STORYMIRROR

NOOR EY ISHAL

Drama Inspirational

3  

NOOR EY ISHAL

Drama Inspirational

जादुई अंगूठी..

जादुई अंगूठी..

5 mins
296

"मेरी जादुई अंगूठी आज अपनी जगह से गायब है। बहुत कोशिश कर रहीं हूं उसको तलाश करने की मगर मिल ही नहीं रहीं है। कहाँ गयी होगी। आजकल तो घर में भी कोई आता जाता नहीं है। चोरी होने का सवाल ही नहीं है। मैं खुद भी बाहर नहीं जाती हूँ इसीलिए कहीं भूल आने का भी प्रश्न नहीं उठता है। हे भगवान, कहाँ तलाश करूँ अपनी जादुई अंगूठी को। "निधि बहुत उलझते हुए अंगूठी तलाश कर रहीं थीं और खुद से बातें करती जा रही थी

शाम को ऑफिस से वापस आकर यश निधि को उदास देखता है और उससे पूछता है," क्या बात है निधि आज बहुत उदास दिख रहीं हो, "

" हाँ यश, मेरी जादुई अंगूठी खो गयी है। "निधि ने रुआँसी होकर कहा।

"जादुई अंगूठी??? ये कैसे सम्भव है " यश ने हैरान होते हुए कहा

"यश तुम्हारे लिए उसमें कोई जादू नहीं है... मगर मेरे लिए है। तुम्हें याद होगा कि वो अंगूठी तुमने मुझे बिना किसी अवसर के लाकर दी थी। और उसे पहनाते हुए कहा था कि निधि जिम्मेदारियों के चलते कल को हो सकता है कि मैं इतना व्यस्त हो जाऊँ कि हमारी शादी की सालगिरह या तुम्हारा बर्थ डे मैं भूल जाऊँ। या कोई और भी मौका जो मेरे और तुम्हारे लिए बहुत खास हो उस वक़्त मैं उसे भूल जाऊँ तो तुम उदास ना होना कि यश बदल गया है। मैं हमेशा ऐसे ही रहूँगा और इतना ही प्यार तुमसे करता रहूँगा। इसीलिए ये अँगूठी तुम्हें उपहार में दे रहा हूं। ये अंगूठी हमेशा मेरी तरफ से तुम्हें मेरे प्यार का इक़रार करते हुए सुनाई देगी। यकीन करो यश मुझे ऐसा ही लगता है कि हर रोज वह मुझे बताती है कि तुम मुझे कितना प्यार करते हो। और बस यही चाहे जाने का एहसास मुझे मेरी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए ऊर्जा देता है और फिर बिना थके मैं खुशी खुशी अपने हर फ़र्ज़ को पूरा कर पाती हूँ। यश क्या तुमने वो अंगुठी कहीं देखी है "

" न न न... नहीं तो, मुझे क्या पता? होगी यहीं कहीं मिल जाएगी... जाओ मेरे लिए एक अच्छी सी चाय बना लाओ। परेशान ना हो मिल जाएगी। यश ने अपने चेहरे की घबराहट को छुपाते हुए मुस्कराकर कहा

निधि चाय लेने जाती है, इसी बीच यश का फोन बज उठता है। यश फोन काट देता है। थोड़ी देर बाद एसएमएस आता है तो यश एसएमएस को पढ़कर बड़बड़ाते हुए बेडरूम में चला जाता है,

"अजीब हालत है सबकी... जो कहो वो समझ नहीं आता अपनी अक्ल लगाने बैठ जाते हैं।" यश काफी नाराज सा दिख रहा था।

निधि के बुलाने पर अपने आप को नॉर्मल करते हुए चाय पीने के लिए बाहर आ जाता है।

अभी निधि कुछ बात करना चाह ही रही थीं कि यश का फोन फिर बजने लगता है। यश फोन काट देता है लेकिन फोन बार बार आ रहा था। निधि हैरान सी यश को देख रही थी कि आखिर ये फोन क्यूँ नहीं उठा रहा है? क्या बात है?

निधि खुद को थोड़ा लापरवाह दिखाते हुए कहती है, "यश तुम अपना काम करो आज थोड़ा बिजी लग रहे हो। मैं डिनर की तैयारी शुरू करती हूँ।

निधि के जाते ही फोन फिर से रिंग होता है इस बार यश फोन उठा लेता है और गुस्से से कहता है कि," भाईसाहब आपको समझ नहीं आता है क्या? इस बारे में कोई बात मुझे घर पर नहीं करनी है। मैं नहीं चाहता कि मेरी वाइफ को इस बारे में कुछ भी पता चले। मैं कल सुबह आपके पास आता हूँ तब देखते हैं कि रिंग का क्या करना है?"

यश फोन रखकर टीवी देखने लगता है। दरवाज़े से लगी निधि सब बातें सुन लेती है, हैरानी और दुःख के मिले जुले भाव चेहरे पर आ रहे थे और लगातर मन में यही सोच रही थी कि,

" यश ने उसकी जादुई अंगुठी ली है? क्यूँ उसने मुझसे झूट कहा कि उसको अंगुठी के बारे में नहीं पता है। अगर उसको अंगुठी चाहिए थी तो मुझसे कह देता। मैं दे देती यश से बढ़कर वह अंगुठी कभी नहीं हो सकती है। ख़ैर जाने दो मैं यश से इस बारे में बिलकुल कोई बात नहीं करुँगी। यश अगर ज़रूरी समझता है तो वह ख़ुद ही मुझे बता देगा। हो सकता है कि यश को कोई जरूरत आ गयी हो? पर उस अंगुठी से क्या जरूरत पूरी हो सकती है?"

निधि को लगा कि ज्यादा सोचेगी तो अब शायद उसका बीपी ना बढ़ जाए। इसीलिए उसने अंगुठी के किस्से को वहीं खत्म करने का इरादा कर लिया।

दो दिन बाद यश और निधि की शादी की सालगिरह थी। निधि इस अवसर को खराब नहीं करना चाहती थी। बस सब भूल कर हंसी खुशी शादी की सालगिरह की तैयारियों में लग गयी।

शादी की सालगिरह की शाम निधि यश को एक नया मोबाइल गिफ्ट करती है। यश भी एक बॉक्स लेकर आता है जिसमें निधि के लिए कुछ खास तोहफा था।

यश निधि से कहता है, "निधि अपनी आँखें बंद करके इस बॉक्स को खोलो।"

निधि बॉक्स खोलती है और हैरान रह जाती है कि उसकी जादुई अंगुठी के साथ जादुई अंगुठी की तरह का एक गोल्ड सेट बॉक्स में चमक रहा था और बॉक्स में रखा छोटा सा कार्ड निधि को शादी की सालगिरह की बधाइयाँ दे रहा था।

यश निधि को गोल्ड सेट पहनाते हुए कहता है," सॉरी, तुम्हारी जादुई अंगुठी को चुपके से लेना पड़ा ताकि उसके डिजाइन की तरह गोल्ड सेट बनवा सकूँ। और तुम्हें अगर बता देता तो इस वक़्त जो ख़ुशी तुम्हारे चेहरे पर देख रहा हूँ वो कैसे देख पाता?

निधि तुम्हारा उस अंगूठी से लगाव देखकर ही मैंने उसका सेट बनवाने का इरादा कर लिया था।"

निधि थैंक्स कह्ते हुए यश के गले लग गयी और मन ही मन भगवान जी को थैंक्स बोलते हुए सोचने लगी कि कभी कभी बड़ी बात पर भी रिश्तों की कद्र करते हुए चुप रह जाना शुभ होता है।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama