कि वापसी में तुम्हारे यहाँ भी मिलती जाऊँगी।"वो हँसते हुए बोली।

"अम्माँ, आप मुझे बता देती मैं आपको लेने आ जाती।आप शबाना के घर से यहाँ कैसे आयी हैं? "

" बेटा, उसका देवर यहाँ तक छोड़ गया था।आराम से आ गयी हूँ।तुम कहाँ परेशान होती वहाँ आकर।"

" खालिदा कल फैसल के रिश्ते वाले आ रहे हैं।।तुम्हें भी आना है।नूर खीर बना रही है मेहमानों के लिए।"खाला ने अब दूर की कौड़ी निकाल ली थी।खाला भी कमाल थी।किसी को छकाने पर आती थी तो साम दाम दंड भेद सब लगा लेती थीं।

" हाँ, इंशाअल्लाह, मैं ज़रूर आऊँगी।"अम्माँ को हाँ करते देख मैं हैरान थी पर समझ आ गया था कि वो मेरे खीर बनाने को लेकर परेशान हो चुकी थी।मुझे बहुत ज़ोर की हँसी आ गयी थी।

"चलें अम्माँ आपको घर छोड़ आऊँ।सुबह से निकली हुई हैं।अब आराम करें।" मैंने हँसी रोककर कहा

" हाँ, बेटा चलो "

" अरे, यहीं आराम कर लेंगी, अभी तो आयीं हैं, कुछ देर साँस तो लेने दो।" खाला ने उनको रोकते हुए कहा।

"बाजी, आज यहीं रुक जाएँ, कल हमारे साथ ही आपा की तरफ़ चलिये।"अम्मी ने कहा

" ठीक है अम्माँ, आप रुक जाएँ।मैं घर जाकर आपके कपड़े ले आती हूँ।"

"ठीक है बेटा, अपने पापा और अर्श को बताती आना।"

" अम्माँ मैं अभी फोन कर देती हूँ, आप इत्मीनान से यहीं रुके।"

जब मैं अम्माँ के कपड़े लेकर वापस आयी तो खाला जा चुकी थीं।अम्माँ और अम्मी दोनों मेरे खीर बनाने को लेकर काफी परेशान थे।वो भी खाला के लड़के के रिश्तेवालों के आगे पेश होने वाली खीर।।

मामला सच में संगीन था।मगर मैंने खुद से कहा वो नूर ही क्या जो अँधेरों से डर जाये।कल की कल देखेंगे।कल होने तो दो।

मैं आज नीचे कमरे में अम्माँ के पास रुक गयी थी।सुबह से ही घर में काफी चहल पहल हो रही थी।अम्माँ, अम्मी और बाबा बाहर लॉन में चाय पीते हुए बातें कर रहे थे।मैं भी उठकर वहीं आ गयी थी।

"नूर, कोई भी जिम्मेदारी लेने से पहले ख़ुद को देख लेना चाहिए कि वह काम तुम कर पाओगी या नहीं।" बाबा कुछ नाराज से थे या फिर मेरे खाला के यहाँ खीर बनाने को लेकर परेशान थे।

"अरे, आप सब इतना क्यूँ परेशान हैं।मैं देख लूँगी।"

"बेटा, जानती हो, किसके यहाँ खीर बनाने जा रही हो।"अम्मी ने खाला की याद दिलाई

" जी, जानती हूँ।अच्छा आप लोग खाला के यहाँ चले जाइए मैं थोड़ी देर में आऊँगी।कुछ सामान लाना है।खाला से कहिएगा कि चावल और मेवा रेडी रखें।"

" सलाम खाला, कैसी हैं।"मैंने खाला के घर के अंदर आते हुए कहा।शुक्र था आज घंटी नहीं बजानी पड़ी।दरवाजा खुला था।

" ठीक हुँ बेटा, बस तुम जल्दी किचन में जाओ,खीर बनना बाकी है।"खाला बहुत खुश थी आज

" जी "मैं सीधा किचन में आ गयी थी।चावल, मेवा और गुलाब की पत्तियाँ सब रेडी था।।

मैंने पिसे हुए चावलों को एक पैकेट में बाँधकर अपने हैंडबैग में डाल लिया।फ़िर खीर मिक्स का पैकट निकालकर जो मैं बाजार से खरीदकर लायी थी एक लीटर दूध में डालकर पतीला चूल्हे पर चढ़ा दिया।

खाला के किचन में आ जाने के खौफ की वजह से एक गलती हो गयी थी।खीर मिक्स आधा लीटर दूध में डालना था लेकिन जल्दी जल्दी में वह एक लीटर दूध में डाल दिया था।

खीर अपने प्रारम्भ में ही बिगड़ चुकी थी।पतीले में चावल खो गए थे हर जगह दूध खाला जी के तानों की भविष्यवाणी करता हुआ उफान पर था।

कुछ समझ नहीं आया।विनाश काले विपरीत बुद्धी की कहावत अपने ऊपर सही लगी जो सबके समझाने के बावजूद खाला जी की खीर बनाने की ठान ली थी।

ख़ैर।आधा घंटा खीर पकी।सोने पे सुहागा ये हुआ कि हड़बड़ी में खीर चलाना भूल गयी।तो पूरा खीर मिक्स पतीले में नीचे लगकर जल चुका था और पहले से ही मेरा मज़ाक़ उड़ाते हुए उस दूध में जलने की महक छोड़ गया।

अब आप गौर करें जितना आप खाला जी को समझें हैं और इस खीर की हालत जो हुई उससे आपको अंदाजा करना मुश्किल नहीं हुआ होगा कि मेरा अब क्या होगा।।

और शोले के गब्बर का वो सीन मेरी आँखों में घूम रहा था ।

जिसमें वो कहता है।"अब तेरा क्या होगा कालिया।"

एक उलझन सी हो गयी थी कि आखिर कब तक ये खीर बनेगी?

अचानक मन ने समझाया।"क्या हो गया तुम्हें।दुनिया को हिम्मत ना हारने की नसीहतों से नवाजती रहती हो।ये क्यूँ भूल जाती हो कि वे सब तुम पर भी लागू होती हैं।

डरना बंद करो।बस करो।अपनी आखिरी साँस तक संघर्ष करो।।

सकारात्मक सोच ने बंद हुए दिमाग में मानो सुपर पेट्रोल डाल दिया था।जल्दी से ढ़ेर सारा केवड़ा खीर में डाल दिया था।फिर कस्टर्ड पाउडर घोलकर उसमें डाल दिया।

एक चमत्कार सा पतीले में हो गया था।।दूध की बाढ़ गायब हो चुकी थी।अब तो खोयी सारी हिम्मत वापस आ गयी थी।

एक बड़ी छलनी उठकर सारी खीर छानकर एक डिश में निकाल ली थी जिससे सारे जले हुए टुकड़े छलनी में रह गए थे।

साफ सुथरी खीर को चखकर देखा।जलने की हल्की सी महक अभी भी थी।खाला का फ्रिज टटोला तो उसमें रोज़ एसेंस रखा हुआ था।दिमाग की बत्ती एक बार फिर तेज़ी से जली।।

डिश में निकाली हुई खीर में वह रोज़ एसेंस डाल दिया था।ऊपर से मेवा डालकर गुलाब की पत्तियों से खीर को सजा दिया था।

खीर इस जोड़ तोड़ से जायके में बहुत जबरदस्त हो चुकी थी।

रब का करम ये और हुआ कि खाला बाहर बहुत बिजी हो गयी थी और इस जोड़ तोड़ वाली प्रक्रिया के दौरान वो किचन में नहीं आ सकीं थी।

मैंने खीर बाहर डायनिंग टेबल पर रख दी थी।खीर की सजावट देखकर बहुत हैरान थी।अम्माँ, अम्मी और बाबा तो खुशी से फूले नहीं समा रहे थे।

रब का करम था कि खीर का मसला हल हो चुका था।गुलाब से महकती खीर, अलाव के पास से आती गरमाहट और बाहर लॉन में फैलता कोहरा एक अलग दिलकश समाँ बाँध चुके थे।


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