तुम्हारा साथ
तुम्हारा साथ
"मैंने तुमसे कितनी बार कहा है कि मेरा काम अपने इन निकम्मे जासूसों से करवाना बंद कर दो।ये तुम्हारे निकम्मे जासूस किसी काम के नहीं हैं। अपना काम तो ये सही से कर नहीं पाते मेरा काम क्या खाक कर पाएँगे। "
चारु फोन पर किसी से बात करते हुए बुरी तरह से भड़क रही थी।
इतने में कमरे के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। चारु ने गुस्से से फोन पटका और झुंझलाकर पूछा," कौन है? "
" मैं हूं तेज, ज़रा दरवाजा खोलो। कोई आया था कुछ समान देकर गया है। एक लिफाफे में है। अगर तुम बिजी हो, तो क्या मैं लिफ़ाफ़ा खोलकर देख लूँ कि उसमें क्या है।?"
चारु घबरा गयी चिल्लाते हुए बोली, "नहीं,तुम मत खोलना। मैं आ रहीं हूँ।" बिजली की तेजी से चारु ने दरवाजा खोलकर तेज से लिफाफा लिया और उतनी ही तेजी से कमरे का दरवाज़ा वापस ज़ोर से बंद कर दिया।
तेज़ हैरान परेशान सा चारु को देख रहा था कि आज इसको क्या हो गया है पर कुछ नहीं बोला। बात क्या है वो भी जानना चाह रहा था। चारु ने लिफ़ाफ़ा खोलकर देखा और मुस्कराने लगी। फिर फोन उठाकर किसी से बात करते हुए कहा, "वेल डन, आखिर आपके निकम्मे जासूसों ने काम कर ही दिया।
अभी बारिश बहुत तेज़ हो रही है इसीलिये मैं अभी पैसे देने नहीं आ सकती हूँ।। मैं शाम तक आपके पैसे भिजवा दूँगी। थोड़ी देर पहले जो आपके निकम्मे जासूसों के बारे में कहा उसके लिए सॉरी।।। हाँ एक बात और तेज को इस बारे में कुछ नहीं पता चलना चाहिए।"
दूसरी तरफ़ से आवाज आयी, "डोंट वरी मैडम।। कुछ पता नहीं चलेगा। "
चारु फोन रखकर इत्मिनान से कमरे में टहलते हुए सोच रही थी कि बस अब उस दिन का इन्तेज़ार है।सारा प्लान रेडी है। लेकिन नॉर्मल रहना होगा। तेज को कोई शक नहीं होना चाहिए।लेकिन क्या तेज उस दिन आई पी एल मैच छोड़कर मेरे साथ बाहर जाने को राज़ी होगा? चारु ने खुद से कहा, "कुछ भी हो उस दिन तेज को बाहर तो लेकर ही जाना होगा।"
चारु बहुत सम्भाल सम्भाल कर अपने प्लान पर आगे बढ़ रही थी, लेकिन चारु की लुकाछिपी तेज से छुप नहीं पा रही थी। तेज खुद को शांत रखे हुए था कि शायद चारु ही ख़ुद उसको बता दे कि क्या चल रहा है?
पिछले चार दिन से चारु बहुत अजीब बदली सी लग रही थी। ये बारिशों के मौसम का असर था या फिर कुछ और।। तेज की हैरानी का ठिकाना नहीं था जब चार दिन बाद चारु उसके पास आकर बहुत प्यार से बोली , "चलो ना कहीं बाहर चलते हैं। आज मौसम भी कितना सुहावना है।। हल्की हल्की सी बारिश।। ठंडी सी हवायें।। समोसे खरीदकर चाय पीने चलते हैं। बहुत दिन से एक काम में बिजी थी। तुमको बिलकुल भी वक़्त नहीं दे पा रही थी।"
तेज ने सुकून का साँस लिया कि चलो सब ठीक है। वो खुश होते हुए बोला, "जो हुक्म आपका मैडम।चलिए ।।दो मिनट में रेडी होकर आता हूँ।"
चारु ने कहा, "पर तुम्हारा आई पी एल के मैच का क्या होगा? तुम्हारे फेवरेट प्लेयर की टीम खेलेगी आज तो?"
तेज ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हारी ख़ुशी से बढ़कर मेरे लिए कुछ नहीं।"
तेज के जाते ही चारु ने किसी को फोन लगाया," सुनो हम लोग बाहर जा रहे हैं। मौका बहुत अच्छा है। काम आसानी से हो जाएगा। तेज बाहर जाने के लिए मान गया है।"
थोड़ी देर में वो लोग बाहर निकल गए थे। अभी पांच मिनट ही हुए थे कि चारु ने कहा," तेज गाड़ी रोको,देखो हमारी फेवरेट टी स्टॉल।। बहुत दिन हो गए हमने यहाँ चाय नहीं पी।चलो आज यहां चाय पीते हैं।"
तेज ने गाड़ी रोकते हुए जवाब दिया," ओके" तेज जैसे ही गाड़ी से बाहर निकल कर कुछ दूर आगे चाय लेने के लिए बढ़ा एक नीले रंग की कार आकर तेज के पास रुकी। उसमें से दो लड़के तेजी से निकल कर तेज के दाएँ और बाएँ आ गए।
जबकि तीसरे लड़के ने तेज की कमर पर गन लगा दी।चौथा लड़का कार में ही बैठा रहा। तीनों लड़कों ने तेज को चुप रहने का इशारा किया और तेज को वापस अपनी कार की तरफ़ चलने को कहा।
कार के पास पहुँचकर उन लड़कों ने चारु को धमका कर आगे बिठा दिया और दोनों लड़के तेज को लेकर पीछे बैठ गए। तीसरा लड़का ड्राइविंग सीट पर बैठ गया। तेज को किसी अनहोनी के होने का यकीन हो चल था। लेकिन वो लड़के तेज को जाने पहचाने से लग रहे थे। मगर उन लड़कों के मुँह पर कपड़ा बंधा होने की वजह से तेज उन लड़कों को पहचान नहीं पा रहा था ।
तेज़ को चारु की बहुत फ़िक्र थी। चारु ख़ामोश थी। दस मिनट चलने के बाद उन लड़कों में से एक ने कहा, " हमें यहां उतरना है। सुनो कोई चालाकी करने की कोशिश मत करना, नहीं तो अंजाम अच्छा नहीं होगा।" तेज की आंखों पर पट्टी बाँध दी गयी थी।
चारु और तेज दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। दोनों के परिवार आपस में बहुत प्यार और स्नेह के साथ रहा करते थे। बचपन से साथ होने के कारण कभी किसी ने उनकी दोस्ती को किसी भी गलत नजरिए से नहीं देखा।
दोनों परिवार बहुत संस्कारी थे।चारु और तेज एक दूसरे को पसंद करते थे और दोनों परिवार भी यही चाहते थे कि उनकी दोस्ती रिश्तेदारी में बदल जाये।
चारु और तेज का विवाह पिछले साल ही हुआ था।शादी से पहले दोनों मुंबई में अलग अलग जॉब करते थे।चारु और तेज दोनों ही इन्टिरियर डिजाइनर थे।इसीलिए शादी के बाद दोनों अपने घर अहमदाबाद शिफ्ट हो गए और वही दोनों ने मिलकर अपना इन्टिरियर डिजाइनिग का काम शुरू कर दिया।
तेज़ चारु का बहुत ख्याल रखता था और चारु को बहुत चाहता था। लेकिन अक्सर उसे चारु के प्यार में कुछ कमी लगती थी। तेज कभी इस बात को अपने सर पर हावी नहीं होने देता था क्यूँकी बचपन से चारु ने उसके सिवा किसी और लड़के को कभी पसंद नहीं किया था।
पर तेज के मन में ये सवाल अक्सर आता जाता रहता था। लेकिन चारु से कभी कुछ नहीं कहता था।पूरी ईमानदारी से चारु और अपने रिश्ते को सम्भाले हुए था। आज अचानक इस अनहोनी ने तेज को बुरी तरह से डरा दिया था। उसे खुद से ज्यादा चारु की फ़िक्र थी।
तेज़ की आंखों पर पट्टी बाँधकर गाड़ी से उतार लिया गया था । उन लड़कों ने अब मुस्कराते हुए चारु को भी गाड़ी से बाहर आने का इशारा किया। चारु धीरे धीरे हँसते हुए कार से बाहर आ गयी। वो सब मिलकर तेज को एक भीड़ वाली जगह की तरफ़ ले जाने लगे।
तेज़ को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह कहां आ गया है?
उसने हिम्मत करके चारु को आवाज दी, "चारु,तुम ठीक तो हो ना।?"
चारु ने हँसते हुए जवाब दिया, "हाँ तेज हम दोनों ही ठीक हैं" चारु ने तेज की आंखों से पट्टी खोल दी।। तेज आंखें खोलते ही हैरत से इधर उधर देखने लगा। और उसके सामने उसकी आई पी एल टीम का फेवरेट प्लेयर खड़ा था जो तेज को देखकर मुस्करा रहा था ।तेज आई पी एल मैच वाले स्टेडियम में था। प्लेयर तेज की तरफ बढ़ा उसको गले लगाते हुए बोला, "हैप्पी बर्थडे तेज।"
उसने तेज के और चारु के साथ फोटो खिंचवाया और चारु की लायी हुई टी-शर्ट पर अपना ऑटोग्राफ देकर चला गया।
वो चारों लड़के भी हंस रहे थे और तेज को गले लगाकर बोले, "तेज, हैप्पी बर्थडे। सॉरी यार " चारों तेज के कॉलेज के दोस्त थे जो आजकल तेज के शहर आए हुए थे। तेज ने हैरानी से चारु को देखा चारु हँसते हुए तेज से गले लगकर बोली, "तेज,हैप्पी बर्थडे, ये सब आपका बर्थडे सरप्राइज है।
आप हमेशा कह्ते थे कि जन्मदिन में जब तक सरप्राइज ना हो जन्मदिन का मजा नहीं आता है। एक दिन आपके इन दोस्तों ने हम लोगों को एक रेस्टोरेंट में बैठे देखा था।"
"तेज आपकी मीटिंग थी और आप मुझे भी उस रेस्टोरेंट में ले आए थे।आप तो चले गए लेकिन ये सब आपसे मिलने आए वहाँ मेरी मुलाक़ात इन सब से हुई।
मैंने बताया कि आप मीटिंग के लिए जा चुके हैं।इन सभी को वापस लौटना था तो हमारी एक छोटी सी मुलाकात वहाँ हुई थी। ये सब आपके वापस आने का इन्तेज़ार नहीं कर सके थे।
आपके कॉलेज के क़िस्से भी पता चले जो आपके अपने दोस्तों के साथ हुए थे। फिर किसी एक क़िस्से में आपकी सालगिरह का जिक्र आया जिसपर मैंने याद दिलाया कि इसी महीने में आपकी सालगिरह आ रही है। बस फिर हम सब ने आपको सरप्राइज देने का प्लान बनाया।
रही आपके गिफ्ट की बात तो मेरी एक क्लाइंट है एक बार वो मेरे साथ ऑफिस से घर आयी थी।वहाँ उसने आपके फेवरेट प्लेयर का पोस्टर देखा तो उसने मुझे बताया था कि इस प्लेयर की फॅमिली से उनकी फॅमिली के बहुत अच्छे संबंध हैं।
मैंने उसे फोन करके उससे पता किया कि अभी जो आई पी एल मैच यहां होने वाला है क्या उसमें तेज की सालगिरह पर उसके फेवरेट प्लेयर से मुलाकात करवायी जा सकती है?तो मेरी क्लाइंट ने उसी दिन बात करके सब बताकर तय कर दिया था।
सबसे प्यारा इत्तेफाक ये है कि आई पी एल मैच आपकी सालगिरह के दिन है।
फिर मैंने आपके प्यारे साले साहब से मैच के छह टिकिटस् बुक करने के लिए कहा।वह बहुत बिजी था तो उसने टिकिटस् बुक करके अपने दो दोस्तो को लाने के लिए बोल दिया।लेकिन दोनों तो ऑफिस पहुंच गए ताकि मुझे वहां मौक़ा देखकर आप से छुपाकर वो टिकिटस् मुझे दे सकें।
मैंने किसी तरह उनको वहाँ से टाल दिया क्यूँकी आप मेरे साथ थे।इसलिए मुझे उस दिन फोन पर गुस्सा आ गया मैं आशु से बात कर रहीं थी कि अपने किन निकम्मे बेवकूफ़ जासूसों को भेजा है। पूरा प्लान चौपट कर देते।
फिर आशु ने अपने ऑफिस से किसी को भेजा था। जो ये टिकिटस् घर दे गया था। और उसके बाद का तो आपको पता ही है। "
तेज़ अभी भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं था वह बस थोड़ा सा मुस्करा दिया। चारु ने याद दिलाया," चलो, चलो, मैच शुरू हो रहा है। चलना चाहिए।मैच के बाद पास ही एक रेस्टोरेन्ट में
केक काटना बाकी है और डिनर भी वहीं करेंगे। "
पूरे दिन सबने मैच बहुत इन्जॉय किया।तेज नॉर्मल हो चुका था। उसे बदली हुई चारु बहुत अच्छी लग रही थी। वह बहुत खुश था। शाम से फिर बारिश शुरू हो चुकी थी।। सब सुहावने मौसम के साथ डिनर इंजॉय कर रहे थे।डिनर करने के बाद सब दोस्तों ने तेज और चारु को थैंक्स कहा और तेज को एक बार फिर बर्थडे विश करके चले गए। तेज और चारु भी जल्दी से अपनी कार में आकर बैठ गए।
गाड़ी में बैठकर तेज ने मुस्कुराते हुए चारु की तरफ देखा और कहा, "बहुत शुक्रिया एक खतरनाक और अच्छे से सरप्राइज़ के लिए मेरी प्यारी सी अर्धांगिनी जी।"
" लेकिन कभी दोबारा ऐसा खतरनाक सरप्राइज ना देना। तुम नहीं जानती चारु उन सारे लम्हों में मैं कितनी बार मरा हूं।मुझे खुद से ज्यादा तुम्हारी फ़िक्र थी ।" तेज अचानक ही उदास हो उठा
" तेज बस कुछ आगे ना बोलिए।। जो अच्छा हुआ बस उसको याद रखिए ।आगे से मैं ध्यान रखूंगी कि सरप्राइज डराने वाला ना हो। लेकिन आप भी अपनी डायरी में लिखी वो लाइन हमेशा के लिए हटा दीजे जिसमें आपने लिखा है,
"मुझे ऐसा क्यूँ लगता है कि चारु मुझसे प्यार नहीं करती है। हमारी दोस्ती अभी तक प्यार में शायद बदल ही नहीं पायी।"
कुछ रुककर चारु बोली, "तेज मेरी तरफ से आपके लिए सिर्फ प्यार था दोस्ती कभी थी ही नहीं। हाँ बस मैंने इस बात को बताना जरूरी नहीं समझा कभी। मुझे लगता था कि प्यार तो हमारी फ़िक्र में दिख ही जाता है कहने की क्या जरूरत है? लेकिन आपकी डायरी पढ़ने के बाद एहसास हुआ कि अपने एहसास बताने ज़रूरी है नहीं तो हमारे अपनों को कैसे पता चलेगा कि हम उनसे बहुत प्यार करते हैं।"
तेज खुद को बहुत हल्का महसूस कर रहा था। वह मुस्कराते हुए बोला,"ये सरप्राइज़ सबसे ज़बरदस्त था। "
बारिशों का ये हसीं मौसम और आज का दिन एक हसीं याद की तरह उनके दिलों में महफ़ूज़ हो चुका था। दोनों हँसते हुए घर की ओर चल देते हैं।

