फिर से ब्रेकिंग न्यूज...
फिर से ब्रेकिंग न्यूज...
फिर से ब्रेकिंग न्यूज आयी के "आज रुखसाना के सास के भाई के यहां सबका डिनर है रात के आठ बजे तक सब को पहुंचना है अब क्यूँकी रहीम फुप्पा मर गए हैं तो उनके घर सोग की वज़ह से इस पूरे साल सिवईंयां नहीं बनेगी। रुखसाना की सास ने ब्रेकिंग न्यूज को आगे जारी रखते हुए कहा,
"और इसीलिए भैय्या आए थे और कह गए हैं कि रुखसाना से कहकर पंद्रह आदमियों की सिवईंयां बनवा देना।"
रुखसाना का दिल किया के अपना सर फोड ले कहीं जाकर। उसकी वज़ह ये थी कि जिस दिन से रुखसाना गर्मियों की छुट्टियों में अपनी सास के यहां आयी थी उसी दिन से कामवाली गायब थी और सारा दिन नाश्ता खाना बर्तन सफाई और दो छोटे बच्चों के काम और सारी मेहमानदारी जो उनके आने की वज़ह से बढ़ गयी थी। कितना काम समेटती दिन रात छोटे पड़ रहे थे।
रहीम फुप्पा रुखसाना की सास की भाभी के बहनोई थे ।हालांकि रिश्ता दूर का था लेकिन सास के भाई का शाही फरमान जारी हो चुका था और सास उसे पूरा ना करवायें ये हो नहीं सकता था। लिहाज़ा अब तो रुखसाना को हुक्म मानना ही था।
जल्दी जल्दी कामों से निपटकर उसने सिवईंयां चूल्हे पर चढ़ा दीं थीं ।मसला ये नहीं था के रुखसाना को काम आता नहीं था या फिर वह कामों से बचना चाहती थी।
मसला ये था कि सास के घर में किचन की एक एक चीज उसको सास से पूछकर इस्तेमाल करनी होती थी दूसरे ये कि वह सन् सत्तर का गैस का चूल्हा जिसपर दो कप चाय भी एक घंटे में बनती थी उसपर पंद्रह आदमियों की सिवईंयां बनाने के ख़्याल से भी रुखसाना को दिमाग में चक्कर आते महसूस हो रहे थे।
बहरहाल सिवईंयां तो बनना शुरू हो चुकीं थीं। रुखसाना ने अपनी सास से पूछा, "अम्मी, ये रहीम फुप्पा की सिवईंयां से कोई नाराजगी थी क्या?" अगर सिवईंयां नहीं बन सकती हैं तो कोई और मीठा बनाया जा सकता था।और फिर इस डिनर का क्या फायदा जो पूरे दिन सिवईंयां बनाते गुजरेगा।"
सास ने कहा," बेटा अब ये तो बनाकर ले जाना पड़ेगा। बेचारे भैय्या बड़े परेशान हो रहे थे। भाभी की एक रिश्तेदार के यहां बेटी और बेटे दोनों की शादी एक ही दिन में हुई है तो नयी बहू और नए दामाद का खाना हो रहा है आज। इसीलिए हम सब को भी भैय्या बुला गये हैं ।और सिवईंयों के ना बनने का मतलब ये है के कोई मीठा नहीं बनेगा। सिवईंयां या फिर कोई भी मीठा ख़ुशी में ही बनता है अब उनके यहां तो सोग है इसीलिए वो यहां सिवईंयां बनाने के लिए कह गए हैं। "
रुखसाना चुप हो गयी मगर ये सवाल दिमाग में चल रहे थे कि अगर सोग है तो ये दावत क्यूँ हो रही है और अगर हो रही है तो ना रखें मीठा सबको तो पता ही है के रहीम फुप्पा का सोग चल रहा है।
दिनभर सिवईंयां पकती रहीं यहां तक के शाम हो गयी मगर सिवईंयां गाढ़ी नहीं हो पा रहीं थीं। रुखसाना ने थक हार कर चूल्हा बंद कर दिया।आठ बजने में अभी एक घंटा था। रुखसाना की सास ने किचन में जाकर सिवईंयों का मुआयना करना शुरू किया अब सिवईंयां अभी भी पतली ही थीं तो उन्होंने रुखसाना को आवाज़ देकर कहा, "रुखसाना अभी सिवईंयां और पकेंगी। अभी बहुत पतली हैं। " ये कह्ते हुए उन्होंने चूल्हा फिर से जला दिया।
रुखसाना ने कहा,"अम्मी तैयार हो जाइए टाइम ज्यादा नहीं है। ये
सिवईंयां दोपहर से पक रही हैं अभी तक नहीं हुईं।अब जैसी भी हैं वैसे ही ले चलते हैं।"
रुखसाना सिवईंयां पकाते पकाते थक चुकी थी उसे बहुत गुस्सा आ रहा था और वह दिल ही दिल में बड़बड़ा रही थी, "ना जाने रहीम फुप्पा की सिवईंयां से क्या दुश्मनी थी।"
आठ बज चुके थे और घर में सिवईंयों को पैक करके ले जाने के लिये बर्तन ढूँढे जा रहे थे जिसकी वज़ह से देर होती जा रही थी। आखिर में रुखसाना के शौहर साहिल ने गर्म सिवईंयां का पतीला एक पुरानी चादर में लपेटकर कार में रख लिया।
पूरे रास्ते सिवईंयां की निगरानी होती रही के कहीं गिर तो नहीं रही हैं किसी तरह अल्लाह अल्लाह करके मामू का घर आया। अब वहाँ पहुंचकर सिवईंयां कार से ऐसे उतारी गयीं मानो सिवईंयां ना होकर आर्मी का कोई सीक्रेट मिशन हो। रुखसाना को ये देखकर हंसी आ गयी वो मुस्कराते हुए मामू के घर में दाखिल हो गयी। सबको सलाम करके मिलने के बाद वह किचन में आ गयी जहां मामू की बड़ी बहू सबा काम में लगी हुई थी।
रुखसाना मुस्कुराते हुए बोली, "सलाम सबा क्या हाल हैं?"
सबा भी मुस्कुराते हुए सलाम का जवाब देते हुए रुखसाना से मिली और बोली, "सलाम भाभी।। अल्लाह का शुक्र है सब खैरियत है।" आप कैसी हैं? "
रुखसाना हँसते हुए बोली," बस सब बढ़िया है सासु माँ के राज में आराम कर रहे हैं गर्मी की छुट्टियों से के मज़े ले रहे हैं"
सबा रुखसाना की बात का मतलब समझकर हँसने लगी। अचानक रुखसाना को कुछ याद आया उसने सबा से पूछा, "सबा सिवईंयां किचन में आ गयीं ना। मैं बनाकर लायी हूँ। मामू आज सुबह अम्मी से कहकर आए थे कि उनके यहां सोग है तो यहाँ सिवईंयां नहीं बनेगी ।"
सबा हैरान होते हुए बोली, "भाभी ऐसा कुछ नहीं है मैंने गाजर का हलवा, खीर और कस्टर्ड बनाया हुआ है। पता नहीं पापा क्यूँ बोलकर आए थे "
रुखसाना ने भी हैरानी जतायी और मन में सोचने लगी यकीनन रहीम फुप्पा का सिवईंयों के साथ ही कुछ छत्तीस का आँकड़ा था। फिर खुद ही अपनी सोच पर हँसने लगी। मेहमानों के आने का शोर हुआ तो रुखसाना किचन से बाहर आ गयी लेकिन बाहर आते ही उसकी हैरत का ठिकाना नहीं रहा के मामी एक बेहतरीन प्लेट में काजू कतली सजाकर नयी बहू और नए दामाद की तरफ बढ़ी और बोलीं, "पहली बार बहू और दामाद हमारे घर आए हैं तो सबसे पहले दोनों मुँह मीठा करो"
हंसी मज़ाक कहकहे के बीच कहीं भी रहीम फुप्पा का सोग नज़र नहीं आ रहा था। बल्कि डिनर एक शानदार पार्टी में तबदील हो चुका था। जिसमें मीठे में काजू कतली, गाजर का हलवा, कस्टर्ड, खीर,सिवईंयां और मीठी कोल्ड ड्रिंक भी थे।
रुखसाना को खुद को बेवकूफ़ बनाए जाने पर भी गुस्सा आने लगा था।
काफी देर रात तक महफिल जमी रही। फिर सब घर वापस जाने लगे। रुखसाना की फॅमिली भी ख़ुदा हाफ़िज़ कहकर कार में आकर बैठ गयी। रास्ते में रुखसाना ने अपनी सास से कहा, "अम्मी ये काजू कतली भी तो मीठा था।"
सास समझ गयीं कि रुखसाना क्या कहना चाह रहीं है वो बोली, "बेटा,मजबूरी में वो मिठाई मंगवायी थी क्यूँकी ये रस्म है नयी बहू या दामाद जब पहली बार घर आते हैं तो उनका मुँह मीठा कराया जाता है "
रुखसाना ने कहा, "अम्मी। मिठाई के अलावा मामू की बहू ने गाजर का हलवा, खीर औऱ कस्टर्ड भी तो बनाया था। देखा मैंने आपसे कहा था ना हो ना हो रहीम फुप्पा का सिवईंयों के साथ कुछ तो पंगा हुआ होगा जो सिर्फ उनको छोड़कर बाकी सारे मीठे मामू के घर मौजूद थे। "
सास इस बात पर कुछ नहीं बोलीं बस हल्की सी मुस्कुराहट के साथ कार की खिड़की से बाहर देखने लगी। शायद सोच रहीं हों कि सही बात है आखिर रहीम फुप्पा का सिवईंयों ने क्या बिगाड़ था ?
